भगवान हमें सुखी करना चाहते हैं तन से भी और मन से भीःआचार्य चंद्र मोहन

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में धार्मिक सभा के दौरान प्रवचन करते हुए मुख्य आचार्य चंद्र मोहन ने कहा कि हम गुरु को सर्वमान्य धारण करते हैं। यह मुश्किल काम है। क्योंकि  मन जो है वह अस्थिर है, परंतु गुरु के वचनों पर चलना तो उससे भी ज्यादा मुश्किल है। जो गुरु को हर समय याद भी करते हैं पर वह गुरु के शब्दों पर प्राय चलते नहीं है। इसलिए हमें दो बातें अमल में जरूर लानी चाहिए कि गुरु के  हम सदा अनुयाई रहे। इधर-उधर हम दौड़ भाग ना करें। नहीं तो भटक जाएंगे। उन्होंने कहा कि योगाचार्य सदगुरु देव चमन लाल जी महाराज कहां करते थे कि गलत मार्ग पर चलोगे तो पाप की कमाई कर सकते हैं, अगर आपने इस बात को मन में लाना है तो एक दृष्टांत को अपनाना होगा। एक स्वामी तथा उसका कुत्ता है। दोनों का आपसी संबंध देखिए। वह हर समय अपने मालिक के पीछे-पीछे रहता है और उसके इशारे पर चलता है। अगर किसी वक्त वह मालिक से बिछड़ जाए तो उसका देखो क्या हाल होगा।

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इस बात को अगर हम याद रखें तो हम प्रभु के चरणों को कभी नहीं छोड़ेंगे। वह अगर कहीं और जाएगा तो लोग उसे दुत्कारेगें ‘ कोई उसे नजदीक नहीं आने देगा ‘ उसकी दुर्गति होगी। कहा मलिक उसको प्यार करता था कहां सब उसको दूर कर रहे हैं। साथी कुत्तों के साथ मिल जाएगा तो वह उसे खाने को दौड़ेंगे। इसलिए हमें भी स्थिरता पूर्वक अपने प्रभु की शरण में रहना चाहिए। किसी भी वजह से उनका ध्यान , ज्ञान , शिक्षा पर हम चलते हुए उनको कभी ना छोड़े। परिपक्व रहे। तभी हमारे मन से सभी संशय दूर होंगे। भगवान हमें सुखी करना चाहते हैं। तन से भी और मन से भी। वह हमारे रोगों तथा चिताओं को दूर करना चाहते हैं।

आजकल बीमारियों का कारण भी घबराहट तथा बेचैनी बताई जाती है। बाहर के लोग इस स्ट्रेस कहते हैं। इसका मतलब यह है की मन से भी रोग पैदा होते हैं। योग के हठयोग में शरीर के साधन बताए हैं व राजयोग में मन की शांति के साधन बताए गए हैं। अगर हम मन से संतुष्ट रहेंगे तो हमें रोग नहीं लगेंगे। हमें स्ट्रैस के कारणो को दूर करना होगा। हृदय की बीमारी अक्सर मन से पैदा होती है और रक्त चाप भी इससे पैदा होता है। ससे भूख भी नहीं लगती। यह तीन कारणो से पैदा होते हैं। एक कारण शरीर है जिससे हमें घबराहट आती है। बीमारी आएगी तो टेंशन रहेगी। हम शरीर के साधन करें ताकि रोग पैदा ही ना हो। अगर स्वस्थ रहेंगे तो मन खुश रहेगा। इससे कई बीमारियां नहीं होगी। दूसरा कारण हमारा पारिवारिक कारण है। परिवार की कई परिस्थितियों के कारण भी हमारा मन परेशान रहता है। इसलिए प्यार से परिवार में रहना चाहिए। अपना स्वभाव ऐसा बनाओ कि किसी के साथ टकराव की स्थिति न पैदा हो। आय से ज्यादा खर्च न होने दे। योग में इसका इलाज अपरिग्रह बताया गया है। तीसरा सामाजिक कारण भी है। हम सामाजिक कारणो  के कारण बहुत बीमार हो रहे हैं। हम दिखावे में पड रहे हैं। इससे हमें बचाना होगा।

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