कंबाइन से धान की कटाई करने के बाद, खड़े पराल में ही जीवन कर देता है गेहूं की बुआई

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। जिले के ब्लाक दसूहा के गांव सफदरपुर का किसान जीवन सिंह पिछले कई वर्षों से धान की पराली व गेहूं के नाड़ को बिना आग लगाए गेहूं व धान की बिजाई कर रहा है व फसल का बहुत अच्छा झाड़ भी प्राप्त कर रहा है। जीवन सिंह ने बताया कि वह पिछले 4 वर्षों से फसलों के अवशेषों को आग लगाए बिना फसल बीज रहा है, जिससे समय, पानी व पैसे की ही बचत नहीं होती बल्कि भूमि के जैविक तत्व भी बचते हैं। यही कारण है कि बेट इलाके का यह किसान आज आस-पास के दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बना हुआ है।

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जिलाधीश अपनीत रियात ने बताया कि किसान जीवन सिंह पराली को आग न लगाकर खेत में ही प्रबंधन कर गेहूं की सीधी बिजाई कर रहा हैं। उन्होंने कहा कि जिले के अन्य किसानों को भी जीवन सिंह से सीख लेने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि वातावरण की संभाल के लिए जिला प्रशासन व कृषि विभाग हमेशा तत्पर है व ऐसे किसानों का आभारी हैं जो पराली को आग न लगाकर वातावरण को साफ सुथरा बनाने में अहम भूमिका अदा करते हैं व अन्य किसानों के लिए मिसाल बनते हैं। जीवन सिंह ने बताया कि वह पिछले कुछ वर्षों से धान की पराली को बिना आग लगाए, कम खर्चे व गेहूं पर गेहूं की बिजाई कर रहा है।

उन्होंने बताया कि वह लगभग 25 वर्षों से खेती कर रहा है व 10 एकड़ जमीन में धान की काश्त करता है। बेट इलाका होने के कारण जमीन में नमी की मात्रा ज्यादा रहती है, जिसके कारण गेहूं की बिजाई में देरी हो जाती थी, पर कृषि विभाग के सहयोग से उसने जमीन के रकबे में खड़े पराल में ही गेहूं के बीज की बुआई वाली विधी अपनाई, जिससे गेहूं की समय पर बिजाई हो जाती है।

किसान जीवन सिंह ने बताया कि वह कंबाइन से धान की कटाई करने के बाद, खड़े पराल में ही गेहूं की बुआई कर देता है। इसके बाद कटर से ही पराली का खेत में बिखेर देता है। उन्होंने बताया कि इससे गेहूं के बीज को उगने में कोई दिक्कत नहीं आती बल्कि पराली खेत में ही अच्छी मलच का काम करती है। इसके साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति बढऩे के साथ-साथ लेबर व समय की बचत होती है और नदीनों की समस्या भी कम होती है।

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