हमारे अंधविश्वास की पैदावार हैं आसाराम, रामपाल और गुरमीत राम रहीम जैसे तथाकथित संत

Be-Aware-Tathakatit-Sant.jpg

दो दिन पहले मैंने एक लेख लिखा था कि किस प्रकार तथाकथित संत लोगों की धार्मिक आस्था का नाजायज फायदा उठाकर लोगों की एवं सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के हथकंडे अपना रहे हैं और हमारा अंधविश्वास उनके हौंसले कैसे बुलंद कर रहा है। इस लेख से मेरे कई अपने व करीबी दोस्त बहुत नाराज़ भी हुए। मगर, सत्य तो यह है कि संतों के भेष में अपने डेरे व धार्मिक स्थलों की मान्यता पुरातन से चले आ रहे धार्मिक स्थानों से अधिक बताकर जनता की जेब कैसे ठीली की जानी है इसमें यह लोग इतने माहिर हो चुके हैं कि देखते ही देखते तथाकथित संत का डेरा, आश्रम, मसीत व अन्य प्रकार का धार्मिक स्थाल देखते ही देखते ही कब बहुमंजिला इमारत में बदल जाता है इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता। परन्तु विडम्बना यह है कि हम सभी लोग आसाराम, रामपाल और गुरमीत राम रहीम सिंह और इन जैसे तथाकथित संतों की कथनी और करनी से वाकिफ होने के बावजूद भी अंधविश्वास और भेड़चाल के चलते देखा-देखी ऐसे तथाकथित संतों को प्रोत्साहन देने लगते हैं, जो आगे चलकर हमारे ही शोषण का कारण बनता है।

Advertisements

अगर ध्यान पूर्वक अध्ययन किया जाए तो भारतीय संस्कृति में भगवे चोले का बहुत आदर सम्मान किया जाता है तथा लोग उस चोले के पीछे छिपे इंसान की असलीयत को जानना जरुरी नहीं समझते। मगर अब समय आ चुका है कि भगवें-सफेद चोले और खुद को संत व आध्यात्मिक गुरु कहलवाने वाले लोगों का खुद का क्या चरित्र है इसके बारे में भी हमें खोज कर लेनी चाहिए। मात्र मेरा दोस्त उस संत के पास जाता है या आपको एक ऐसी जगह लेकर जाऊंगा कि वहां मन को शांति बहुत मिलती है कह देने वालों के साथ जाकर वहां पर अपनी आस्था का दिखावा करना हमारी मूर्खाता से अधिक कुछ भी नहीं है।

हाल ही में गुरमीत राम रहीम सिंह की पोल खुलने और उसके काले कारनामे जनता के समक्ष आने के बाद से ही जहां संतों के चोले में छिपे तथाकथित संतों को लेकर लोगों को जागरुक होना चाहिए था वहीं इससे उल्ट अधिकतर लोग आज भी अंधविश्वास और अंध भक्ति तथा तथाकथित संतों पर विश्वास करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते हमारी धार्मिक आस्था के साथ सरेआम खिलवाड़ बढ़ता जा रहा है।

कुछ दिन पहले मेरे एक दोस्त ने मुझे बताया कि एक बाबा जी बहुत करनी वाले हैं तथा उन्हें सपना आया था कि फलां जगह पर फलां देवता का स्थान है तथा वे वहां पर भक्ति करने आ गया था। मगर, स्थानीय लोगों से मिली जानकारी अनुसार बाबा जी ने ऐसा आडंबर रचा कि देखते ही देखते कई अमीरजादे व असर रसूख वाले बाबा जी के चेले बन गए और एक कमरे का आश्रम बड़े महल में तबदील हो गया। जिस स्थान पर वह स्थान बना है वह किसी के द्वारा दान की गई भूमि नहीं बल्कि सरकारी जमीन है, जिस पर एक सोची समझी साजिश के तहत कब्जा किया जा रहा है बल्कि मैं तो इसे नाजायज कब्जा कहने से भी संकोच नहीं करुंगा।

इस स्थान की बात छोड़ दें तो होशियारपुर-दसूहा मार्ग पर पड़ते एक गांव में कुछ लोगों ने गांव के ही एक परिवार से सडक़ किनारे यह कहते हुए मात्र 4*4 फीट की जगह दान में मांगी थी कि यह उनके किसी देवता का स्थान है। आज अगर उस स्थान को देखा जाए तो 4*4 से शुरु हुआ जमीन पर कब्जे का खेल आज कई फीट में बदल चुका है तथा जमीन के मालिक द्वारा जगह खाली किए जाने पर इसे धार्मिक मुद्दा बनाकर उछालने से भी परहेज नहीं किया जा रहा। ऐसे में धार्मिक आस्था की आड़ में चल रहे गौरखधंधे को समझना हम सभी के लिए उतना ही अच्छा व जरुरी है जितना कि ऐसे तथाकथित संतों और खुद को परमात्मा का संदेशवाहक कहने वाले लोगों को समाज से बाहर का रस्ता दिखाना है। शेष अगले अंक में…

संदीप डोगरा, संपादक, द स्टैलर न्यूज़

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here