केन्द्र अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भारत की ओर आकर्षित करने के लिए पूरी तरह तैयार

नई दिल्ली ( द स्टैलर न्यूज़)। शिक्षा मंत्रालय उच्च शिक्षा के लिए भारत आने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए विभिन्न उपायों पर विचार-विमर्श कर रहा है। कल साझेदार संस्थानों के साथ मंत्रालय के स्टडी इन इंडिया प्रोग्राम की समीक्षा बैठक में, उच्च शिक्षा सचिव श्री अमित खरे ने कहा कि इस कार्यक्रम के तहत भागीदारी करने वाले संस्थानों के मानदंडों को जल्द ही संशोधित किया जाएगा ताकि आवश्यक बुनियादी ढांचे और शैक्षणिक गुणवत्ता वाले और अधिक संस्थान इस कार्यक्रमसे जुड़ सकें। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीयकरण का समर्थन करने के मामलों में निजी और सार्वजनिक संस्थानों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाएगा।

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स्टडी इन इंडिया भारत सरकार का एक ऐसा कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों को भारत स्थित उच्च शिक्षा संस्थानों की ओर आकर्षित करना है। वर्ष 2018 में शुरू किए गए कार्यक्रम के तहत चुनिंदा 117 संस्थान भागीदार हैं। इसमें दाखिला योग्यता पर आधारित है और इसे एक साझा पोर्टल के जरिए किया जाता है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 50 से अधिक देशों के लगभग 7500 छात्र भारतीय संस्थानों में आए हैं।

सरकार ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए परिसर के भीतर एक अनुकूलवातावरण बनाने के महत्व को भी रेखांकित किया है, जहां उन्हें न केवल गुणवत्ता वाले शैक्षणिक इनपुट मिलें बल्कि वे खुद को सुरक्षित, सहर्ष स्वीकार्य, खुश और परेशानी मुक्त महसूस कर सकें। इस संबंध में,शिक्षा सचिव ने सभी साझेदार संस्थानों से अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विश्वस्तरीय छात्रावास स्थापित करने का आह्वान किया। इसके लिए एसII का समर्थन करने वाली चैंपियन सेवा क्षेत्र योजना के तहत वित्तीय सहायता का प्रावधान है, जिसे कुछ संस्थानों को प्रदान किया जा सकता है।

इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय छात्रों का दाखिला लेने वाले प्रत्येक संस्थान में तत्काल अंतरराष्ट्रीय छात्र कार्यालय स्थापित करने की जरूरत है। इस कार्यालय को संस्थान में ठीक दाखिले के लिए चयनित होने के दिन से लेकर पढ़ाई के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों को पड़ने वालीकिसी भी जरूरत के लिए सहयोग की एक एकल खिड़की के रूप में काम करना चाहिए। इसके अलावा, परिवारों, संरक्षकों आदि काएक ऐसे नेटवर्क को विकसित किया जाना चाहिए, जो छात्रों को सामाजिक बनाने में मदद कर सकेताकि वे इस देश में खुदको सहर्ष स्वीकार्यमहसूस करें और सजोयी जा सकने वाली यादों के साथ यहां उनका प्रवास सुखद बना रहेऔर वे दूसरे लोगों के साथ सकारात्मक अनुभव साझा कर सकें।

यही नहीं, मंत्रालय ने संस्थानों से यह भी कहा है कि वे दाखिले के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों के उन्मुखीकरण के आयोजन पर विचार करें और साथ ही प्राध्यापकोंका भी उन्मुखीकरण कर उन्हें पढ़ाने के क्रम में उन संदर्भों का उपयोग करने लिए सचेत करें, जिनसे ये छात्र आसानी से खुद कोजोड़ सकें।

शिक्षा मंत्रालय क्रेडिट ट्रांसफर मैकेनिज्म के साथ ट्विनिंग, ज्वाइंट एवं ड्यूअल डिग्री के तहत भारतीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के बीच संवर्धित शैक्षणिक सहयोग की संभावना भी तलाश रहा है। यूजीसी ने पहले ही इस संबंध में मसौदा विनियम लाए हैं, जो वर्तमान में हितधारकोसे परामर्श के लिए रखे गए हैं। ये विनियम छात्र विनिमय के कार्यक्रमों और एक या दो सेमेस्टर वाले छोटे पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देंगे।

शिक्षा मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों को सरकार के संबंधित विभाग के साथ इंटर्नशिप करने की अनुमति देने के मुद्दे पर भी गौर करने की योजना बना रहा है। कई साझेदार संस्थानों ने इस तथ्य को रेखांकित किया है कि अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए इंटर्नशिप की अनुमति का न होना भारत में उच्च शिक्षा के किसी भी कार्यक्रम के लिए एक बड़ी खामी है। शिक्षा मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय छात्रों की चिंताओंसे जुड़े अन्य मुद्दों, उदाहरण के लिए वीजा संबंधी मुद्दों, का समाधान करेगा।

सभी संस्थानों को अपने पूर्व छात्रों के नेटवर्क को सक्रिय करने और भारतीय संस्थानों की ओर और अधिक छात्रों को आकर्षित करने मेंइस रिश्ते का उपयोग करने के लिए भी कहा गया है।

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