गुरु रविदास आयुर्वेद यूनिवर्सिटी में फिर हुआ हंगामा

uni-बी.ए.एम.एस. की डिग्री की मान्यता को लेकर इंंटरशिप कर रहेे विद्यार्थियों ने किया रोष प्रदर्शन-बाद दोपहर तक नहीं होने दी नए बच्चों के दाखिले संंबंधी काउंसलिंग-
होशियारपुर। गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी में शनिवार को एक बार फिर से जमकर हंंगामा हुआ। पंजाब के विभिन्न कालेजों में बी.ए.एम.एस. कर रहे विद्यार्थियों ने यूनिवर्सिटी में ह रही बी.ए.एम.एस. की नए सैशन की कौंसलिंग न होने के लिए यूनिवर्सिटी परिसर में जमकर नारेबाजी की और अपनी डिग्री की मान्यता को लेकर स्थिति स्पष्ट करने की बात कही। इस दौरान कुछ विद्यार्थी उस कमरे के बाहर बैठक गए जहां पर काउंसलिंग के लिए पहुंंचे विद्यार्थियों के कागजात चैक किए जा रहे थे। विद्यार्थियों द्वारा अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे प्रदर्शन को देखते हुए पहले तो तहसीलदार होशियारपुर ने उन्हें समझाने की कोशिश की, पर जब वे नहीं माने तो एस.डी.एम. ओआनंद सागर शर्मा ने खुद मौके पर पहुंच कर विद्यार्थियों को समझाने का प्रयास किया। मगर विद्यार्थी उनकी समस्या सुलझने तक वहीं बैठने पर अड़े रहे। काफी देर प्रयास करने उपरांत एस.डी.एम. उन्हें बातचीत के लिए राजी कर पाए। विद्यार्थियों द्वारा काउंसलिंग रोकने को लेकर दूर-दराज से आए काउंसलिंग केे लिए पहुंचे विद्यार्थियों एवं उनके परिजनों का पारा भी चढऩे लगा था। स्थिति विस्फोटक न हो इससे पहले ही एस.डी.एम. बच्चों को वी.सी. के कमरे में ले गए व काउंसलिंग का कार्य शुरू हो पाया। वी.सी. के कमरे हुई बातचीत में बच्चों को डिग्री के साथ जुुड़ा भ्रम दूर करते हुए उन्हें इस संंबंधी की जा रही कार्रवाई सेे अवगत करवाया। इसके बाद विद्यार्थी व यूनिवर्सिटी का माहौल शांत हो पाया।

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होशियारपुर की श्री गुरु रविदास यूनिवर्सिटी में शनिवार को बी.ए.एम.एस. के विद्यार्थियों की काउंसलिंग थी। काउंसलिंग के लिए पंजाब के विभिन्न शहरों के अलावा दूसरे राज्यों से भी बच्चें अपने परिजनों के साथ यूनिवर्सिटी पहुंचे थे। सुबह नौ बजे कौंसलिंग शुरू हुई। इसी दौरान यूनिवर्सिटी के पंजाब के विभिन्न कालेजों में बी.ए.एम.एस. कर रहे विद्यार्थी यहां पहुंच गए और उन्होंने यूनिवर्सिटी के खिलाफ नारेबाजी करनी शुरू कर दी और कहा कि जब तक उन्हें इंसाफ नहीं मिलता तब तक अगली काउंसलिंग नहीं होनी चाहिए, क्योंकि साढ़े पांच साल पढ़ाई करने के बाद अब उनकी डिग्री को दूसरे राज्यों में मान्यता नहीं मिल रही और न ही उन्हें एम.डी. की पढ़ाई व प्रैक्टिस करने दी जा रही हैं। यूनिवर्सिटी के पुराने छात्रों द्वारा रोष प्रदर्शन देख कर नई काउंसलिंग करवाने आए नए बच्चों के परिजन भी भयभीत हो गए और अधिकतर परिजन भी विद्यार्थियों के हक में आ खड़े हुए और यूनिवर्सिटी की मान्यता पर ही प्रश्न चिन्ह लगा दिया कि क्या यूनिवर्सिटी की डिग्री मान्य है जा नहीं। मामला भांपते हुए वी.सी. ने काउंसलिंग करवाने आए बच्चों के परिजनों को आश्वासन दिया की आपके बच्चों का भविष्य खतरे में नहीं हैं। पंंजाब के विभिन्न कालेजों से आए बी.ए.एम.एस. काउंसलिंग रूम के बाहर बैठ गए। इस कारण कौंसलिंग भी नहीं हुई।

