नेताजी के अखौती पी.ए. बने चर्चा का विषय

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू/लक्की। प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने भले ही वी.आई.पी. कल्चर को समाप्त करने की सराहनीय पहल की हो तथा उद्घाटनों एवं नींव पत्थर रखने आदि को लेकर भी कई प्रकार की हिदायतें जारी हैं। बावजूद इसके नेताओं के खासमखास चमचे ऐसे हैं जो ऐसे हैं जो अपने आका की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाने से भी परहेज नहीं करते। भले ही फिर जनता के बीच उनकी कितनी भी फजीहत ही क्यों न हो जाए।

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इन दिनों होशियारपुर के एक नेताजी के अखौती पी.ए. खूब चर्चा का विषय बने हुए हैं। आलम ये है कि कार्यालय में बैठकर अधिकारियों को दबका मारने जैसे छोटे-मोटे काम ही नहीं बल्कि उद्घाटन करना एवं किसी भलाई योजना की शुरुआत करने जैसे कार्यों में अपनी शमूलियत इस प्रकार शो करते हैं कि मानो नेताजी के बाद उनका ही नंबर हो और वे जो कहें सो सत वचन?

आलम ये है कि उनकी मनमर्जी और अंदरखाते किए जाने वाले कार्यों से जनता को कितनी परेशानी होती है ये शायद वे समझना जरुरी नहीं समझते और इससे उनके नेता के बारे में जनता में क्या संदेश जाएगा इसकी भी शायद उन्हें कोई परवाह नहीं। दो दिन से शहर के एक वार्ड में जो हुआ वे किसी से छिपा नहीं है। इसके पीछे भी नेताजी के पी.ए. का हाथ बताया जा रहा है, क्योंकि एक नेत्री उनकी रिश्तेदार बताई जा रही थी, जिसे व कुछ अन्य कांग्रेसियों को लेकर वे देरी से पहुंचे और उसके कारण लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। लोग मौके पर पहुंचे कांग्रेसियों को तो कुछ नहीं कह रहे थे, बल्कि उसके आका को खूब कोस रहे थे, जो उनकी लगाम कस कर रखना शायद जरुरी नहीं समझते।

अपनी लिहाज बाजियां पुगाने और अपनों को खुश करने के चक्कर में नेताजी का कितना नुकसान हो रहा है इसका पता शायद चुनाव के दौरान ही चलेगा, मगर फिलहाल सरकार बनी को जबकि थोड़ा ही समय हुआ है तो छोटी-छोटी बातों में दखल अंदाजी नेताजी को आने वाले समय में भारी पड़ सकती है की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। वैसे भी उक्त अखौती पी.ए. को नेता जी के करीबी कुछ लोगों से खासी तकलीफ भी है तथा वे कार्यालय में उनके आने से खासे खुश नहीं होते, जबकि नेताजी को सफल बनाने में उनका क्या योगदान है ये लगभग हर कांग्रेसी जानता है।

अब देखना ये होगा कि नेताजी अपने इस अखौती पी.ए. पर कैसे लगाम लगाते हैं और जनता के बीच अपनी छवि को सुधारने के लिए किस प्रकार के कदम उठाते हैं। राजनीतिक माहिरों का मानना है कि जहां तक भलाई योजनाओं एवं जनता को उनका लाभ पूरा मिलने की बात है तो नेताजी को एक ऐसी टीम बनानी चाहिए जो समय पर पहुंच कर लोगों को मिल सके और उनकी समस्याओं का निदान करवा सके तथा उक्त अखौती पी.ए. की तरह देरी से पहुंच कर अपने आका और सरकार की फजीहत होने से बचा सके।

होशियारपुर में भाजपा के एक नेता जी के पी.ए. रहे एक शख्स भी खासे चर्चा में रहते थे, नेता जी तो कभी किसी को कुछ नहीं कहते थे, मगर पी.ए. साहिब के किस्से आजतक मशहूर हैं। उसकी करनियों का फल नेता जी को हार का मुंह देखकर चुकाना पड़ा था तथा उसे दूर किए जाने के बावजूद भी नेता जी के दिन नहीं फिरे थे। अगर ऐसी उदाहरणें हमारे सामने तो भी सबक न लिया जाए तो क्या कहेंगे! रब्ब राखा?

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