देश की शिक्षा में गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाए: नरेश पंडित

कपूरथला (द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट: गौरव मढिय़ा। विश्व हिन्दू परिषद जालंधर विभाग के प्रधान नरेश पंडित ने कहा कि देश की शिक्षा में गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए और कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता किए बिना संस्कृत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

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नरेश पंडित ने कहा कि केंद्र को शिक्षा व्यवस्था में सकारात्मक प्रयोग करने वालों को प्रोत्साहित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत प्रत्येक स्कूल में पढ़ाई जानी चाहिए। सरकार को इसके बारे में गंभीरता से चिंतन करना चाहिए। हमारा मानना है कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है और यदि आपको भारत को समझना है तो संस्कृत के बिना आप यह नहीं कर सकते। इसीलिए कौन क्या कहेगा, इसकी चिंता किए बिना संस्कृत को उसका स्थान दिलाया जाना चाहिए। गुरुकुल व्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर बल देते हुए नरेश पंडित ने कहा कि हम आज के समय में आश्रम जैसी व्यवस्था के बारे में नहीं सोच सकते लेकिन जब हम गुरुकुल व्यवस्था की बात करते हैं तब शिक्षा संस्थान की प्राथमिकता होती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा को व्यवसाय की बजाय मिशन के रूप में लेकर चलने वाले संस्थान होना समय की मांग है।
नरेश पंडित ने कहा कि देश ने ब्रिटिशकालीन शिक्षा पद्धति अपना ली थी, जिसमें सभी शैक्षणिक संस्थानों को सरकार द्वारा निर्धारित नीतियों का पालन करना होता है लेकिन आवश्यकता इसकी है कि सरकार शैक्षणिक नीतियों में बदलाव की अनुमति प्रदान करे। उन्होंने कहा कि कुछ संस्थान हैं जिन्होंने अपनी नीतियां अपनाई हैं और उन्हें सफलतापूर्वक लागू किया है। मुझे लगता है कि जिन्होंने शैक्षणिक व्यवस्था में सकारात्मक प्रयोग किए हैं, उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए।
इस अवसर पर विहिप के जिला मंत्री राजू सूद, जिला उपप्रधान मंगत राम भोला, सीनियर जिला उपप्रधान नारयण दास विहिप नेता अशोक शर्मा, विहिप के सीनियर नेता जोगिंदर तलवाड़, बजरंग दल प्रदेश कार्यकारणी सदस्य संजय शर्मा, जिला प्रभारी, बावा पंडित, जिला प्रभारी राकुमार अरोड़ा, जिला प्रभारी चंदरमोहन भोला, जिला प्रधान जीवन प्रकाश वालिया, अमनप्रीत छाबड़ा, आनंद यादव, अनिल वालिया, मोहित जस्सल, विजय ग्रोवर,अमित ग्रोवर, बजरंगी, विजय यादव, रिंकू छाबड़ा, संदीप अग्रवाल, राजीव टंडन, गौरव शर्मा, अंकित पंडित, शिव सागर, तनुज महाजन, राजन शर्मा, पवन शर्मा, स्वामी प्रसाद शर्मा, दीपक मरवाहा, राजेश कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे।

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