संतों का अवतार परोपकार के लिए होता है: नील कंठ शास्त्री

जनौड़ी (द स्टैलर न्यूज) रिपोर्ट: राकेश भार्गव। होशियारपुर के प्रसिद्ध गांव जनौड़ी के सिद्धेश्वर श्री बाबा श्रवण नाथ जी महाराज के पावन दरबार में वैशाखी के उपलक्ष्य में होने वाले चार दिवसीय धार्मिक कार्यक्रम के पहले दिन बाबा जी की पवित्र ज्योति विधीवत बड़ी श्रद्धा एवं भक्ति से प्रज्वलित की गई। उत्तरी भारत के प्रसिद्ध कथाकार नीलकंठ शास्त्री मुरली वाले ने माता के नवरात्रों की सभी को बधाई देते हुए राजा रघु की कथा का प्रसंग सुनाया। उन्होंने बताया कि बचनों की पालना करते हुए अपनी चार रानियां छोड़ कर राजा रघु वन को चले गए। रात्रि को जिस वृक्ष के नीचे लेटे थे,बहां एक अजगर वृक्ष पर रहने वाले हंसों के बच्चों को खाने आया।

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जिसे रघु ने मार दिया।सांप के लहू के छींटें राजा रघु पर पड़ गए।हंस हंसिनी आए तो उन्होंने समझा कि इस व्यक्ति ने उनके बच्चे मार दिए हैं। इसलिए क्यों न इसकी आंखें निकाल दी जाएं।तब बच्चों ने बताया कि इसी ने तो उनकी जान बचाई है। तब ब्रह्मा जी से लाए दो अमर फलों में से एक उन्होंने राजा रघु को दे दिया। कथा व्यास ने संतों के जीवन की व्याख्या करते हुए कहा कि उनका जीवन तो परोपकार के लिए होता है। उन्होंने कहा कि आज बहुत से लोगों ने इस पवित्र चोले को बदनाम कर दिया है। इस मौके अन्य के अलावा जोगिंदर सिंह, सुमीर, सुखवीर सिंह, नरेंद्र शर्मा, सुखदेव, अजमेर सिंह, कुलदीप सिंह, वरूण शर्मा, बलराज वशिष्ठ, मनोहर लाल, फतेह सिंह, जीत राम एवं अन्य भी उपस्थित थे।

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