सरकारें जनता को कोई भी आदेश देने से पहले सौ बार सोचें: लक्ष्मीकांता चावला 

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अमृतसर (द स्टैलर न्यूज़)। दीपावली से दो सप्ताह पहले ही सरकारों का यह आदेश और उपदेश शुरू हो गया कि दीपावली के दिन रात्रि केवल आठ से दस बजे तक पटाखे चलाए जाएंगे। मैं मानती हूं कि पटाखे चलाना न वातावरण के लिए अच्छा है और न ही स्वास्थ्य के लिए। फिर भी अगर त्यौहार को लोग पटाखे चलाते हैं तो सरकारों को यह जान लेना चाहिए कि अधिकतर लोग दीपावली पूजन के बाद ही पटाखे चलाते हैं और दस बजे तक सभी घरों में पूजा संपन्न नहीं होती। उसके बाद जोर शोर से पटाखे चलते हैं। डिप्टी कमिश्नर अमृतसर से लेकर पंजाब सरकार और भारत के सुप्रीम कोर्ट तक ने यह सलाह दी कि पटाखे कम चलाए जाएं, न चलाएं जाएं और समय भी तय किया गया, पर हर वर्ष की तरह इस बार भी इन सरकारें उपदेशों आदेशों की पूरी तरह धज्जियां उड़ गईं।

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एक तो सरकार को जन जीवन से परिचित होना ही चाहिए। दूसरा जब तक जनता जागरूक नहीं होगी तब तक पटाखों का प्रयोग कम हो नहीं सकता। कल दीपावली की रात देश में सैकड़ों स्थानों पर पटाखों से आग लगी। अरबों रुपयों की संपत्ति तथा जीवन की भी कुछ हानि हुई, पर पटाखे बनते भी हैं, बिकते भी हैं। वहां पर सरकारें क्यों नहीं रोकतीं। अब देश के पांच राज्यों में चुनाव हो रहे हैं। क्या सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि चुनाव में जीतने वाले पटाखे नहीं चलाएंगे। यथा राजा तथा प्रजा तो होगा ही।

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