विजीलैंस द्वारा औद्योगिक प्लॉट तबादले के मामले में पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा, नीलिमा आईएएस समेत 10 सरकारी अधिकारियों के खि़लाफ़ केस दर्ज

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़): पंजाब विजीलैंस ब्यूरो ने गुरूवार को पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा और आईएएस अधिकारी नीलमा समेत पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम (पीऐसआईडीसी) के 10 सरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों के विरुद्ध एक औद्योगिक प्लॉट को एक डिवैलपर ( रियलटर) कंपनी को तबदील करने/विभाजित करने और प्लॉट काट कर टाउनशिप स्थापित करने की मंजूरी देने के दोषों के तहत अपराधिक मुकदमा दर्ज किया है। इस केस में रियलटर फर्म, गुलमोहर टाउनशिप प्राईवेट लिमटिड के तीन मालिकों/भाईवालों को भी इस केस में नामज़द किया गया है। इस केस में विजीलैंस ने पीऐसआईडीसी के 7 अधिकारियों को गिरफ़्तार किया है जिनमें अंकुर चौधरी अस्टेट अफ़सर, दविन्दरपाल सिंह जी. एम परसोनल, जे. एस. भाटिया चीफ़ जनरल मैनेजर (योजनाबंदी), आशिमा अग्रवाल एटीपी (योजनाबंदी), परमिन्दर सिंह कार्यकारी इंजीनियर, रजत कुमार डी. ए और सन्दीप सिंह एसडीई शामिल हैं जिन्होंने आपस में मिलीभुगत करके उक्त फर्म को अनुचित लाभ पहुँचाया।

Advertisements

यह प्रगटावा करते हुये राज्य विजीलैंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि राज्य में उद्योगों को प्रफुल्लित करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार ने साल 1987 में ’आनंद लैंपस लिमटिड’ कंपनी को सेल डीड के द्वारा 25 एकड़ ज़मीन अलॉट की थी जो बाद में ’सिगनीफायी इनोवेशन’ नामक फर्म को तबदील कर दी गई थी। यह प्लॉट फिर पीऐसआईडीसी से एतराजहीनता सर्टिफिकेट प्राप्त करने के बाद सिगनीफायी इनोवेसनज ने सेल डीड के द्वारा गुलमोहर टाउनशिप को बेच दी थी। तत्कालीन उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने तारीख़ 17-03-2021 को उक्त प्लॉट की आगे विभाजन के लिए गुलमोहर टाउनशिप से प्राप्त पत्र उस समय की एमडी पीऐसआईडीसी को भेज दिया। उन्होंने आगे बताया कि एम. डी., पी. एस. आई. डी. सी ने इस रियलटर फर्म के प्रस्ताव की जाँच करने के लिए एक विभागीय कमेटी का गठन कर दिया जिसमें एस. पी. सिंह कार्यकारी डायरैक्टर, अंकुर चौधरी अस्टेट अफ़सर, भाई सुखदीप सिंह सिद्धू, दविन्दरपाल सिंह जी. एम परसोनल, तेजवीर सिंह डी. टी. पी., (अब मृतक), जे. एस भाटिया चीफ़ जनरल मैनेजर (योजना), आशिमा अग्रवाल ए. टी. पी. (योजना), परमिन्दर सिंह कार्यकारी इंजीनियर, रजत कुमार डी. ए और सन्दीप सिंह एस. डी. ई शामिल थे।

सरकारी पद का दुरुपयोग करने के दोष में पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम के 7 अधिकारियों/कर्मचारियों को किया गिरफ़्तार, धोखाधड़ी करने के दोषों के तहत तीन टाऊन डिवैलपरों को भी किया नामज़द

