कृषि कानूनों के अस्तित्व में आने के बाद से ही देश भर में किसानों व उनके सहयोगी संगठनों द्वारा केन्द्र की भाजपा सरकार का जो विरोध हो रहा है, वह जग जाहिर है तथा इस विरोध के चलते पंजाब में भाजपा की क्या स्थिति है यह भी किसी से छिपी नहीं है। हालांकि पार्टी द्वारा मजबूती के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं। लेकिन, अकाली दल के साथ गठबंधन टूटने के बाद भाजपा के लिए पंजाब में 117 सीटों पर चुनाव लडऩा सबसे बड़ी चुनौती के रुप में खड़ा हो गया है तथा पार्टी सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार इस स्थिति से निपटने के लिए पार्टी हाईकमान अपने कई दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारने की तैयारी में है।
लेकिन जिन दिग्गज नेताओं की चर्चा से माहौल में गर्माहट है उनमें से कईयों ने तो नाम चर्चा में आने से पहले ही अगल-बगल झांकनां शुरु कर दिया है। वे ऐसे बचते नजर आ रहे हैं जैसे बिल्ली को देखकर चूहा इधर से उधर भागता है कि कहीं बिल्ली की नजऱ उस पर न पड़ जाए। पार्टी के सिर पर कई अहम पदों पर सुख भोगने वाले नेता भी आज खुलकर सामने आने को तैयार नहीं तथा अंदरखाते वह पार्टी को कौन सी मजबूती प्रदान करने में लगे हैं, इसके बारे में बात न ही करें तो अच्छा है। क्योंकि, फिर आप नाम पूछने लग जाते हैं तो मेरे लिए मुसीबत खड़ी हो जाती है।
-लालाजी स्टैलर की राजनीतिक चुटकी-
इतना जरुर है कि नेता जी की प्रेरणा से कई नेता पाला बदलने की तैयारी में हैं और कईयों ने तो पाला बदलते वक्त एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि उन्हें पार्टी ने कितना मान बख्शा। हो सकता है कि यह भी राजनीति का एक पैंतरा हो, पर आम जनता में राजनीतिक गलियारों से निकली चर्चा कई रंग पकडऩे लगी है। राजनीतिक गलियारों से आ रही चर्चा के अनुसार और तो और बड़ी-बड़ी गाडिय़ों में तथा सुरक्षा घेरे में रहने वाले नेता भी मैदान में उतारे जा सकते हैं और उस समय इन नेताओं की कड़ी परीक्षा होने वाली है। एक दूसरे को न भाने वाले नेताओं की आपसी फूट के चलते पहले ही बहुत सारी सीटें पर दूसरी पार्टी का कब्जा हो चुका है और ऐसे आसार कम ही नजऱ आ रहे हैं कि वे सीटें पुन: पार्टी की झोली में आ सकती हैं। किसी के बोलबचन, किसी का दिखावापन, तो किसी का सिर्फ अपनी तरक्की के बारे में सोचना व रह-रह कर दूसरी पार्टी के नेताओं की तारीफ करके उन्हें यह दिखाना कि वे उनके सच्चे मददगार हैं की चर्चाएं भी काफी गर्मा चुकी हैं।
चर्चा तो यह भी है कि कई तो गुप्त बैठकों में इशारा भी चुके हैं कि भले ही वह पार्टी नहीं छोड़ सकते, पर चिंता न करें आने वाले चुनाव में कमल का नहीं इशारा “हा…” का ही होगा व कुछेक तो “झा…” उठाने को भी तैयार हैं तो कईयों ने “…थी” पर बैठने की तैयारी में हैं। इसके अलावा इन नेताओं के साथ जुड़े उनके कुछ खासमखास भी कम नहीं हैं। अपने आका के इशारे पर गत नगर निगम चुनाव में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों का विरोध करके उन्होंने पार्टी वफादार होने का सबूत तो पहले ही दे दिया था। ऐसे में आने वाले विधानसभा चुनावों में उनसे कैसी उम्मीद की जा सकती है, का अंदाजा लगाया जा सकता है। राजनीतिक तौर पर पंजाब में पिछड़ रही भाजपा के लिए यह चुनाव सिरधड़ की बाजी के समान होंगे ऐसी राजनीतिज्ञों द्वारा आशंका जाहिर की जा रही है।
अब तो बस यह देखना होगा कि पार्टी के सिर पर बड़े-बड़े पदों पर सुखथ भोगने वाले दिग्गज मैदान में कितना टिक पाते हैं या फिर उससे पहले ही…। फिर वही बात कौन-कौन से नेता हैं, क्या नाम है। यह सब पूछ कर आप मुझे तंग न किया करें, कुछ तो राजनीतिज्ञों की बातों और इशारों को समझा करें कि कौन कैसा है और क्या करता है। अब पंजाब का हूं-होशियारपुर का हूं तो यहीं की बात करुंगा न। अब ये नाम-वाम आप ही जानों। मैं तो चला। जय राम जी की।