नगर निगम होशियारपुर की बैठक में पुलिस की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठे। विपक्ष में बैठे कुछेक पार्षदों ने बैठक के बाद इसका विरोध जताया। उनका कहना था कि पुलिस को विपक्षी पार्षदों की आवाज दबाने हेतु दवाब बनाने के लिए बिठाया गया होगा। क्योंकि इससे पहले कभी भी कोई पुलिस अधिकारी हाउस की बैठक में नहीं बैठा।
लालाजी स्टैलर की चुटकी
विपक्षी पार्षदों में चर्चा थी खासकर भाजपा से संबंधित पार्षदों में कि पूर्व मंत्री तो दवाब बनाने के लिए पुलिस का डर दिखाता था, अब ये थी। हालांकि ये भी से उनका अभिपर्य जिस नेता से था, वे बैठक में मौजूद नहीं थे। लेकिन कहा यही जा रहा था कि उनके इशारे पर ही पुलिस यहां पहुंची होगी। अन्यथा बैठकें तो इससे पहले भी बहुत हुई हैं। मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारी ने सुरक्षा कारणों से अपनी उपस्थिति बताई तो निगम अधिकारियों ने भी सुरक्षा का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया।
लेकिन चर्चाओं का बाजार कहां थमता है। पहले वाला और इस वाले में क्या अंतर को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष में भी नोंकझोंक देखने को मिली। किस-किस ने क्या कहा, किसका नाम लिया और किस अधिकारी ने पल्ला झाड़ा। ऐसे सवाल न किया करें। आप मुझसे ज्यादा समझदार हैं और सारी बात को समझ ही गए होंगे कि पहला कौन और अब वाला कौन। मेरे मुंह से जरुर सुनना है आपने। बाकी राजनीति का खेल है, जो सत्ता में होता है वो अपनी तो चलाता ही है। वैसे अंदर बैठे अधिकतर पार्षद सत्ता सुख भोग चुके हैं और वे इस बारे में बेहतर जानते हैं। वैसे बदलाव की बात तो यही करते थे। अब ये जाने या जनता। मुझे दें आज्ञा। जय राम जी की।