दाना मंडी: मिलीभगत की ओवर लोडिंग, चंद सिक्कों का गौरखधंधा

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रिपोर्ट: संदीप डोगरा / कै. मुनीश किशोर।
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दाना मंडियों में गेहूं की लिफ्टिंग को लेकर मिलीभगत करके चल रहे गौरखधंधे को लेकर कई तरह की चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म हो गया है। आलम यह है कि नियमों के विपरीत की जा रही लिफ्टिंग से जहां ट्रैफिक नियमों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं वहीं गेहूं की लिफ्टिंग के नाम पर सडक़ों पर दौड़ते ओवरलोड वाहन चलती फिरती मौत से कम नहीं हैं। सूत्रों की माने तो ओवरलोड के बारे में पता होने के बावजूद प्रशासनिक तंत्र आंखें मूंदे बैठा है। जिसके चलते कभी भी कोई अप्रिय घटना घटने का आशंका बनी हुई है। प्राप्त जानकारी अनुसार इस बार होशियारपुर मंडी का लिफ्टिंग का ठेका

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एक ठेकेदार को करीब 37.5 प्रतिशत लैस पर दिया गया है। इसके साथ ही 0 से 3, 3 से 5 तथा 5 से 8 किलोमीटर दूरी तक अलग-अलग रेट के हिसाब से पेमैंट की जाती है। इससे पहले जहां लिफ्टिंग का अधिकतर कार्य ट्रकों के माध्यम से किया जाता था, वहीं इस बार लिफ्टिंग का कार्य ट्रैक्टर-ट्रालियों के माध्यम से किया जा रहा है।
मंडी का दौरा करने दौरान पाया गया कि ट्रैक्टर-ट्राली में कितना लोड भरा जाना है इस संबंधी कोई नियम तय न होने के कारण अधिकतर ट्रालियां ओवरलोड होकर मंडी से निकल रही हैं। मंडी में मौजूद लेबर के अनुसार इस बार दो तरह की पैकिंग (30 किलोग्राम एवं 50 किलोग्राम) का प्रावधान किया गया है। एक ट्राली में जहां 30 किलोग्राम वाली पैकिंग की 500 से 600 बोरियां भरी जा रही हैं वहीं 50 किलोग्राम वाली पैकिंग की 400 से 550 तक बोरियां भरी जा रही हैं।
सूत्रों की मानें तो ट्रकों में मापदंडों के तहत 9 टन और 15 टन लोड पास है तथा अगर बड़े ट्राले हों तो उनमें 25-30 टन तक भी लोड भरा जा सकता है। पता चला है कि ठेकेदार द्वारा लैस पर लिफ्टिंग का ठेका लिया गया है तथा ट्रालियों के माध्यम से ओवरलोड लिफ्टिंग का कार्य करवाकर नियमों को ताक पर रखा जा रहा है। जानकारी अनुसार यह सारा कार्य मिलीभगत के तहत चल रहा है और इसे रोकने की जहमत उठाना विभाग द्वारा जरुरी नहीं समझा जा रहा। जानकारी अनुसार

अगर एक ट्राली में 20 टन माल यानि 50 किलोग्राम वाली 400 बोरियां भरी जाती हैं तो यह अंदाजा साफ लगाया जा सकता है कि एक ट्राली में दो ट्रालियों का माल ढोया जा रहा है। क्योंकि अगर मान कर चलें कि एक साधारण ट्रक में 9 टन माल पास होता है यानि 50 किलोग्राम वाली 180 बोरियां तो मामला साफ है कि एक-एक ट्राली में 15 से 30-30 टन माल ढोकर अतिरिक्त गाडिय़ों का भाड़ा सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर बचाया जा रहा है और यह सब अधिकारियों की आंखों के सामने ही चल रहा है हालांकि जिलाधीश द्वारा ओवरलोडिंग को लेकर सख्त रवैया अख्तियार किया गया है। बावजूद इसके समस्त नियमों की अनदेखी जा रही है।


