होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: मुक्ता वालिया/श्वेता राणा। पिछड़ेपन का शिकार होशियारपुर रेलवे स्टेशन और रेलवे रोड का भगवान ही मालिक है। एक तरफ जहां दिल्ली के लिए 16 डिब्बों की ट्रेन शुरु होने के बावजूद प्लेटफार्म की लंबाई बढ़ाई जानी जरुरी नहीं समझी गई वहीं दूसरी तरफ जर्जर सडक़ की हालत सुधारने की तरफ भी रेलवे का कोई ध्यान नहीं है। जिस कारण राहगीरों और यात्रियों की कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। पिछले साल रेलवे विभाग द्वारा लोगों की समस्या को देखते हुए सडक़ पर लीपापोती करते हुए सडक़ का निर्माण इस ढंग से करवाया कि उसे देखने व वहां से गुजरते हुए न चाहते हुए भी लोगों के मुख से रेलवे अधिकारियों और ठेकेदार के लिए अपशब्द निकल ही जाते।
लोगों द्वारा बार-बार मांग किए जाने के बावजूद रेलवे द्वारा इस तरफ कोई ध्यान न दिया जाना यहां के प्रति उनकी उदासीनता को दर्शाता है। जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। क्योंकि, रेलवे के अधिकारी, लोकर प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता तो बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में गुजर जाते हैं तथा उन्हें सडक़ पर पड़े गड्ढे नजऱ ही नहीं आते। अगर किसी भी एक अधिकारी या नेता को भी जनता की तकलीफ का एहसास होता तो शायद अब तक रेलवे स्टेशन व फाटक के समीप सडक़ की आज इतनी दयनीय हालत न होती। यहां तक कि होशियारपुर से संबंधित एक नेता जी तो ऐसे हैं जिन्हें दूसरे शहरों की समस्याएं दिखें तो तुरंत केन्द्र सरकार या संबंधित अधिकारियों को पत्र जारी करके समस्या के हल की बात कही जाती है, ने भी यहां की समस्या के प्रति जैसे आंखें मूंद रखीं हों। लेकिन कुछ भी हो, इसका संताप जनता को भुगतने को मजबूर होना पड़ रहा है। 2 दिन पहले रेलवे द्वारा इस मार्ग पर एक बार फिर से लीपापोती का काम शुरु हुआ। काम की गुणवत्ता और उसमें प्रयोग किया जा रहा मटीरियल इतना घटिया है कि किए जा रहे पैच वर्क को देखकर अंजादा लगाया जा सकता है कि अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा। अगर ये कहें कि लीपापोती से एक बार फिर से रेलवे जनता के पैसे की बर्बादी कर रहा है तो कुछ गलत नहीं होगा।
हमारी टीम ने चल रहे निर्माण कार्य का दौरा किया और ठेकेदार, विभाग के अधिकारियों एवं राहगीरों से बातचीत की। इस दौरान संबंधित ठेकेदार दारा सिंह से बात की गई जिन्होंने सडक़ निर्माण में प्रयोग किए जा रहे मटीरियल की जानकारी दी। हालांकि उन्होंने आश्वस्त किया कि मटीरियल से किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा, लेकिन पैचवर्क कितने दिन टिकेंगे इस संबंधी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाए। दूसरी तरफ विभाग की तरफ से मौजूद दीपक ने विभाग और सरकार के पास लोगों की सुविधा हेतु अधिक फंड न होने का रोना रोते हुए कहा कि फिर भी विभाग द्वारा लोगों की सुविधा के लिए यह कार्य करवाया जा रहा है। यानि कि अगर पैसे की कमी है या विभाग काम करवा रहा है तो क्या इस प्रकार घटिया मटीरियल और आंख मूंद कर काम करने से पैसे की बर्बादी नहीं होगी। अगर, यह पैसे की बर्बादी है तो फिर विभाग को ऐसा काम करने की भी क्या जरुरत है। ठेकेदार और अधिकारियों की बातों से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि जैसे रेलवे जनता पर कोई एहसान कर रहा हो।
इस मौके पर हमारी टीम द्वारा राहगीरों से बात कर सडक़ के प्रति उनके विचार जाने गए। जिस पर राहगीर सोनू निवासी होशियारपुर तथा मनीष निवासी जालंधर जोकि रोजाना अपने काम के सिलसिले में जालंधर से होशियारपुर आते हैं तथा इसी सडक़ से अधिकतर सफर करते हुए शहर में दाखिल होते हैं। उन्होंने नाराजगी जताई की विभाग द्वारा हर बार खानापूर्ति करके इस सडक़ के गड्ढों को भर कर पैसे की बर्बादी की जाती है और कोई भी स्थायी हल नहीं निकाला जाता। इस दौरान वहां मौजूद और लोगों ने बताया कि पिछले साल जब सडक़ बनाई जा रही थी तो रेलवे स्टेशन से सैशन चौक की तरफ सडक़ का आधा हिस्सा बनाकर छोड़ दिया गया, जिससे हादसों का खतरा बढ़ा तथा कई लोग चोटिल भी हो चुके हैं।
उन्होंने बताया कि सडक़ का निर्माण पूरा किए बिना और साइड बरम भी ठीक किए बिना ही लाइनिंग भी करवा दी गई थी तथा सडक़ पूरी करने की मांग को विभाग द्वारा अनदेखा कर दिया गया था। पिछले साल भी पैसे की बर्बादी और इस बार भी पैसे की बर्बादी की जा रही है और ऐसा काम करने वाले अधिकारियों और ठेकेदार के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि भविष्य में जनता के मौलिक अधिकारों के साथ कोई खिलवाड़ न कर सके। उन्होंने मांग की कि लोगों की सुविधा के लिए इस सडक़ को बढिय़ा मटीरियल तथा लेवल जांच कर बनाया जाए ताकि बरसात के मौसम में भी यह सडक़ टिकाऊ बनी रहे और लोगों को इसका लाभ हो सके।