482.88 करोड़ रुपए की हो चुकी है गेहूं की आनलाइन अदायगी: जिलाधीश

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। कोविड-19 के मद्देनजर जहां पंजाब सरकार की ओर से प्रदेश वासियों की सुविधा के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं, वहीं गेहूं की सुचारु ढंग से खरीद भी यकीनी बनाई गई है, जिसके चलते जिले में 482.88 करोड़ रुपए की आनलाइन अदायगी की जा चुकी है। डिप्टी कमिश्नर अपनीत रियात ने बताया कि अब तक 482.88 करोड़ रुपए की अदायगी आनलाइन माध्यम से आढ़तियों के माध्यम से किसानों को की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार मंडियों में से गेहूं का एक-एक दाना खरीदने के लिए वचनबद्ध है व इसी वचनबद्धता को दोहराते हुए जहां सुचारु ढंग से गेहूं की खरीद की जा रही है, वहीं समय पर अदायगी भी यकीनी बनाई जा रही है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के मद्देनजर जिले में पिछले वर्ष के मुकाबले 20 मंडियों की वृद्धि करते हुए कुल 84 खरीद केंद्र बनाए गए हैं, ताकि किसानों को अपनी फसल बेचने के दौरान किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने कहा कि समय पर लिफ्टिंग यकीनी बनाने के अलावा मंडियों में किसानों व मजदूरों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं।

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डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए मंडियों में सामाजिक दूरी बरकरार रखने के अलावा किसानों व मजदूरों के लिए मास्क व सैनेटाइजर की सुविधा सहित रोगाणु मुक्त छिडक़ाव लगातार यकीनी बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक अलग-अलग एजेंसियों की ओर से 2,86,546 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद कर ली गई है। उन्होंने बताया कि पनग्रेन की ओर से 64,243 मीट्रिक टन, मार्कफैड की ओर से 62,598, पनसप की ओर से 58,363, पंजाब स्टेट वेयर हाउस कार्पोरेशन की ओर से 35,807 व एफ.सी.आई. की ओर से 63,728 मीट्रिक टन व प्राइवेट व्यापारियों की ओर से 1807 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है।

अपनीत रियात ने बताया कि पिछले वर्ष आज के दिन तक 2,72,333 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई थी व इस वर्ष आज के दिन तक 2,86,546 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन की ओर से किसानों की सुविधा के लिए जिला कंट्रोल रुम स्थापित किया गया है। उन्होंने कहा कि किसान किसी भी तरह की जानकारी या शिकायत के लिए कंट्रोल रुम के नंबर 01882-22663 पर संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने किसानों को अपील करते हुए कहा कि वे गेहूं के नाड़ को आग न लगाएं,बल्कि इसका खेत में ही प्रबंधन किया जाए। उन्होंने कहा कि नाड़ व अवशेष को आग लगाने से जहां वातावरण दूषित होता है, वहीं जमीन के मित्र कीड़े भी मर जाते हैं।

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