ओवरलोडिंग की पोल उस समय खुली जब लेबर से बातें करते हुए उन्होंने बताया कि उनके द्वारा एक ट्राली में 500-600 बोरी तक लोड की जाती है। मंडी में कार्यरत लेबर ठेकेदार महिंदरपाल ने बताया कि उनके पास 20 बंदे काम करते हैं तथा काम ठीक चल रहा है। ट्राली में कितनी बोरियां लोड की जाती हैं पूछने पर उसने बताया कि एक ट्राली में 400-500 या 600 तक भी बोरियां लोड की जाती हैं।


इसी बीच वहां मौजूद कुछेक लेबर वालों ने बताया कि मंडी में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा। गाडिय़ों की कमी के कारण लिफ्टिंग का कार्य धीमा चल रहा है। बहुत मुश्किल है, लेबर को पैसे नहीं बन रहे, गाडिय़ां कम होने के कारण उन्हें ओवर टाइम देर रात तक काम करने को मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि ट्रालियों में ओवर लोडिंग की जा रही है।

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इसी बीच वहां पहुंचे एक आढ़ती योगेश कुमार ने बताया कि लिफ्टिंग में लगी ट्रालियों को ठेकेदार ने पैसे देने होते हैं, मगर ट्रालियों में लगे ड्राइवर आढ़तियों से सेवा पानी मांगते हैं। जो उन्हें सेवा पानी दे देता है उसका माल वे पहले उठाते हैं। इस बारे में कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने भी बताया कि भाड़ा बचाने के चक्कर में ट्रालियों में नियमों के विपरीत लोड भरा जा रहा है। उन्होंने बताया कि ट्रालियों में माल नहीं ढोया जा सकता, परन्तु न जाने किस नियम के तहत ट्रालियों को इस काम में लगाया गया है।


इस संबंध में बात करने पर मंडी बोर्ड के डी.एम.ओ. राज कुमार ने बताया कि मंडी में खरीद आदि के प्रबंध करने मंडी बोर्ड की जिम्मेदारी होती है। लिफ्टिंग का कार्य सिविल सप्लाई की जिम्मेदारी होती है। उन्होंने भी माना कि ओवर लिफ्टिंग गलत है और विभाग को इस बारे में कार्रवाई करनी चाहिए।


जिला खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी हरबंस सिंह से बात करने पर उन्होंने कहा कि टैंडर अनुसार 8 किलोमीटर के दायरे में ट्रैक्टर-ट्रालियों से लिफ्टिंग की जा सकती है। जहां तक ओवर लोडिंग का सवाल है तो वे इस बारे में जांच करवाई जाएगी ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना न हो सके। आढ़तियों से सेवा पानी मांगते हैं ट्रालियों वाले तो इस पर उन्होंने कहा कि यह बात बहुत गलत है और वे इस बारे में भी बनती कार्रवाई अवश्य करेंगे।

कथित मिलीभगत से दबा दिया गया था ओवर लोडिंग का मुद्दा
सूत्रों से जानकारी मिली है कि गत वर्ष भी ओवर लोडिंग का मुद्दा उठा था, परन्तु उसे ठेकेदार और मौके के अधिकारियों द्वारा कथित मिलीभगत करके दबा दिया गया था। इस कारोबार से जुड़े ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि आटे में नमक तो गूंथा जा सकता है परन्तु यहां तो नमक में आटा गूंथा जा रहा है। लिफ्टिंग के कार्य में लगे लगों द्वारा अधिक से अधिक लोड लाद कर पैसे बचाने का हथकंडा अपनाया जाता है तथा अधिकारी इस अनियमितता को देख कर भी अनदेखा कर जाते हैं। परन्तु बात यह है कि जनता व खुद ड्राइवरों की जान को जोखिम में डाल कर ट्रांसपोर्टरों द्वारा चंद सिक्कों की खातिर कितना बड़ा जोखिम उठाया जा रहा है, जिसे गंभीरता से लिया जाना समय की मांग है।

अगर तय मात्र में लोड भरा जाए तो और गाडिय़ां लगने से अन्य ट्रांसपोर्टरों को भी काम के मौके मिलते हैं तथा ट्रासपोर्टरों के साथ लगी लेबर को भी लाभ मिलता है। परन्तु इन बातों से बेखबर कथित मिलीभगत करके चंद सिक्कों की खातिर सभी की जान को जोखिम डाला जा रहा है।

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