कमिशनर विहीन नगर निगम: खींचतान बढ़ी, विकास कार्यों पर लगा ग्रहण

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-कमिशनर न होने के कारण स्थगित हुई हाउस की बैठक-निगम पर काबिज अकाली-भाजपा और कांग्रेसियों में विकास कार्यों को लेकर खूब हुई खींचतान-
होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। नगर निगम में यूं तो हाउस की हर बैठक में खूब खींचतान होती रहती है, मगर 25 जुलाई को आयोजित हुई और कमिशनर न होने के कारण स्थगित हुई बैठक दौरान भी जमकर हंगामा होने का समाचार मिला है। एक तरफ जहां कमिशनर न होने का हवाला देकर निगम पर काबिज भाजपा-अकाली दल द्वारा बैठक रद्द करने की बात कही गई वहीं कमिशनर व विकास कार्य रुके होने को लेकर कांग्रेसियों ने मेयर को घेरा। मगर, प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होने के चलते कमिशनर की नियुक्ति को लेकर कांग्रेसियों के पास कोई जवाब नहीं था। जिसके चलते बैठक में विकास कार्यों पर कम और फंड आने और सरकार द्वारा वापस मंगवाने पर ज्यादा बहस हुई।

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सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार हाउस की बैठक कमिशनर न होने के कारण एक्ट अनुसार स्थगित की गई, मगर इस बात की भी चर्चा रही कि एक्ट में ये भी स्पष्ट नहीं है कि कमिशनर न होने पर बैठक हो सकती है या नहीं, मगर जब फंड जारी करने के सारे अधिकारी ही कमिशनर के पास हैं तो फिर बैठक करने का लाभ भी क्या। क्योंकि अगर फंड ही नहीं होंगे तो विकास कार्यों कैसे करवाए जा सकते हैं यह मामला भी अपने आप में एक सवाल है? जिसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है।

बैठक स्थगित होने से पहले हाउस में बैठे सदस्यों द्वारा आपसी चर्चा भी की गई, जोकि अच्छी खासी बहस में तबदील हो गई। बैठक में कांग्रेसी पार्षद ब्रह्मशंकर जिम्पा व अन्य कांग्रेसी पार्षदों ने जहं टैंडर जारी होने के बावजूद न लगाने को लेकर मेयर को घेरा वहीं युवा पार्षद निपुण शर्मा और सुरेश भाटिया बिट्टू व अन्यों ने कांग्रेसियों को ये कहते हुए चुप करवा दिया कि फंड तो आपकी कांग्रेस सरकार ने वापस मंगवा लिए हैं तो विकास कार्य कैसे करवाए जा सकते हैं।

पार्षद जिम्पा ने मेयर पर निशाना साधते हुए पूछा कि कमिशनर की नियुक्ति के लिए उन्होंने क्या प्रयास किए हैं और जो टैंडर लग चुके थे उन्हें जारी क्यों नहीं किया गया। जिम्पा ने कहा कि शहर को बचाने के लिए वे जल्द से जल्द स्थानीय निकाय मंत्री से भेंट करके कमिशनर लगाए जाने की मांग करेंगे।

इस पर मेयर शिव सूद ने बताया कि कमिशनर की नियुक्ति के लिए उनकी तरफ से सरकार को दो बार लिखा जा चुका है तथा अब तो सरकार आपकी (कांग्रेस) है तो आप कोशिश करें हम आपके साथ हैं। कमिशनर की

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नियुक्ति सरकार के हाथ में होती है तथा लगभग प्रदेश की अधिकतर निगमों में अधिकारियों को एडीशनल चार्ज दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि कमिशनर न होने के कारण शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं तथा लोगों की छोटी-छोटी समस्या को दूर करने में भी परेशानी तो पेश आ ही रही है, मगर फिर भी उनकी तरफ से हर संभव कोशिश करके व्यवस्था बनाए रखने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।

एक अनाथ बच्चे की हालत ऐसी होती है कि न तो उसे कोई खिलाने वाला होता है और न ही व्यवस्था करने वाला। कुछ ऐसे ही हालातों से निगम को गुजरना पड़ रहा है। सरकार कोई भी हो जरुरी सीटों पर अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर पूरी तरह से संजीदा नहीं दिख रही। क्योंकि नगर निगम की बात की जाए तो कमिशनर के सिवाये किसी भी अधिकारी के पास एक भी रुपया खर्च करने का अधिकार नहीं होता। तो सवाल ये है कि पिछले लंबे समय से कमिशनर विहीन होशियारपुर निगम का काम कैसे चल रहा है और इसके कारण राजनीतिक पार्टियों की आपसी खींचतान कितनी बढ़ चुकी है, इसमें नुकसान शहर निवासियों को उठाना पड़ रहा है।

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