चंडीगढ(द स्टैलर न्यूज़)। राज्यभर में ग़ैर-योजनाबद्ध ढंग से होते निर्माण पर रोक लगाने के लिए मंत्रीमंडल ने 19 मार्च, 2018 से पहले विकसित हुई अनाधिकृत कलोनियों को नियमित करने संबंधी नीति को परवानगी दे दी है। इस बारे फ़ैसला आज सुबह यहाँ मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रीमंडल की मीटिंग के दौरान लिया गया।
इस फ़ैसले से सरकार द्वारा अनाधिकृत कलोनियों या प्लाटों/इमारतों को कम्पाउंड करने के लिए पहले से जारी नीतियों के अधीन जो कोलोनाईजऱ और निवासी अप्लाई करने से वंचित रह गए थे, और जिनके आवेदन विचार अधीन हैं, उनको एक और मौका दिया जा रहा है। मंत्रीमंडल ने फ़ैसला किया कि 19 मार्च, 2018 के बाद बनी अनाधिकृत कालोनी के मालिक और नियमित करवाने के लिए अप्लाई न करने वालों के खि़लाफ़ सख़्त कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक प्रवक्ता के मुताबिक यह नीति इन कलोनियों में रहते निवासियों को प्राथमिक सहूलतें जैसे कि पानी की सप्लाई, सिवरेज, बिजली और ज़रूरी सडक़ें मुहैया करवाएगी। इस नीति की मुख्य विशेषताओं का जि़क्र करते हुए प्रवक्ता ने बताया कि 19 मार्च, 2018 से पहले बनाईं गई अनाधिकृत कलोनियां नियमित की जाएंगी, पहली नीतियों के अंतर्गत भुगतान किये रैगूलराईजेशन चार्जिज़ को एडजस्ट किया जायेगा। किसी विशेष कालोनी से प्राप्त चार्जिज़ का प्रयोग सिफऱ् उस ख़ास कालोनी को प्राथमिक सहूलतें मुहैया करवाने के लिए ही किया जायेगा। इसका भुगतान किश्तों में होगा।
-19 मार्च, 2018 से पहले विकसित हुई अनाधिकृत कलोनियां और प्लाट/इमारतें नियमित होंगी
अनाधिकृत कलोनियों में पड़ते प्लाटों और कलोनियों को नियमित करने के लिए अफसरों की समितियाँ गठित की जाएंगी। रैज़ीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन कालोनी को नियमित करवाने सम्बन्धी अपना आवेदन दे सकती है। जिस जगह पर लाजि़मी होगा और सडक़ें/पार्कों के अधीन आती भूमि सम्बन्धी लोकल अथॉरिटी /डिवैल्पमैंट अथॉरिटी के नाम पर ट्रांसफर की जाएंगी जोकि उस कालोनी को रैज़ीडैंट वैल्फेयर एसोसिएशन बनने के उपरांत रख -रखाव करने के लिए ट्रांसफर होंगी। जब तक रैज़ीडैंट वैलफेयर एसोसिएशन गठित नहीं होती, उस समय तक रख -रखाव की जि़म्मेदारी कोलोनाईजऱ की होगी। अनाधिकृत कलोनियों को चार श्रेणियों में बँाटा गया है जैसे कि जहाँ 25 प्रतिशत प्लॉट बेचे गए हैं, जहाँ 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत प्लाट बेचे गए हैं, जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक प्लाट बेचे गए हैं, ख़ास कालोनी जिसमें 75′ से अधिक क्षेत्रफल बना हो।
यदि कोलोनाईजऱ द्वारा इकरारनामे ही बिक्री के सबूत के तौर पर पेश किये गए हैं तो निवेशक अस्थायी रैगूलराईज़ेशन सर्टिफिकेट की मंजूरी के 3 महीनों के अंदर तसदीकशुदा इकरारनामा पेश करेगा। कोलोनाईजऱ की तरफ से डिमांड नोटिस के अनुसार पूरी रकम जमा करवाने पर उसके खि़लाफ़ कानूनी कार्यवाही नहीं की जाएगी। इसके अलावा बकाया अदायगी पर ब्याज नहीं वसूला जाएगा। एक अन्य फ़ैसले में मंत्रीमंडल ने ऑर्डीनैंस के द्वारा पंजाब गुड्ज़ एंड सर्विसिज़ टैक्स एैक्ट -2017 को सुधारने का फ़ैसला किया है जिससे न्यूनतम कागज़ी कार्य के साथ टैक्स की रिटर्न भरने और अदायगी की प्रक्रिया को आसान बनाया जा सके।