बछवाड़ा/बेगूसराय (द स्टैलर न्यूज़),रिपोर्ट: राकेश कुमार। जिसकी लाठी उसकी भैंस वाली कहावत को हू-ब-हू चरितार्थ करती दियारा की वारदात पर बेबस पुलिस कि कहानी प्रखंड क्षेत्र में तो जगजाहिर है ही, मगर शायद जिले के पुलिस कप्तान एवं सरकार के कार्यशैली व ईमान में भी लगातार हो रही गोलियों की गर्जन एवं माह भर में आधे दर्जन मौत के कारण बट्टा लगता दिख रहा है। दियारा के चमथा से लेकर श्रवणटोल तक यूं तो अधिकतर गोलीबारी गैरमजरूआ भूमी पर कब्जे जमाने हेतु बर्चस्व के कारण हीं होती है। गौरतलब है कि इसी दियारा के चमथा गांव में पुर्व मुख्य सचिव एवं वर्तमान मुख्यमंत्री के मुख्य सलाहकार अंजनी कुमार सिंह का घर भी है। बावज़ूद इसके कानून व पुलिस व्यवस्था को धत्ता बताते हुए 5 नवंबर को भूमी विवाद एवं बर्चस्व की लड़ाई के कारण हुई भीषण गोलीबारी में एक महिला सहित तीन लोगों की मौत हो गई। वहीं, राजद नेता समेत 5 लोग गंभीर रूप से घायल हो गये। घटना के बाद पिछले 24 घंटों से पुलिस छावनी में चमथा गांव तब्दील है।
जबकि, बछवाड़ा थाना से लगभग 10-15 किलोमीटर दूर 5 पंचायतों के दियारा क्षेत्र में एक अदद पुलिस पिकेट भी नहीं है। घटना को लेकर ग्रामीणों ने बताया कि दियारा क्षेत्र में जब-जब बर्चस्व एवं भूमी विवाद होता है तो पक्षों द्वारा सीमावर्ती क्षेत्र बाढ़, बख्तयारपुर, मेकरा, मोकामा व समस्तीपुर जिले के बदमाशों को लठैत के तौर पर बुलाया जाता है। घटनाओं की इसी कड़ी में 8 जुलाई 2019 को चमथा गोपटोल में भूमी विवाद को लेकर जमकर गोलीबारी हुई। जिसमें अज्ञात अपराधियों द्वारा दियारा के किसान परमानन्द राय के 20 वर्षीय पुत्र गोलु कुमार को गोली मार दी। अचानक हुई गोलियों की गर्जन सुनकर जुटे ग्रामीण दौड़ पड़े। जहां, घायल पड़े किसान पुत्र को ग्रामीणों ने आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बछवाड़ा में भर्ती करवाया।
जहां, चिकित्सकों ने प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर ईलाज हेतु सदर अस्पताल बेगूसराय रेफर कर दिया है। दियारा के दादुपुर पंचायत स्थित भगवानपुर में विगत 2 अप्रैल को लालो राय एवं चमरू राय को भूमी विवाद एवं बर्चस्व को लेकर अपराधियों नें मौत के घाट उतार दिया। इसके ठीक बाद 16 अप्रैल को इसी गांव के जुगो राय को कृषि कार्य में व्यस्त रहने की अवधि में अपराधियों नें अपनी गोली का शिकार बनाया था। उपरोक्त घटनाएँ तो उदाहरण मात्र है। साल भर में ऐसी-ऐसी दर्जनों घटनाएँ होती हीं रहती है, जिसमें, दर्जनों लोगों की मौत एवं कई लोग घायल होकर बर्चस्व की लड़ाई एवं भूमी विवाद कि भेंट चढ़ जाते हैं।
इस प्रकार के विवाद का कारक प्रशासनिक अपराधियों को भी ठहराया जा सकता है ज्ञात हो कि दियारा निवासी नुनु यादव वनाम रामकरण यादव का भूमी विवाद का मामला डीसीएलआर तेघरा के न्यायालय में चार-पाँच वर्षों से लंबित है। वहीं, विशनपूर निवासी भूजन राय ने बताया कि भूमी विवाद का मामला अनुमंडल कोर्ट में वर्ष 2001 से ही लंबित है। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा हर वर्ष फसल की बुआई की जाती है। मगर, गांव के ही कुछ लोग बाहरी बदमाशों का सहारा लेकर फसल लूट लेते हैं। अनुमंडल कोर्ट, डी.सी.एल.आर. तेघरा एवं प्रशासनिक अपराधियों द्वारा समय रहते अगर भूमी विवाद का निपटारा कर दिया जाता तो इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता था।