सरकारी बैंकों के निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर रहे बैंक कर्मी, निकाली रोष रैली

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के आह्वान पर वर्तमान में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक,, 2021 को संसद सत्र में पेश करने के खिलाफ 16/12/2021 और 17/12/2021 को 10 लाख से अधिक कर्मचारी/अधिकारी 2 दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल कर रहे हैं। बैंकिंग कानून (संशोधन) बिल के विरोध में वीरवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, मुख्य शाखा, बैंक स्क्वायर, सैक्टर-17, चंडीगढ़ के सामने विशाल प्रदर्शन किया गया। बड़ी संख्या में महिला सदस्यों सहित 700 से अधिक प्रतिभागियों द्वारा जोरदार नारेबाजी की गई। उन्होंने केंद्र सरकार के इस कदम की निंदा की और जमकर प्रदर्शन किया। संजीव बंदलिश, दीपक शर्मा, जगदीश राय, टीएस सगू, बीएस गिल, विपिन कुमार हांडा और यूएफबीयू के विभिन्न घटकों के अन्य नेताओं ने अपने विचार साझा किए।
यूएफबीयू के अखिल भारतीय संयोजक संजीव बंदलिश ने कहा कि सरकार द्वारा राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण के लिए बार-बार प्रयास किए जा रहे हैं और यूएफबीयू लगातार संघर्ष और आंदोलनकारी कार्यक्रमों के माध्यम से इसका विरोध कर रही है। इस साल फरवरी में जब सरकार ने बजट में घोषणा की थी कि आईडीबीआई बैंक के अलावा दो पीएसबी का निजीकरण किया जाएगा तभी यूएफबीयू ने तुरंत बैठक की और 15 और 16 मार्च, 2021 को हड़ताल का आह्वान किया। इस दौरान होशियारपुर में भी सरकारी बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल रखी और रोष रैली निकाली। बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के सहयोग के कारण ये हड़ताल बहुत सफल रही। संसद के मौजूदा सत्र के दौरान इस विधेयक को पेश करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध होने के बाद से, यूएफबीयू ने 2 दिनों की इस हड़ताल सहित आंदोलन के रास्ते पर जाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हमारा संघर्ष सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग की रक्षा के लिए है, हमारा संघर्ष जन-समर्थक बैंकिंग नीतियों की मांग करना है, हमारा संघर्ष देश के व्यापक आधारित आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है। हमारा संघर्ष जीवंत अर्थव्यवस्था को सक्षम करने के लिए जीवंत बैंकिंग सुनिश्चित करना है, हमारा संघर्ष बैंकों के पूरे कार्यबल के हितों का विरोध करना है। संक्षेप में हमारा मंच देशभक्ति का संघर्ष है। बैंकों के निजीकरण के कानूनों का विरोध करते हुए, यूएफबीयू (ट्राइसिटी) के संयोजक संजय शर्मा ने कहा कि एक तर्क है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक अच्छा नहीं कर रहे है और इसलिए बेहतर दक्षता निश्चित करने के लिए इन बैंकों का निजीकरण करना होगा। उन्होंने कहा कि हम सभी जानते है कि निजी बैंकों की दक्षता, जिनमें से कई अतीत में विफल रहे हैं और गलत प्रबंधन के कारण बंद हो गए हैं। दूसरी और सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। एक तरफ सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के माध्यम से विभिन्न सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं को लागू कर रही है और दूसरी तरफ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के लिए बैंकों के कानूनों में संशोधन के लिए एक विधेयक ला रही है। महामारी की अवधि के दौरान यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक थे जिन्होंने निर्बाध ग्राहक सेवा दी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण से देश के आम लोगों और पिछड़े क्षेत्रों के हितों को खतरा होगा और इसलिए यूएफबीयू सरकार के इस तरह के प्रतिगामी कदमों का विरोध कर रहा है।
इस मौके पर दिव्यांशू, राजिंदर, प्रीतम दास, दीपक शर्मा, सुरेश लखनपाल, परमजीत कौर, हरीश, राजीव पराशर, बिपन रानी जसवाल, विजय, जतिंदर, गौरवप्रीत सिंह, संगीता, विकास, प्रदीप कुमार, सर्वजोत सिंह, कपिल देव, गुरमीत सिंह, परमिंदर सिंह धामी, कमलजीत कौर आदि बैंक मुलाजिम मौजूद थे।

Advertisements

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here