हल्का शाम चौरासी: कांग्रेस को कहीं भारी न पड़ जाए ‘ओवर कॉनफिडैंस’

एडीटर ओपीनियन: संदीप डोगरा
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एक तरफ भले ही कांग्रेस पार्टी प्रदेश में सरकार बनाने के दावे करती हो, परन्तु होशियारपुर में कांग्रेस की कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां भले ही कांग्रेस की हवा मानी जा रही हो, परन्तु शाम चौरासी से पार्टी की मौजूदा स्थिति को दरकिनार करके पार्टी का ओवर कॉनफिडैंस कहीं पार्टी के लिए भारी न पड़ जाए। इसे लेकर जहां पार्टी के कुछ नेता व कार्यकर्ता काफी चिंतित हैं वहीं सूत्रों की मानें तो पार्टी उम्मीदवार खुद की स्थिति अकाली व आप उम्मीदवार से बहुत ही स्ट्रांग मानता हो, मगर जमीनी स्तर व हकीकत पर नजर दौड़ाई जाए तो हल्का लंबे समय तक अकालियों के अधीन रहने के चलते उसे जीतना इतना आसान भी नहीं होगा। ऊपर से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार द्वारा किए गए चुनाव प्रचार का भी दोनों पार्टियों पर असर पडऩा स्वभाविक है तथा इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि मौजूद समय में आप की स्थिति हल्के में मजबूत मानी जा रही है।(द स्टैलर न्यूज़)

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रही बात कांग्रेस की तो कांग्रेसी कार्यकर्ता और आम लोग इस बात से ही काफी समय तक अंजान ही रहे कि उनका उम्मीदवार कौन होगा। कुछेक जहां इस हल्के से मैडम सोतष चौधरी को उम्मीदवार के तौर पर देख रहे थे तो कुछेक का मानना था कि पूर्व विधायक चौधरी राम लुभाया को पार्टी द्वारा चांस दिया जाएगा, मगर उनकी सेहत ठीक न होने के चलते यह संभव नहीं हो सका। (द स्टैलर न्यूज़) इसके अलावा जसपाल सिंह पाल भी पार्टी टिकट के लिए उम्मीदवारी जताते रहे हैं। इसके अलावा कुछेक अन्य नेता भी टिकट की आस लगाए हुए थे। जो टिकट न मिलने के बाद अन्य पार्टियों के संपर्क में बताए जा रहे हैं। जिससे कांग्रेस को भीतरीघात की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। अगर ऐसा होता है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस का ओवर कॉनफिडैंस इसके लिए किसी अभेद तीर से कम नहीं होगा।(द स्टैलर न्यूज़)

इतना ही नहीं कार्यकर्ताओं का यहां तक भी कहना है कि इन दिनों उनका उम्मीदवार उनसे मिलना तो दूर उनके फोन का जवाब भी नहीं देता तथा मैसेज छोड़े जाने के बाद भी उनके साथ बात की जानी जरुरी नहीं समझी जा रही। जिसके चलते उनके मन में रोष पनपना शुरु हो गया है। वैसे भी पिछले 10 सालों में अकाली राज में इलाके की कांग्रेसियों द्वारा कितनी सुधी ली गई इससे लोग भलीभांति वाकिफ हैं। अब यह तो वक्त ही बताएगा कि ऊंट किस करबट बैठेगा, परन्तु समय रहते अगर कांग्रेसियों ने हल्के में पकड़ मजबूत करने के लिए सुधारों की तरफ ध्यान न दिया गया तो ओवर कॉनफिडैंस इनको भारी भी पड़ सकता है।(द स्टैलर न्यूज़)

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