पिता-पुत्र की गिरफ़्तारी से पुलिस ने देश में गैर-कानूनी फार्मासूटीकल ड्रग्गज़ के बड़े निर्माता और सप्लायरों को दबोचा

logo latest

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। देश में फार्मास्युटिकल ओपीओडज़ के गैर-कानूनी निर्माण और सप्लाई के मामले में बड़ी कार्यवाही करते पंजाब पुलिस ने कृष्ण कुमार अरोड़ा उर्फ कलोविडोल बादशाह और उसके बेटे गौरव अरोड़ा को गिरफ़्तार किया है जो न्युटैक हैलथकेयर प्राईवेट लिमटड, नरेला, दिल्ली से सम्बन्धित हैं। डी.जी.पी. दिनदर गुप्ता ने यह जानकारी देते हुये बताया कि पिता -पुत्र की जोड़ी देश में विभिन्न किस्मों के फार्मास्युटिकल ओपीओडज़ के सबसे बड़े निर्माता और सप्लायर थे और हर महीने देश के 17 राज्यों में मथुरा गैंग और आगरा गैंग समेत कई नशों की सप्लाई करने वाले गिरोहों, जिलों का पंजाब पुलिस की तरफ से हाल ही में पर्दाफाश किया गया है, के ज़रिये लगभग 18 -20 करोड़ गोलियाँ, कैप्सूल और सिरप, जो तकरीबन 70 -80 करोड़ रुपए के बनते हैं, ग़ैर कानूनी ढंग के साथ सप्लाई कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि यह जोड़ी ‘फार्मा ड्रग कारटल ’ के मास्टरमाईंड थे, जो कुल नाजायज फार्मा के ओपीयोड ड्रग कारोबार का बड़ा हिस्सा (लगभग 60 -70प्रतिशत) कंट्रोल करता है। इन दोनों को राजौरी गार्डन दिल्ली से एसएसपी बरनाला श्री सन्दीप गोयल की निगरानी वाली बरनाला पुलिस टीम ने गिरफ़्तार किया था, जिसमें आईपीएस डा. प्रज्ञा जैन एएसपी महल कलाँ और बलजीत सिंह आई /सी सीआईए भी शामिल थे।
डीजीपी ने आगे कहा कि बरनाला पुलिस की तरफ से फरवरी 2020 में मथुरा गिरोह और आगरा गिरोह का पर्दाफाश करने के साथ पूरे नैटवर्क से पर्दा उठना शुरू हुआ जिसके बाद मई और जुलाई 2020 में 73 लाख से अधिक नशीली गोलियाँ / कैप्सूल / सिरप, 2.26 करोड़ रुपए की ड्रग मनी बरामद की गई और अब तक 5 राज्यों से 36 मुलजिमों की गिरफ़्तारी की गई है।
निरंतर और ठोस कार्यवाहियों के कारण इस गठजोड़ के सभी अगले पिछले संपर्कों से पर्दा उठा और आगे न्युटैक फार्मास्युटिकल प्राईवेट लिमटड, नरेला, दिल्ली जो एनआरएक्स कलोविडोल 100 एस.आर., ट्रायो एस.आर., सिम्पलैकस सी+, सिम्पलेकस+, ट्रिडोल, फोरिडोल, प्रोजोलम, अलप्रज़ोलम आदि के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है, समेत अलग-अलग फार्मास्युटिकल मैनुफ़ेक्चरिंग कंपनियों की शमूलियत का खुलासा हुआ है। इन ड्रग्गज़ को देश भर में नशा पीडि़तों के द्वारा बड़े स्तर पर फार्मा ओपीओडज़ के तौर पर सेवन किया जाता है।
श्री दिनकर गुप्ता ने खुलासा किया कि जांच से यह सामने आया है कि कृष्ण अरोड़ा और गौरव अरोड़ा, फार्मा नशीले पदार्थों के धंधे की बड़ी मछलियां हैं। यह दोषी गुप्त तरीको से निर्धारित कोटे से फ़ाल्तू नशीले पदार्थों के निर्माण में लगे हुए थे और इनका एकमात्र मकसद थोक और परचून फार्मास्यूटिकल फर्र्में बना कर अपने कई साथियों की आपसी मिलीभुगत से फार्मास्यूटिकल (ओपीओड) नशीले पदार्थों को ग़ैरकानून्नी नशों की गलत तरीके से फार्मास्यूटिकल ओपीयोड के तौर पर खरीद और बेच दिखा कर इस काले धंधे को जारी रख रहे थे। पर्दे के तौर पर यह फज़ऱ्ी फर्में मुख्य तौर पर एन.आर.एक्स (पर्ची राही) छोटी मात्रा में जैनरिक दवाओं की खरीद और बेच में लगी हुई थी। इनमें से कुछ फर्में जैसे कि संतोषी फार्मा, जगदीश फार्मा, एस.एस. एजेंसी, जय हनुमान फार्मा, मियंक ड्रग हाऊस आदि मुख्य हैं। यह अग्रणी फर्में 3-4 महीनों बाद अक्सर बंद रखी जाती थी जिससे कानूनी एजेंसियों से बचा जा सके।
