सोशल मीडिया पर मिली जानकारी: 570 किलोमीटर दूर मदद हेतु रवाना हुए चंडीगढ़ के सोशल वर्कर संजीव राणा

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़)। इंसानियत इंसान को इंसान बना देती है, लगन हर मुश्किल को आसान बना देती है…। यह शब्द एक ईंट शहीद के नाम अभियान के सदस्यों पर एकदम सटीक बैठती हैं। जिन्होंने महज सोशल मीडिया पर एक सूचना को पढ़ा और मदद करने के लिए 570 किलोमीटर दूर मदद करने के लिए रवाना हो गए। इतना ही नहीं उनके साथ जुड़े लोगों ने भी आर्थिक मदद करने के लिए हाथ बढ़ाए।
दरअसल एक ईंट शहीद के नाम अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजीव राणा ने बताया कि कैप्टन क्षितिज शर्मा को पता लगा था कि जयपुर में जाट रेजिमेंट के एक शहीद का परिवार है जो इस समय आर्थिक रूप से कमजोर है और परेशानी में हैं। उनकी सात में से छठे नंबर पर आने वाली बेटी का ब्याह है, जिसकी वजह से वे आर्थिक रूप से परेशान हैं।

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चंडीगढ़ के कैप्टन क्षितिज शर्मा ने इस सूचना को अपनी सोशल मीडिया पर सांझा किया। एक ईंट शहीद के नाम अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजीव राणा ने इस सूचना को पुख्ता किया और इसके बाद शहीद की बेटी की शादी कराने के लिए आर्थिक मदद जुटानी शुरू की। कैप्टन क्षितिज शर्मा, संजीव राणा और प्रोफेसर डॉ. अनिल अंगरीश तीनों ने मिलकर शहीद के परिवार की मदद करने की इच्छा जागी तो दूसरे लोग भी उनके इस पुनीत कार्य में जुट गए। संयोजक संजीव राणा ने बताया कि उन्होंने पता किया कि जम्मू कश्मीर में सन् 2000 में जाट रेजिमेंट का एक सैनिक शहीद हुआ था उसकी सात बेटियां थी, जिनमें से छठी बेटी की शादी होनी है। एक ईंट शहीद के नाम अभियान टीम का कार्य केवल शहीद स्मारक बनाना नहीं है बल्कि शहीदों के परिवारों पर अगर किसी तरह की आपत्ति है या मदद करने की जरूरत है तो वहां भी अभियान के सदस्य एकजुट हैं।

लोगों ने जैसे ही सोशल मीडिया पर इसके बारे में पता लगा तो खुद ही आगे आए और इस पुनीत कार्य में अपना योगदान देने के लिए आगे आए। डा. पवन गोयल शहीद की बेटी की शादी के लिए कन्यादान पहुंचाया। अभियान के तहत तीनों सदस्य सोमवार को 570 किलोमीटर दूर जयपुर परिवार की मदद के लिए रवाना हो गए। डॉ. पवन गोयल ने भी टीम को शुभकामनाएं दी और कहा कि अभियान के सदस्य वास्तव में सेवाभाव से काम कर रहे हैं, जो इतनी दूर तक मदद करने के लिए जा रहे हैं। शहीद के जाने के कुछ दिनों बाद ही लोग उनके कर्ज को भूल जाते हैं। शहीद ही नहीं अगर कोई भी परिवार किसी संकट या किसी आर्थिक दौर से गुजर रहा है तो यह समाज का दायित्व बनता है कि उसकी मदद करने के लिए आगे आए।

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