दातारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। विश्व बैंक के सहयोग से अस्तित्व में आई कंडी नहर पुरानी परम्परा निभाते हुए एक बार फिर से फसल के समय टूट गयी और इसके उद्गम स्थान से लेकर बलाचौर तक के गैर सिंचित क्षेत्र की धान की फसल पर अनिश्चितता के बादल गहरा गये हैं। ऐसा तब हुआ जब आज रात ग्यारह बजकर तीस मिनट पर यह नहर दातारपुर के बाजार के निकट टूट गयी और इसका दायाँ किनारा 70 फ़ीट तक दरक गया और पानी पत्थरों को बहांता हुआ निकट के खेतों से होते हुए पास ही स्थित दो खड्डों में निकल गया। गनीमत यह रही की यदि ये निकासी नाले न होते तो फसलों तथा रकड़ी हार गाँव के घरों तथा फसलों को भारी नुक्सान होना लाजिमी था। 500 क्यूसिक बहाव क्षमता वाली यह नहर उस समय लबालब भरी हुई थी।
जहां यह नहर क्षतिग्रस्त हुई है उस जगह यह जमीन से चालीस फीट उंचाई पर है। इससे पूर्व भी कुछ साल पहले इस जगह से दो सौ मीटर पहले टूट चुकी है। इस मौके पर मौजूद विभाग के एसडीओ हरप्रीत सिंह ने बताया की जैसे ही रात को पता चल नहर को तत्काल बंद किया गया पास ही स्थित कुछ किसानों और बाबा लाल मन्दिर की कुल पांच एकड़ जमीन में खड़ी धान की फसल बर्बाद हो गयी और जमीन में पत्थरों का अम्बार लग गया है कुछ पेड़ भी तेज बहाव की भेंट चढ़ गए। इस अवसर पर आम आदमी के नेता कर्मवीर सिंह घुम्मन ,किशोरी लाल ने कहा हर साल मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किये जाते हैं पर नहर बदहाल होती जाती है। उन्होंने कहा इस बात की जांच करवाई जाए की नहर की मरम्मत पर लगाया पैसा सिर्फ झाडिय़ाँ काट कर ही खर्च हो जाता है ?उन्होंने कहा हर साल फसल के समय यह नहर किसानों को धोखा देती है कभी इसमें रिसाव होने लगता है तो कभी यह टूट जाती है और किसान पानी की राह ताकते रहते हैं।
इस विषय में विभाग के सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर एच एस जौड़ा ने कहा कि नहर का जल्दी ही एस्टीमेट बनाकर और तत्काल प्रभाव से इसकी मरम्मत करवाकर फिर से इसका सुचारू संचालन किया जाएगा ताकि किसानों को नुक्सान न हो उन्होंने कहा इसका मुख्य कारण नहर की स्लैबों के पीछे कैविटी बन जाना है और कालान्तर में यहीं से रिसाव होता है और नहर के टूटने का कारण बनता है। सुबह जैसे ही नहर के क्षतिग्रस्त होने का पता चला हल्का विधायक अरुण डोगरा ने तत्काल इसका संज्ञान लेते हुए उस जगह का निरीक्षण किया और उन्होंने उसी समय कंडी नहर विभाग के आला अधिकारीयों को नहर के टूटे हुए हिस्से की मरम्मत करने के निर्देश दिए और कहा युद्धस्तर पर मरम्मत करवाकर किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध करवाया जाए।