पर्यावरण असंतुलन को रोकने के लिए धरती को हरा-भरा रखना जरुरी: साध्वी मीना भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा संरक्षण प्रकल्प के अंतर्गत आज स्थानीय आश्रम गौतम नगर में वन महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वन महोत्सव अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पौधे लगाये गये और श्रद्धालुाओं को पौधे बांटे गये। जिसमें पौधे सम्बन्धी जागरूकता विषय पर श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए श्री आशुतोष महाराज जी शिष्या साध्वी मीना भारती जी ने बताया कि बढ़ता प्रदूषण,घटता जल स्तर,विषाक्त होते जल स्रोत, जलवायु परिवर्तन विलुप्त होती पशु- पक्षियों की प्रजातियाँ,बढ़ती प्राकृतिक आपदाएँ-इन सभी समस्याओं के चलते आज हमारी पृथ्वी का अस्तित्व ही संकट में पड़ गया है। वास्विकता तो यह है कि आज हम ऐसे पर्यावरण संकट से झूझ रहें हैं।

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जिसके लिए यदि अब कुछ नही किया गया तो शायद कल हमारा अस्तित्व ही न हो। इस पर्यावरण संकट का मूल कारण: अज्ञानतावश स्वार्थ से ग्रसित मानव द्वारा प्रकृति का अंधाध्ुांध दोहन है। और यदि आज इस संकट का निर्मूल करना है तो मानव को ही प्रकृति के भक्षण से संरक्षण की ओर बढऩा होगा। हमारी छोटी-छोटी लापरवाही विकट समस्याओं को उत्पन्न कर रही है। अध्यात्म हमें यही सिखाता है कि हम आने बाली पीढियों के लिए स्वस्थ वातावरण प्रकृति के संतुलन को बनाए रखें। हालांकि अब कुछ तकनीकी उन्नति मानव निर्मित चीजें वातावरण को कई प्रकार से विकृत कर रही हैं। पर्यावरण संरक्षण की मुख्य कड़ी मानव है परन्तु आज मानव ही पर्यावरण से अनजान है। यह मुहिम पर्यावरण सन्दर्भ को आम आदमी तक ले जाने का प्रयास है।

साध्वी जी ने कहा के विश्व में प्रकृति प्रकोप के कारण लाखों जानों की क्षति होना सभी राष्ट्रों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील होने की चेतावनी है। आज जहाँ मानव सभ्यता प्राकृतिक असंतुलन की चरम सीमा ‘जलवायु परिवर्तन’ की गम्भीर समस्या से जूझ रहा है ऐसे समय में भी विडम्बना यह है कि मानव पर्यावरण की इस बढ़ती समस्या के पूर्ण स्वरूप से अभी भी अनजान है। उन्होंने कहा कि इस अनजानेपन के चलते ही विभिन्न योजनाओं के बाद भी पर्यावरण एवं प्राकृतिक संसाधनों का क्षय हो रहा है। मानवीय समाज को बचाने के लिए शीघ्र ही कोई ठोस निवारण ढूंढने की आवश्यकता है क्योंकि महापुरुषों का कथन है जब वातावरण दूषित हो जाए और विचार बिगड़ जाते हैं तो मनुष्य पथ भ्रष्ट हो जाता है।

 

हमें प्रारम्भ आज से ही करना पड़ेगा क्योंकि यह समस्या व्यक्ति विशेष की नहीं हैं अपितु पूरे मानव समाज की है। अंत में उन्होने क हा कि पर्यावरण की सुरक्षा हम सभी के लिए गंभीर मुद्दा हैं। जो कि सभी कि निरंतर प्रयासों हल होगा। इसलिए वर्षा जल संरक्षण करना, पानी की बर्बादी को कम करना, बिजली का कम उपयोग, वृक्ष लगाना इत्यादि हमारा कर्तव्य हैं। तांकि हमारी आने बाली नस्लें स्वस्थ वातावरण में रहें।
इस अवसर पर विशेष रूप सें कैलाशपति शिव मंदिर के प्रधान चमन लाल और भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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