लोक सभा हलका होशियारपुरः मुरझाया सा दिख रहा कमल, मोदी की उपलब्धियों का गुणगान और सांसद पर चुप्पी

लोक सभा हलका होशियारपुर में इन दिनों कमल का फूल कुछ मुरझाया सा दिख रहा है। राजनीतिक माहिरों की मानें तो इसका कारण साफ है कि भाजपाईयों के पास प्रधानमंत्री मोदी की उपलब्धियों का गुणगान तो है पर उनके पास सांसद की कार्यप्रणाली एवं उपलब्धियों पर चुप्पी है। कोई भी स्वपष्ट रुप से बताने में नाकाम ही साबित हो रहा है कि मौजूदा सांसद ने हलके के विकास के लिए कौन से बड़े प्रोजैक्ट स्थापित किए।

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लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी

भले ही भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं की तरफ से सांसद व केन्द्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश की धर्मपत्नी अनीता सोम प्रकाश को उम्मीदवार घोषित किए जाने पर स्वागत करते हुए बधाईयां दी जा रही हैं, लेकिन साथ ही कार्यकर्ताओं में ही इस बात की चर्चा है कि लोग सांसद की उपलब्धियां पूछते हैं तो हमें कोई बात नहीं सूझती तथा लोगों को देश हित में मोदी जी द्वारा लिए फैसलों को सुनाकर पीछा छुड़ाना पड़ता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि विश्व स्तर पर देश की स्थिति मजबूत हुई है तथा प्रधानमंत्री मोदी द्वारा देशहित में किए जा रहे कार्यों के चलते उनके प्रति लोगों के दिलों में विशेष जगह है। परन्तु भाजपा के बहुत ही कम सांसद हैं जिन्होंने अपने हलके में बड़े प्रोजैक्ट लाकर जनता की भलाई का काम किया है। सड़कें, गलियां एवं नालियों के अलावा किसी स्टेशन का जीर्णोद्वार करवाकर या कोई और छोटा मोटा कार्य करवाए जाने को विकास नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, जनता को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए स्थानीय सरकारें एवं प्रशासन पहले से ही कार्यरत है।

सांसद का कार्य केन्द्र की योजनाओं को जहां जमीनी स्तर पर लागू करवाना होता है वहीं हलके के लिए नई परियोजनाएं लाकर जनता के लिए रोजगार एवं शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी मार्ग प्रशस्त करना होता है। परन्तु यहां एेसा कुछ भी नहीं दिख रहा। जो प्रोजैक्ट लगाए जाने की बात की भी जा रही है, उसे लेकर भाजपा के बड़े नेताओं में पहले ही क्रेडिट वार चल रही है तथा जनता पूरी तरह से कनफ्यूज़ है कि आखिर प्रोजैक्ट ला कौन रहा है तथा वह कहां चल रहे हैं। पिछले 10 साल से भाजपा की सरकार होने के बावजूद भी होशियारपुर हलका नए प्रोजैक्टों को तरस रहा है तथा भाजपाई ये कहते नहीं थकते कि कांग्रेस ने पिछले 70 साल में कुछ नहीं किया पर उन्होंने क्या किया इस पर भी बगले हांकने लगते हैं।

इसलिए राजनीतिक माहिरों के अनुसार अगर कार्यकर्ताओं एवं सांसद के पास उपलब्धियां गिनाने को नहीं है तथा उन्हें मोदी जी के नाम पर चुनाव लड़ना है तो क्यों न फिर मोदी जी को हर सीट से खड़ा कर दिया जाए ताकि लोगों को संतुष्टि एवं आस तो हो कि मोदी जी कुछ तो करेंगे। फिलहाल ये देखना होगा कि आने वाले समय में जनता के मूड़ का ऊंट किस करवट बैठता है और भाजपा की स्थिति क्या रहती है। मगर, फिलहाल तो स्थिति…? वैसे एक बात और है कि जो नेता नाराज हैं वे पार्टी के हित में ईमानदारी से कितने चलते हैं यह भी तो आने वाला समय ही बताएगा। आगे आप खुद समझदार हैं। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

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