दिल्ली,(द स्टैलर न्यूज़)। निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज के पावन सानिध्य बाडमेर में विशाल आध्यात्मिक निरंकारी संत समागम का आयोजन किया गया। इस समागम के दौरान प्रवचन करते हुए सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि मनुष्य शरीर के अंदर एक ही आत्मा है पर हम इस संसार के किसी भी कोने में रहते हैं हम वहां की संस्कृति को अपना लेते हैं, ओर धीरे-धीरे हमारी आत्मा को भी ये भ्रम होने लग जाता हैं कि ये शरीर ही हमारा असली अस्तित्व हैं। हमारी आत्मा इस परमात्मा का ही अंश है और वो परमात्मा एक ही हैं।
हम सब इस एक के अंदर से ही आये हैं वापस भी इसके अंदर ही समा जाना है। सतयुग से ही संत महात्मा एक ही बात समझाते आ रहे है कि प्रेम की वाणी, विशालता, नफरत नही करनी चाहिए तथा संकीर्णताओं से ऊपर उठकर जीवन व्यतीत किया जाए। धर्म-ग्रंथ, वेद-कुरान पढऩा तो ठीक है परन्तु इसमें क्या लिखा है वो अगर हम जान ले तो हमारा ये जीवन सुधर जाएगा। उन्होंने कहा कि निरंकारी मिशन इस परमात्मा का ज्ञान करवाता हैं। उन्होंने कहा कि किसी दुसरे को कहने से उपरंत मनुष्य को अपने भीतर देख लेना चाहिए कहीं हमारा जीवन भी वैसा तो नहीं है। शरीर पर नया वस्त्र डालने से कुछ नही होता जब तक हम आत्मा के असली रूप परमात्मा को जान न ले तब तक जीवन व्यर्थ है।
चिकित्सालय में भी डॉक्टर द्वारा दी गई दवाई तब ही असर करती है जब हम डाक्टर द्वारा बताए गए परहेज को अपनाते हैं। इसी तरह इस परमात्मा को जानने तथा इसकी बात को मानने से ही हमारा जीवन इस भव सागर से पार हो सकता हैं। सत्संग में आने से ही हम जीवन मे बदलाव ला सकते हैं तथा फिर किसी इंसान से बात करने पर भी उसे अच्छा लगेगा। निरंकारी सत्संग में सत्य का ज्ञान कराया जाता है यहां पर किसी भी तरह का भेवभाव नही होता है सभी को एक समान समझा जाता हैं ओर हमे भी ओरो को इस सत्य का ज्ञान करवाना चाहिए।