जब हम सत्संग में आते हैं तो हमें शिक्षा ले कर कुछ लाभ भी उठाना चाहिए: आचार्य चंद्र अरोड़ा

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। योग साधन आश्रम मॉडल टाउन में रविवार के सत्संग के दौरान प्रवचन करते हुए आचार्य चंद्र मोहन अरोड़ा ने कहा कि जब हम सत्संग में आते हैं तो हमें वहां से शिक्षा ले कर कुछ लाभ भी उठाना होता  है| संसार में हम 84 के चक्कर में फनसे हुए हैं |बार-बार आते हैं दुख पाते रहते हैं और चले जाते हैं | फिर असंख्य योनियां  हैं जिनमें हम घूमते रहते हैं | जिनमें हम पैदा होकर कभी जल चर, कभी भू चर कभी नभ चर बनते हैं | मनुष्य योनि सबसे श्रेष्ठ है|  जिसमें आकर हम 84 के चक्कर से निकल सकते हैं। अन्य किसी योनि में रहते हुए हम इस चक्कर से नहीं निकल सकते | देवता भी इच्छा करते हैं कि हमें मनुष्य जन्म मिल जाए ताकि हम मुक्त हो सके |

Advertisements

उन्होंने कहा कि किसी भी चक्कर अथवा सर्कल से बाहर  निकलने के लिए हमें टेंजेंट् बनना पड़ता है | इसी तरह जीवन के चक्कर से निकलने के लिए हमें भी मनुष्य जन्म में श्रेष्ठ बनना पड़ता है | यह शिक्षा केवल गुरु की शरण में आकर ही मिलती है| अधिकतर मनुष्य तो इसी चक्कर में ही घूमते रहते हैं | गुरु की शरण में आकर भी वे उनकी शिक्षा पर  नहीं चलते| जब गुरु की शरण में आते हैं तो गुरु बतलाते हैं कि जो तुम्हें पांच ज्ञानेंद्रियां एवं पांच कर्म इंद्रियां मिली है उन्हें गुरु की शरण में प्रयोग करो। पैर मिले हैं तो  उन्हें गुरु के सत्संग में ले जाओ ना कि बाजारों में भटकाते रहो। हाथ मिले हैं तो गुरु की सेवा करो | जो कार्य गुरु करते हैं वह तुम करो |  गुरु के इशारों को समझो और उन पर चलकर उन्हें प्रसन्न करो | कानों को निंदा का रस देने की बजाय गुरु की शिक्षाएं सुनने मे लगाओ | तब जाकर 84 के चक्कर से छूट पाओगे |

इसके साथ प्रभु ने हमें अंतःकरण भी दिया है मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार| मन में अपने इष्ट को धारण करके रखना चाहिए | मन से मुक्ति का संकल्प करें | संकल्प के  लिए हम धारणा करते हैं | बुद्धि से ज्ञान प्राप्त करना होता है और गुरु के पास जाकर ज्ञान ही तो मिलता है | ज्ञान बिना तो नर पशु समान होता है| बिना ज्ञान के हम भ्रांतियों में पड़ जाएंगे | चित को ठीक रखने के लिए अपने मोक्ष के लक्ष्य के लिए सदा जागरूक रहें | अहंकार का भाव है कि यह दृढ़ विश्वास हो कि मैं आत्मा हूं शरीर नहीं | इस अवसर पर ऋचा रश्मि ने प्रभु सिमरन में जो मन डूबा उसका क्या कहना भजन गाकर सभी को भक्ति युक्त कर दिया |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here