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डिग्री होने के बावजूद नहीं है प्रैक्टिस का अधिकार

विद्यार्थियों ने कहा कि साल 2011 में स्थापित हुई होशियारपुर की गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी की डिग्रियां कहीं मान्य ही नहीं हैं। इस वजह से यूनिवर्सिटी से कोर्स करने वाले विद्यार्थी अब बेकार बैठे हैं। उन्हें प्रैक्टिस का अधिकार ही नहीं है। क्योंकि यूनिवर्सिटी ने सेंटर कौंसिल आफ इंडियन मेडिसन (सीसीआईएम) से मान्यता ही नहीं ली है। प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों ने बताया कि उनके सीनियर डिग्री करने के बाद भी अपने घरों में फ्री बैठे हैं। विद्यार्थियों ने कहा उनके सीनियर के पास डिग्री है, लेकिन वे प्रैक्टिस नहीं कर सकते है। इसका मुख्य कारण है कि उनकी डिग्री के पीछे रजिस्ट्रार ने लिखा है कि यूनिवर्सिटी की डिग्री मान्य नहीं है, क्योंकि यू्निवर्सिटी सी.सी.आई.एम. से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। विद्यार्थियों ने कहा कि 2008-09 व 2009-10 के विद्यार्थियों को जो डिग्री दी गई है वो सी.सी.आई.एम. से मान्यता प्राप्त नहीं हैं। वहीं विद्यार्थियों ने कहा कि 2009 के बाद 2014 तक जो बच्चें ये कोर्स कर रहे हैं उनका क्या भविष्य हैं। उन्होंने कहा कि सी.सी.आई.एम. से मान्यता न मिलने के कारण वे एम.डी. और दूसरे राज्यों में प्रैक्टिस नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि इसलिए वो कौंसलिंग नहीं होने देंगे ताकि और किसी का भविष्य खराब न हो।

uni4संंबंधित विभागों को हल केे लिए लिखा है:वी.सी.

वी.सी. प्रो. ओम प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि सी.सी.आई.एम. ने 2008-09 और 2009-2010 बैच को शूडयैल-2 में मान्यता दे दी हैं और पूरा मामला आयूष विभाग के पास है जो भारत सरकार का एक मंत्रालय है उन्होंने कहा कि आयूष से भी मामला अब लॉ डिपार्टमेंट में जा चुका है, वहां से मंजूरी मिलने के बाद सभी विद्यार्थी कहीं भी प्रैक्टिस कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इंटरशिप के बाद यूनिवर्सिटी सी.सी.आई.एम. को लिख कर भेजती थी, लेकिन जो बच्चें इंटरशिप में दाखिल होते हंै उन्हें सी.सी.आई.एम. व आयूष से मान्यता मिलें इसके लिए भी पत्र लिख वे संंबंधित विभागों को चुके हैं। उन्होंने बताया विभाग की और से उन्हें आठ सप्ताह का समय दिया गया ह,ै जिसमें थोड़ा समय आगे पीछे भी हो सकता हैं। आयुर्वेदा पंजाब के रजिस्ट्रार की तरफ से लिखा गया है जो अलग विभाग है इसके लिए भी उन्होंने सरकार व संबंधित अधिकारियों से बात की हैं।

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