पंजाब में ज़मीन के कब्ज़े वाले काश्तकारों व अन्य श्रेणियों को मिलेगा ज़मीन का मालिकाना हक

चंडीगढ़ (द स्टैलर न्यूज़)। राज्य में कृषि ज़मीनों पर कब्ज़े करने वाली कुछ ख़ास श्रेणियों से सम्बन्धित व्यक्तियों को मालिकाना हक देने की कोशिश के तौर पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह के नेतृत्व वाली पंजाब कैबिनेट ने बुधवार को पंजाब भोंडेदार, बूटेमार, डोहलीदार, इनसार मियादी, मुकररीदार, मंढीमार, पनाही कदीम, सौंजीदार (मालिकाना अधिकारी देना) बिल, 2020 को मंज़ूरी दे दी है।

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इन श्रेणियों के 11,231 व्यक्तियों जिनके पास इस समय पर 4000 एकड़ के करीब निजी ज़मीनों का कब्ज़ा है, को सरकार द्वारा जल्द ही नोटीफायी किए जाने वाले ग्रेड्स के अनुसार बनते मुआवज़े की अदायगी के बाद मालिकाना अधिकार मिलेंगे। इस सम्बन्धी और जानकारी देते हुए सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रीमंडल ने भोंडेदार, बूटेमार, डोहलीदार, इनसार मियादी, मुकररीदार, मंढीमार, पनाह कदीम, सौंजीदार के तौर पर राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज व्यक्तियों की विशेष श्रेणियों को मान्यता देने के राजस्व विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

पंजाब एकूपैंसी टेनैंट्स (मालिकाना अधिकार देना) एक्ट 1952 (1953 का एक्ट 8) और पैप्सू एकूपैंसी टेनैंट्स (वैस्टिंग ऑफ प्रोपराईट्री राइट्स) एक्ट, 1954 के अंतर्गत काश्तकारों को कब्ज़े वाली ज़मीन के मालिकाना हक देने के समय यह श्रेणियां रह गई थीं। यह कदम ऐसीं ज़मीनों के काश्तकारों को मालिकाना अधिकार देने के लिए कृषि सुधारों का हिस्सा है जो ज़्यादातर समाज के आर्थिक और सामाजिक तौर पर कमज़ोर वर्गों से सम्बन्धित हैं। यह काश्तकार कई सालों से ज़मीन के छोटे हिस्सों पर काबिज़ हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी अपने अधिकारों के वारिस बनते हैं। उनके पास मालिकाना हक न होने के कारण वह न तो फ़सलीय कजऱ्ों के लिए वित्तीय संस्थाओं तक पहुँच कर सके और न ही उनको कोई आपदा राहत मिली। गौरतलब है कि पंजाब सरकार ने आधुनिक कृषि और ग़ैर-कृषि अभ्यासों के अनुसार भूमि प्रबंधन से सम्बन्धित मौजूदा कानूनों, नियमों और प्रक्रियाओं को पारदर्शी, सरल और लोक-समर्थकीय बनाने के लिए राजस्व आयोग की स्थापना की है।

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