होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जब स्कूल लगे होते हैं तो अकसर कहा जाता है कि बच्चों को मोबाइल से दूर रखा जाए। क्योंकिस ज्यादा मोबाइल चलाने से बच्चों की आंखों पर असर पड़ सकता है तथा उन्हें अन्य कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं। लेकिन अब जबकि कोरोना के कारण करफ्यू चल रहा है और स्कूल बंद हैं तो ऑन लाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चों के मानसिक एवं शारीरिक विकास को प्रभावित किया जा रहा है। स्कूलों द्वारा मोबाइल पर बाट्सएप पर होमवर्क सैंड किया जा रहा है और उसे करने के लिए बच्चे को कम से कम 5 से 6 घंटे तक मोबाइल चलाना पड़ रहा है जोकि उसकी सेहत के लिए नुकसानदायक है। इसलिए अगर स्कूल ऑन लाइन पढ़ाई करवाना चाहते हैं तो वे सिलेबस खत्म करने का न सोचें बल्कि उतना ही काम दें जिससे बच्चा दिन में व्यस्त रहे व उसका पढ़ाई में मन लगे। सरकार को भी ऑन लाइन पढ़ाई करवाने के नियम बनाने चाहिए ताकि बच्चों को समस्याओं से बचाया जा सके। यह बात कांग्रेसी नेता नवप्रीत रैहल ने आज यहां जारी एक प्रैस बयान में कही।
रैहल ने कहा कि अधिक मोबाइल देखने से बच्चे की आंखों पर सीधे तौर पर असर पड़ता है तथा वह उसका आदि हो जाता है। जिस कारण उसका आउट डोर खेलों की तरफ ध्यान कम जाता है और पढ़ाई में भी मन कम लगता है। क्योंकि, मोबाइल में अन्य फीचर व गेम्स आदि उसे अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। ऑन लाइन पढ़ाई के नाम पर बच्चों का शोषण किया जा रहा है तथा इतना काम भेजा जा रहा है कि उतना तो स्कूल खुलने पर भी नहीं दिया जाता। स्कूल अपनी तरफ से बच्चे को पढ़ाई में व्यस्त रखना चाहते हैं तो उन्हें चाहिए कि वे बच्चे को उतना ही काम दें ताकि बच्चे पर इसका विपरीत असर न हो। सभी परिवार इतने सामर्थ नहीं हैं कि वो बच्चे को बड़ी सक्रीन वाली एलईडी व लैपटॉप आदि लेक दे सकें।
अधिकतर परिवारों के पास मोबाइल ही हैं और उन्हीं से बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ रही है। बच्चें पढ़ाई करें यह सही बात है, मगर ऑन लाइन पढ़ाई के नाम पर उनकी सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। जिसे किसी भी सूरत में तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। रैहल ने सरकार से मांग की कि ऑन लाइन पढ़ाई की कुछ शर्तें तय की जाएं ताकि बच्चों को कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों व समस्याओं से भी बचाया जा सके। कहीं ऐसा न हो कि बच्चे एक बीमारी से बचें और दूसरी से ग्रस्त हो जाएं।