होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब सरकार द्वारा कोरोना संकट के समय में भी औछी राजनीति करके जनता को गुमराह किया जाना बेहद निंदनीय है तथा पंजाब में सबसे बेहतरीन सरकार स्वास्थ्य सेवाएं होने के बावजूद लोगों को प्राइवेट अस्पतालों में जाने को मजबूर होना पड़ रहा है। जोकि सरकार की विफलता का प्रमाण है। यह विचार भाजपा मंडल अध्यक्ष अश्विनी गैंद व देहाती मंडल के महासचिव व पूर्व सरपंच सुखबीर सिंह नंदन ने आज यहां जारी एक प्रैस बयान में व्यक्त किए। श्री गैंद व नंदन ने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा मैडीकल सेवाओं के लिए 4675 करोड़ बजट में रखे गए हैं। पंजाब का कुल क्षेत्रफल 50 हजार 362 स्केवयर किलोमीटर है, 22 जिलों में एलोपैथी अस्पताल जिला स्तरीय 22, तहसील स्तरीय 42, मैडीकल कालेज व अस्पताल 3, डैंटल कालेज व अस्पताल 2, टीवी अस्पताल 2, कैंसर अस्पताल 2, नशा छुड़ाओ केन्द्र 29, पुनर्वास केन्द्र 20, होम्योपैथी डिस्पैंसरी 111, आयुर्वेदिक एवं यूनानी अस्पताल 5, एलोपैथी डिस्पैंसरी 87, अर्बन प्राइमरी हैल्थ सैंटर 99, अर्बन कम्युनिटी हैलथ सैंटर 13, आयुर्वेदिक व यूनानी डिस्पैंसरी 507, स्वास्थ्य केन्द्र 17, प्राइमरी हैल्थ सैंटर 432, सब सैंटर हैल्थ 2950, स्वास्थ्य एवं तंदरुस्ती केन्द्र 1361, गांवों में कम्युनिटी हैल्थ सैंटर 152 हैं।
इसके अलावा 5-5 गांवों पर एक-एक पीएचसी सैंटर बनाया गया था, जोकि बंद पड़े हैं। गांवों की डिस्पैंसरी में बीपी व शूगर की दवा थी जोकि अब खत्म है तथा सरकार द्वारा एक भी गोली वहां नहीं भेजी गई। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार के पास स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए लंबा चौड़ा इंफ्रास्ट्रकचर तो है पर दवा व सुविधाएं नहीं हैं। जिस कारण लोग सब कुछ होते हुए भी शोषण का शिकार होने को मजबूर हो रहे हैं।
श्री गैंद व सुखबीर ने कहा कि कोरोना आपदा प्रबंधन की बात करें तो पंजाब सरकार के पास 6 हजार करोड़ आपदा प्रबंधन पड़ा है, 247 करोड़ केन्द्र ने दिया, 112 कोविड फंड दिया, 40 से 50 लाख रुपया वेनटीलेटर, एम्बुलैंस, कोविड-19 किट आदि खरीदने के लिए लगता है तथा पंजाब सरकार ने एक भी वस्तु नहीं खरीदी। प्रदेश की जनसंख्या 3 करोड़ 20 लाख के करीब है तथा सरकार द्वारा अघर स्वास्थ्य सेवाओं की तरफ ध्यान दिया जाए तो प्रदेश के लोगों को प्राइवेट अस्पतालों की तरफ मुंह ही न करना पड़े तथा लेकिन पंजाब सरकार की करनी और कथनी में अंतर के चलते लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अगर सरकार अपने द्वारा शुरु किए मिशन फतेह को कामयाब करना चाहती है तो वह अपनी नीति और नीयत साफ करे तथा जनता को बताए कि अब तक कोरोना संकट से जूझने के लिए उसने जमीनी स्तर पर क्या किया और कितना पैसा खर्च किया।
उन्होंने कहा कि 28 अप्रैल 2020 को एक केस कोरोना से संबंधित केस सामने आया था तथा मरीज जालंधर का था और उसका इलाज सीएमसी लुधियाना में चल रहा था। मरीज का बिल 5 लाख रुपये बना था, जिसे मरीज को देने को कहा गया था। बा में उसका क्या हुआ इसके बारे में भी जनता को कुछ नहीं पता। पंजाब के एक गांव में जब कोरोना का केस सामने आया तो उस मरीज को लेने के लिए जो एम्बुलैंस भेजी गई उसकी खस्ताहालत संबंधी सभी जानते हैं और उसके चलते पंजाब की देश-विदेश में अच्छी खासी किरकिरी भी हुई। श्री गैंद व सुखबीर ने बताया कि प्रदेश में सरकारी वेंटीलेटर 110 हैं व प्राइवेट 250 हैं तथा कोरोना आपदा के बावजूद सरकार द्वारा वेंटीलेटर खरीदे जाने जरुरी नहीं समझे जडा रहे। इस आपदा की घड़ी में शहरों में तो सेनेटाइजेशन की तरफ ध्यान दिया गया, लेकिन गांवों की तरफ ध्यान देना जरुरी नहीं समझा गया। एक बार सगांव पंचायतों को दवा देकर खुद ही छिडक़ाव करने की बात जरुर सामने आई और लोगों ने अपने स्तर पर खुद को कवारंटाइन किया। लेकिन सरकार व प्रशासन की तरफ से लोगों की समस्याओं को समझना भी जरुरी नहीं समझा गया। सरकार द्वारा पंचायतों को रुपये खरचने की आज्ञा तो दे दी गई, लेकिन बहुत सारी पंचायतें ऐसी थी, जिनके पास एक रुपया भी नहीं था। उनके बारे में किसी ने नहीं सोचा कि अगर यह महामारी फैलती है तो उनका क्या होगा और वे व्यवस्थाएं कहां से करेंगे। अश्विनी गैंद व सुखबीर सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार के पास प्रदेश वासियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए सब कुछ है लेकिन सरकार की नीति और नीयत साफ न होने के कारण लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।