भारतीय नव वर्ष एक प्रकार से हमारी भव्य संस्कृति व सभ्यता का स्वर्ण दिवस है: साध्वी प्रकाशा भारती

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा गौतम नगर होशियारपुर आश्रम में विक्रम संवत 2079 के उपलक्ष्य में धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अपने विचारों को रखते हुए संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री गुरू आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री प्रकाशा भारती जी ने कहा कि भारतीय नव वर्ष एक प्रकार से हमारी भव्य संस्कृति व सभ्यता का स्वर्ण दिवस है। भारतीय गरिमा में निहित अध्यात्म व विज्ञान से परिचित होने और गर्व करने का अवसर है। आगे साध्वी जी ने कहा कि धरती के जिस टुकड़े पर हमारा जन्म हुआ, हमारा पालन पोषण हुआ, जहां हम रहते हैं, जिससे हम जुड़े हुए हैं, यदि उसकी महानतम संस्कृति से अनभिज्ञ रहे तो हमारी स्थिति उस भिखारी के समान हो जाएगी जो सारी जिन्दगी भीख ही मांगता रहा। पर उसकी मृत्यु के उपरान्त, जिस जगह पर वह भीख मांगता था, जब उस जगह को खोदा गया, तो वहां नीचे से अशर्फियों से भरा कलश निकला। धन का ज्ञान न होने के कारण उसे अपना सारा जीवन कष्ट में बिताना पड़ा।

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यही स्थिति हमारी भी है। हम अपने राष्ट्र भारत के गर्भ में छिपे अध्यात्म विज्ञान, संस्कृति व मूल्यों के रत्नों से परिचित नहीं और पाश्चात्य देशों का अनुकरण कर रहे हैं। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। विक्रमी संवत पर अधारित भारतीय नववर्ष को भुलाकर 1 जनवरी को नववर्ष का उत्सव मनाना। एक तरफ विक्रमी संवत, जिस दिन सृष्टि का प्रथम दिवस आरंभ हुआ,स्मृति कौस्तुभ के अनुसार इसी घड़ी में भगवान नारायण ने मत्स्यावतार धारण किया, जिस दिन श्री रामचन्द्र भगवान का राज्यभिषेक हुआ, उस दिन सूर्य की प्रथम किरण और प्रकृति में नवीनता के साथ नव वर्ष का आगाज हुआ और नए उत्साह और उमंग के साथ नव वर्ष का स्वागत किया गया और दूसरी और 31 दिसंबर की घोर रात्री। 12 बजते ही चिल्ला चिल्लाकर, गाडिय़ों के भोंपू, ड्रम, साइरन, सीटियों का कानफोडू शोर मचता है। इतना ही नहीं आंकड़े बताते हैं कि करीबन 50 प्रतिशत जनता 31 जनवरी की रात को घटने वाली हिंसक और अमर्यादित वारदातों को लेकर घबराती है। सडक़ों और होटलों में पुलिस की डयूटी और गश्त बढ़ानी पड़ती है।

अंग्रेजी नए साल की आहट होते ही हत्याएं, बलात्कार, चोरी, सडक़ दुर्घटनाओं में 9 गुणा बढ़ोतरी हो जाती है। पिछले 5 सालों में 24 दिसंबर से 30 दिसंबर तक हिसंक वारदातों का औसतन दर 50 रहा है, जबकि अकेले 31 दिसंबर की रात 9 से 3 बजे तक यह दर 450 तक पहुंच जाता है। यह मनोरंजन की आड़ में कैसी वहशियत का तांड़व है? नए साल का जश्र है या मन में दबी कु चली वासनाओं का खुला नाच? साध्वी जी ने अंत में कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शुभ मुहूर्त भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन नक्षत्रों की दशा, स्थिति और प्रभाव उतम होते हैं गणेश्यामल तंत्र के अनुसार पृथ्वी पर नक्षत्रलोक से चार प्रकार की तरगें गिरती रहती हैं जो आत्मबल की धनी और उत्थानकारी हुआ करती हैं।

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