इन फर्मों का ट्रांसपोरटरज /कोरियरस के साथ विस्तृत नैटवर्क है, जिसमें श्री राम ट्रांसपोर्ट, नरेला ट्रांसपोर्ट, अणु रोड कैरियर, मलिक ट्रांसपोर्ट, दिल्ली पंजाब ट्रांसपोर्ट (सभी दिल्ली में) और जय भोले ट्रांसपोर्ट, अलीगढ़ हाथरस, देवेश ट्रांसपोर्ट, लांबा टी, राधा कृष्ण ट्रांसपोर्ट, श्रीजी रोडलाईनज (सभी आगरा में) शामिल हैं, जोकि देश भर में फार्मास्यूटिकल नशे की सप्लाई करते थे।
ज़्यादातर मामलों में नशे की खेप ज्यादातर स्थानों पर बिना बिलों के ही पहुंचायी जाती थी और ट्रांसपोर्टरों को मुआवज़े के तौर पर आम किराये से 3 से 4 गुणा फ़ाल्तू भाड़ा दिया जाता था जबकि दूसरे मामलों में यह नशे की खेपों को असली फार्मास्यूटिकल फर्मों की फर्जी इनवोआइस के द्वारा पहुंचायी जाती थी, जिनमें केरला मैडीकोज, जनता मैडीकोज, जेऐमडी फार्मा, मैडस्टोन एसलीपस (सभी दिल्ली में) और विआर इंटरप्राईजज, श्री केला देवी इंटरप्राईजज, जय हनुमान फार्मा (सभी आगरा में) आदि। पुलिस और अन्य कानूनी एजेंसियों से बचने के लिए इन नशीले पदार्थों की खेपें पर सरजीकल साजो समान का मार्का लगाया जाता था। नशे की खेपें पहुँचाने के लिए नैक्टर हैलथकेयर प्राईवेट लिमटिड के अपने वहीकलें को अतिरिक्त तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। न्यूटैक हैलथकेयर प्राईवेट लिमटिड ने अपने एजेंटों के द्वारा देश के अलग -अलग हिस्सों में अपने नशीले पदार्थों को रखने और यहाँ से अगले टिकानों पर पहुँचता करने के लिए गोदाम किराये पर लिए हुए थे। पैसों की अदायगी और तबादला हवाला चैनलों के द्वारा होता था और इस लिए नगदी समेत ऐसे कामों के लिए बनाईं फर्जी फर्मों के नाम पर बैंक खातों का प्रयोग भी किया जाता था।
उन्होंने कहा कि इन दवाओं के उत्पादों का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण है ; हालाँकि, इन उत्पादों को रजिस्टर्ड मैडीकल प्रैकटीशनर के वैध मैडीकल नुस्ख़े के बिना नहीं बेचा जा सकता। यह फार्मास्यूटीकल नशीली दवा, जो ज़्यादातर दर्द से राहत और डाक्टरी इलाज के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं, को नशा और नशे की आदत के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, जिससे अक्सर नशे की ज़्यादा मात्रा में प्रयोग करने से मौत भी हो जाती है।
डीजीपी श्री दिनकर गुप्ता ने कहा कि पंजाब पुलिस की तरफ से हाल ही में की गई कार्यवाही के दौरान पंजाब में फार्मा नशे की सप्लाई को बड़ा झटका दिया है। यह सोशल जस्टिस एंड सशक्तिकरन, भारत सरकार, नयी दिल्ली की तरफ से मैगनीट्यूड ऑफ सब्स्टानस यूज इन इंडिया -2019 ’ के द्वारा किये गए अध्ययन में भी माना गया है कि हेरोइन के बाद भारत में दूसरे सबसे अधिक फार्मास्यूटीकल ओपीओडज़ (जिसमें कई किस्मों की दवाएँ भी शामिल हैं) इस्तेमाल किये (0.96प्रतिशत) जाते हैं जबकि हेरोइन 1.14प्रतिशत इस्तेमाल किया जाता है। यह भी अंदाज़ा लगाया गया है कि फार्मास्यूटीकल नशे की नुकसानदेय निर्भरता /प्रयोग राज्य में नशे की समस्या का तकरीबन 40प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि कुल नाजायज फार्माकोलोजीकल नशीली दवाओं के 60 -70प्रतिशत कारोबार को नियंत्रित करने वाले सरगने की गिरफ़्तारी से फार्मा नशे के निर्माण और बिक्री के अंतर-राष्ट्रीय नैटवर्क को बड़ी मार पड़ी है।

Advertisements

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here