उन्होंने बताया कि एसपी सिंह के नेतृत्व वाली कमेटी ने इस सम्बन्ध में प्रस्ताव रिपोर्ट, प्रोजैक्ट रिपोर्ट, आर्टीकल आफ एसोसिएशन और एसोसिएशन के मैमोरंडम का नोटिस लिए बिना उपरोक्त रियलटर फर्म को 12 प्लॉटों से 125 प्लॉटों में बाँटने के प्रस्ताव को मंज़ूरी के दी। इसके इलावा उक्त कमेटी ने पंजाब प्रदूषण रोकथाम बोर्ड, नगर निगम, बिजली बोर्ड, वन विभाग, राज्य फायर ब्रिगेड आदि की सलाह लिए बिना ही गुलमोहर टाउनशिप सम्बन्धी प्रस्तावों की सिफ़ारिश मंजूर कर दी थी। प्रवक्ता ने बताया कि फोरेंसिक साईंस लैबारटरी की जांच के दौरान यह पाया गया है कि उक्त प्रस्ताव की फाइल में नोटिंग के दो पन्ने फाइल में जुड़े बाकी पन्नों के साथ मेल नहीं खाते। यह पाया गया कि उक्त कमेटी सदस्यों ने जाली दस्तावेज़ संलग्न किये हैं और उक्त आवेदन/प्रस्ताव की अच्छी तरह जांच नहीं की।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि साल 1987 की डीड अनुसार यह प्लॉट सिर्फ़ औद्योगिक उद्देश्यों के लिए ही इस्तेमाल किया जाना था जबकि उक्त गुलमोहर टाउनशिप की ऐसी कोई पृष्टभूमि नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि पी. एस. आई. डी. सी. के नियमों अनुसार साल 1987 से प्लॉटों की फीस 20 रुपए प्रति गज और 3 रुपए प्रति साल के हिसाब से वसूली जानी थी, जो कि कुल 1,21,000 वर्ग गज के लिए कुल 1,51,25,000 रुपए बनती थी। परन्तु हैरानीजनक बात यह रही कि दोषी फर्म ने पहले ही आवेदन के साथ 27,83,000 रुपए का पे आर्डर साथ संलग्न कर दिया था जबकि पी. एस. आई. डी. सी. द्वारा ऐसी कोई भी माँग नहीं थी की गयी जिस कारण पंजाब सरकार को 1,23,42,000 रुपए का वित्तीय नुकसान हुआ है।

उन्होंने बताया कि पड़ताल के दौरान पाया गया कि यदि यह प्लॉट राज्य सरकार की हिदायतों/नियमों अनुसार बेचा जाता तो सरकार को 600 से 700 करोड़ रुपए की आय होनी थी। गुलमोहर टाऊनशिप की तरफ से 125 प्लॉटों की बिक्री के समय किसी भी खरीददार पक्ष से कोई प्रस्ताव रिपोर्ट, प्रोजैक्ट रिपोर्ट, आर्टीकल आफ ऐसोसीएशन और मैमोरंडम आफ ऐसोसीएशन की माँग नहीं की गई और सभी प्लॉट ग़ैर-कानूनी ढंग से बेचे गए।

उन्होंने बताया कि ऐसा करके उपरोक्त कमेटी सदस्यों, जिनमें तत्कालीन एम.डी. नीलिमा और पूर्व मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा शामिल थे, ने आपस में मिलीभुगत करके अपने पद का दुरुपयोग करते हुये गुलमोहर टाऊनशिप कंपनी के मालकों/डायरैक्टरों जगदीप सिंह, गुरप्रीत सिंह और राकेश कुमार शर्मा को ग़ैर-वाजिब ढंग से फ़ायदा पहुँचाया। इस सम्बन्धी पंजाब पी. एस. आई. डी. सी. के उपरोक्त सभी दोषी अधिकारियों/ कर्मचारियों, नीलिमा और पूर्व मंत्री के खि़लाफ़ विजीलैंस ब्यूरो के थाना मोहाली में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून की धारा 13 (1) (ए), 13 (2) और भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 465, 467, 468, 471, 120-बी के अंतर्गत केस दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान दूसरे व्यक्तियों की भूमिका की भी जांच की जायेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here