आप में घमासानः रब्ब कोलों डर सज्जणा कमैंटां विच साफ-साफ लिखी जांदा। नाले चर्चा, जे जिताउणा कांगरसी नूं तां फेर असली वाले नूं… क्यों ना

चुनाव लोकसभा के हों या विधानसभा के दलबदलने की रीत सदियों से चली आ रही है और मौजूदा समय में इसकी रफ्तार थोड़ी सी तेज जरुर हुई है। हम अकसर आपको अलग-अलग राजनीतिक गलियारों में चर्चित बातों से रूबरू करवाते रहते हैं तथा कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी की चर्चाओं कुछ ज्यादा ही सुर्खियां बटौर रही हैं। जिसके चलते हर किसी को इंतजार रहता है कि चुटकी में नया क्या आएगा। क्योंकि, इन्हीं तीम पार्टियों में मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। हालांकि लाटरी किसी की भी निकल सकती है, इसलिए अकाली दल व बहुजन समाज पार्टी की अनदेखी करना भी बेमाइने होगा। परन्तु उक्त तीनों पार्टियों में लोगों को ज्यादा ही रुची रहती है। इसलिए हमारा भी ध्यान इन्हीं पर केन्द्रीत सा हो जाता है। पिछले दिनों आपको बताया था कि किस प्रकार आम आदमी पार्टी के टकसाली नेताओं और कार्यकर्ताओं पर कांग्रेस से आए हुए नेतागण हावी हो गए तथा पार्टी के लिए मेहनत करने वाला वालंटियर खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है। जिसकी चर्चाएं काफी आम हैं और आप सभी इसके बारे में भलीभांति जानते भी हैं। आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं वह वालंटियरों का दर्द बयान करता एक कमैंट है, जो हमारे द्वारा लिखे गए एक समाचार को पोस्ट करने पर उसके नीचे किसी ने डाला हुआ है।

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लालाजी स्टैलर की चुटकी

रब्ब कोलों डर सज्जणा नाम से पेज़ डलाने वाले ने आप वालंटियरों का दर्द कमैंट में जाहिर करते हुए कांग्रेसियों की सेवा करते रहने की बात कही है। हालांकि हमें नहीं पता कि यह पेज़ कौन चलाता है तथा उसका उद्देश्य क्या है, लेकिन जिस हिसाब से कमैंट डाला गया है उसे पढ़कर कोई निराश वालंटियर ही जान पड़ता है, जिसने शायद पार्टी की मजबूती के लिए विरोधियों से लोहा लिया होगा तथा आज विरोधियों को पार्टी में देख उसकी आत्मा उसे एक बार तो जरुर झंझोड़ती होगी कि आखिर तुमने किसके लिए मेहनत की। खैर ये बातें तो होती रहेंगी।

हमने इस कमैंट में कितनी सच्चाई लिखी गई है, के संबंध में कई वालंटियरों से बात की और उनका कहना था कि “लिखेया तां सच्च ई आ, पर असी हुण कर की सकदे हां, साडे वडे लीडरां ने सारियां नूं मन लिया तां साडी की औकात। असी तां इह सोचदे हां कि जे कांगरसी नूं ही जिताउणा है तां असली नूं ही क्यूं न जिता देइए, आखिर ओह वी तां कदी साडे विच ही सी। मन तनूं तसल्ली तां मिलू कि किसे आपणे नूं जिताइया। पर देखो अगे की हुंदा, आपणे पार्टी लीडरां दी वी तां मनणी पैणी आ।”

उनके निराश मुख से उनके दर्द बयान करते इन शब्दों से कयास लगाया जा सकता है कि अन्य पार्टियों से आने वालों की सेवा का मन अब उनका बिलकुल नहीं है। इसके अलावा कमैंट में भाजपाईयों के स्वागत को लेकर भी लिखा गया है तथा इस बारे में वालंटियरों का कहना है कि “जदों आपणेयां ते भरोसा न होवे तां बेगाने चंगे लगदे आ, पर देख लिओ जिनूं मरजी शामिल कर लो, कम्म वालंटियरां ने इ आउणा अखीर विच। उदा वीं जेहड़ा जिस पारटी विचों आइया होवे उस नूं ओही जियादा चंगे लगदे ने। खैर सानूं की, आपां तां आपणा कम्म करना।”

इस कमैंट को लेकर कुछेक पार्टी पदाधिकारियों से बात की गई तो उन्होंने भी खुली जुबान से कुछ भी कहने से इंकार करते हुए दबी जुबान में कहा कि साडे वी हत्थ खड़े आ, जो पार्टी दी मररजी, सानूं तां पारटी नाल ही चलणा पैणा। ओदां वालंटियर आपणी जगा ते सच्चे आ। माते सब हैं पर बोलने की हिम्मत किसी में नहीं। क्योंकि वह जानते हैं कि अगर वह बोलेंगे तो उनका क्या अंजाम होगा और वैसे भी 2027 तक तो सरकार है ही, फिर खाहमखाह क्यों वैर मोल लेना, इसलिए एक चुप सो सुख कहावत पर अमल करते रहो बस। चलो हमें भी क्या, हमने तो चर्चा को आपके साथ सांझा किया। अब मरजी है आपकी, क्योंकि पार्टी है आपकी और वोट है आपका। अब ये आप कौन है ये मत पूछना। मुझे दें इजाजत। जय राम जी की।

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