अरुणा चौधरी ने पंचायतों को परली जलाने के रुझान के खिलाफ मुहिम तेज़ करने की अपील की

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। पंजाब के सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री अरुणा चौधरी ने आज राज्य की पंचायतों से अपील की कि वह किसानों को पराली जलाने के बुरे प्रभावों संबंधी बता कर इस खतरे से लोगों का बचाव करने की अपनी नैतिक जि़म्मेदारी निभाएं क्योंकि यह रुझान कोविड -19 के कारण पैदा हुई स्थिति को और बिगाड़ेगा। श्रीमती चौधरी ने बताया कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की राज्य को पराली जलाने के रुझान से बिल्कुल मुक्त करने की अपील पर कई पंचायतों अथक मेहनत कर रही हैं और उन्होंने पराली जलाने के खतरे के खि़लाफ़ प्रस्ताव पास किये हैं परन्तु अगर हम इस खतरे को जड़ से ख़त्म करना है तो सभी पंचायतों को इस खतरे को ख़त्म करने का प्रण लेते हुये राज्य सरकार के साथ मिल कर काम करना पड़ेगा।

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कैबिनेट मंत्री ने कहा कि पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना के माहिरों से यह प्रामाणिक तथ्य है कि फ़सलों के अवशेष और पराली को ज़मीन में बिखेरने से धरती की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है। उन्होंने कहा कि इससे प्रति एकड़ झाड़ 9 प्रतिशत बढ़ता है, जो तकरीबन दो क्विंटल बनता है। उन्होंने कहा कि फसलों के अवशेष को ज़मीन में बिखेरने के लिए किसानों को प्रति एकड़ 1400 से 1700 रुपए में मशीनरी किराये पर मिलती है। किसानों को बड़े सार्वजनिक हित के लिए इसका लाभ उठाना चाहिए। सामाजिक सुरक्षा, महिला और बाल विकास मंत्री ने कहा कि इस खतरे को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की हिदायतों की यथावत पालना करते हुये पंजाब सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में पराली के स्टोरेज के लिए व्यापक प्रबंध किये हैं। इसके अलावा गाँव स्तर पर नोडल अधिकारी भी नियुक्त किये गए हैं, जो इस रुझान के मुकम्मल ख़ात्मे के लिए प्रभावशाली तरीके से काम कर रहे हैं और पराली जलाने की घटनाओं संबंधी भी तुरंत रिपोर्ट दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मौजूदा खऱीद सीजन के दौरान गाँवों में शामलात, गौशालाएं और अन्य उचित स्थानों पर बासमती की पराली रखने के लिए प्रबंध किये गए हैं। इस पराली का प्रयोग कोई भी पशुओं के चारे के लिए कर सकता है। इसके अलावा यह नोडल अधिकारी अपने सम्बन्धित जिलों में किसानों को जानकारी देने, शिक्षित करने के साथ-साथ उनके साथ तालमेल रख रहे हैं जिससे इस जागरूकता प्रोग्राम से कोई भी किसान वंचित न रहे। श्रीमती चौधरी ने कहा कि पंचायतें यह बात भी यकीनी बनाएं कि सिफऱ् एस.एम.एस. लगी कम्बाईनों के साथ ही धान की कटाई हो और अगर इसका उल्लंघन होता है तो तुरंत पुलिस और प्रशासन को इसकी जानकारी दी जाये क्योंकि इसका मानवीय सेहत ख़ास कर बच्चों और बुज़ुर्गों की सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। कोरोना महामारी के मुश्किल हालात में पराली जलाने से वातावरण पर पडऩे वाला बुरा प्रभाव अधिक नुकसानदेय साबित होगा।

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