डिप्टी कमिश्नर ने पराली जलाने की घटनाओं की 24 घंटे निगरानी को यकीनी बनाने के लिए 1006 कलस्टर/नोडल अधिकारी किए तैनात

जालंधर (द स्टैलर न्यूज़)। ज़िले में पराली जलाने के रुझान को ख़त्म करने की अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुए डिप्टी कमिश्नर घनश्याम थोरी ने जिले में पराली जलाने की घटनाओं की 24 घंटे निगरानी और तुरंत कार्यवाही को यकीनी बनाने के लिए 1006 कलस्टर अधिकारी /नोडल अधिकारी तैनात किए है। इस सम्बन्धित और ज्यादा जानकारी देते हुए डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि ज़िलो में ‘ज़ीरो बर्निंग’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ज़िला प्रशासन की तरफ से बहुपक्षीय रणनीति तैयार की गई है, जिसके अंतर्गत पराली जलाने की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए ज़िले में कलस्टर अधिकारियों /नोडल अधिकारियों की तैनाती की गई है। थोरी ने बताया कि जिले में 1006 कलस्टर और नोडल अधिकारी तैनात किये गए है, जिनमें जालंधर -1 तहसील में 168, जालंधर -2 में 266, नकोदर में 148, शाहकोट में 182 और फिल्लौर तहसील में 242 अधिकारी शामिल है। उन्होंने आगे बताया कि प्रत्येक गाँव में एक कलस्टर अधिकारी को लगाया गया है और पाँच गाँवों के लिए एक प्रमुख को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि इन आधिकारियों को पराली जलाने के मामलों पर सख़्त नज़र रखने के आदेश दिए गए है और यदि कोई मामला इनके इलाकें में सामने आता है, तो तुरंत सम्बन्धित अधिकारी को रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।

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डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि धान की कटाई का सीजन जल्द शुरू होने वाला है और 15 अक्तूबर तक धान की कटाई पूरे ज़ोरों -शोरों के साथ होने की संभावना है, जिसके चलते कैंपों और किसान गोष्टियों के द्वारा किसानों को धान की पराली को आग न लगा कर इसका कृषि विभाग की तरफ से सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई जाती मशीनरी के द्वारा खेतों में ही निपटारा करने के लिए जागरूक किया रहा है। इसके इलावा कम्बाईन आप्रेटरों, सहकारी सभाओं, पंचायतों आदि को जागरूक करने के लिए भी कैंप लगाए जा रहे है,जिससे पराली जलाने के बुरे रुझान को रोका जा सके। उन्होंने किसानों को पराली साड़न के तरीकों का सहारा न लेने की अपील करते हुए कहा कि आग कारण होने वाला धुआँ जहाँ वातावरण को प्रदूषित करता है,वहीं आम लोगों विशेषकर कोविड -19 के साथ जूझ रहे मरीज़ों की मुश्किलें भी बढा सकता है।

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