टांडा उड़मुड़( द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रिषीपाल। एक तरफ जहां किसान नाड़ को आग लगाकर पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं वहीं कई किसान इसके विपरीत नाड़ न जलाकर फसलें बो रहे हैं। दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हवा के प्रदूषण व किसानों की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली व माननीय सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन कर धान के नाड को लगाई जा रही आग में कुछ किसानों की ओर से हवा को बचाने के लिए भी प्रयत्न किए जा रहे हैं।
यह किसान अपने क्षेत्र में अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इन किसानों में से गांव घुल्लां निवासी किसान जसवीर सिंह, सुखजिंदर सिंह, शौकीन सिंह भी शामिल है जो पिछले 3 वर्षों से बिना नाड जलाए गेहूं की बुआाई कर रहे हैं यह किसान कृषि व किसान भलाई विभाग टांडा के कृषि अफसर डा. सतनाम सिंह व कृषि विकास अफसर टांडा डा. हरप्रीत सिंह के सहयोग से पिछले 3 साल से धान व गेंहू के नाड को आग न लगाकर जमीन में सीधे ही बोआई कर रहे हैं।
इससे एक तरफ पर्यावरण का प्रदूषण नहीं होता दूसरी तरफ से जमीन की सेहत अच्छी रहती है और कम खाद में बढिय़ा झाड़ प्राप्त हो रहा है। यह किसान 40 से 45 एकड़ रकबे में खेती कर रहे हैं जिसमें अपनी 20 एकड़ पुश्तैनी जमीन भी शामिल है। इस किसान की ओर से साल 2018 में कृषि व किसान भलाई विभाग से 50त्न अनुदान पर हैप्पी सीडर की खरीद की गई थी। जिससे इस किसान की ओर से पिछले साल अपनी व अन्य किसानों की जमीनों पर वाजिब शुल्क पर कुल 90 एकड़ जमीन पर धान की नाड को बिना आग लगाए गेहूं की बुआाई की गई थी। इस साल अब तक नाड़ को आग लगाए बगैर अपनी सारी व अन्य किसानों के लिए गेहूं की बुवाई हैप्पी सीडर से की जा चुकी है और आने वाले दिनों में और भी बुवाई की जाएगी। इस संबंध में खेती-बाड़ी अफसर ने किसानों को अपील करते हुए नाड ना जलाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अन्य किसानों को भी जसवीर सिंह व सुखविंदर सिंह जैसे किसानों से प्रेरणा लेकर धान व गेहूं के नाड़ को ना जलाने के लिए कहा।