नगर निगम में हाउस की बैठक: छज्ज तां बोले, छानणी क्यूं बोले, ये शब्द किसने किसको कहे!

नगर निगम के बैठक हाल में हाउस की जरनल मीटिंग थी। इस दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के पार्षदों में जमकर तूं-तूं, मैं-मैं हुई और थोड़ी बहुत नोंक-झोंक के बाद बैठक शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई। इस दौरान कुछेक पार्षद इतना जोर लगाकर बोल रहे थे कि उनका आवाज़ दरवाजे बंद होने के बावजूद बाहर खड़े लोगों को सुनाई दे रही थी।

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नोंक-झोंक के दौरान एक पार्षद जब अपनी बात रख रहे थे तो उसी दौरान एक अन्य पार्षद ने उनकी बात को टोकने का प्रयास किया और अधिकारी या मेयर के जवाब देने से पहले ही बात कर रहे पार्षद को संतुष्ट करने हेतु उसकी बात को टोकने लगे। लेकिन अपनी बात रख रहे पार्षद ने जब जोर से कहा कि छज्ज तां बोले, छानणी क्यूं बोले तो हाउस में और पार्षदों ने जहां इस बात को लेकर खूब चुटकी ली वहीं बात काटने वाले बात को पूरा करने से पहले ही चुप हो गए।

अब ये शब्द किसने कहे, ये तो अंदर वाले ही जानें, लेकिन इतना जरुर है कि किसी विपक्ष में बैठे पार्षद ने बात कही होगी और उसकी बात को काटने वाला सत्तापक्ष का रहा होगा, अन्यथा ये शब्द कहने की नौबत न आई होती। खैर बाहर खड़े हमारे एक पत्रकार के कान में जब ये शब्द पड़े तो उसने कई पार्षदों से पूछने का प्रयास किया कि, बैठक दौरान उक्त शब्द किसने किसको कहे और किस बात को लेकर कहे। तो सभी ने हंसकर बात को टालने में ही भलाई समझी और मुस्कुराते हुए सीढिय़ां उतर गए।

लेकिन इतना जरुर है कि इन शब्दों को एक दूसरे से सांझा करते हुए कुछेकों में हंसी मजाक का दौर काफी देर तक जारी रहा।

फिर वही सवाल, किसने कहा, किसको कहा, नाम बता दो। अरे भाई मैंने आजतक कुछ बताया है, जो आज बताउंगा। आप बस चुटकी लीजिए और तौबा करें कि किसी की बात नहीं काटोगे। अपनी सुनाओ तो दूसरे की सुनने की भी हिम्मत रखें। मुझे दें इजाजत, जय राम जी की।

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