हमीरपुर (द स्टैलर न्यूज़) रिपोर्ट: रजनीश शर्मा।बाल विकास परियोजना क्षेत्र सुजानपुर में कुपोषण और अनीमिया को रोकने के लिए एक वृहद योजना तैयार की जा रही है। इसे जल्द ही अंतिम रूप दे दिया जाएगा। बुधवार को पर्यवेक्षकों के लिए ‘सहयोगी पर्यवेक्षण : गुणवत्ता सुधार का महत्वपूर्ण साधन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए बाल विकास परियोजना अधिकारी कुलदीप सिंह चौहान ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक क्षेत्रों में बेहतर स्थिति तथा विभिन्न योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन के बावजूद कुपोषण एवं अनीमिया पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। कुपोषण एवं अनीमिया के उन्मूलन के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार भरसक प्रयास कर रही है। कुलदीप सिंह चौहान ने बताया कि केंद्र सरकार ने अब अधिकतर भारतीयों के पसंदीदा भोजन चावल को भी फोर्टीफाइड करने का निर्णय लिया है। सरकार के इन प्रयासों को फलीभूत करने के लिए अंतिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं हेतु सहयोगी पर्यवेक्षण की नितांत आवश्यकता है।
बाल विकास परियोजना अधिकारी ने कहा कि कुपोषण एवं अनीमिया के उन्मूलन अभियान को जन आंदोलन बनाने के लिए वह अगले छह माह तक स्वयं भी वृत्त पर्यवेक्षकों के साथ संयुक्त रूप से आंगनबाड़ी केंद्रों में पूर्व सूचना के साथ प्रवास पर रहेंगे, ताकि अधिक से अधिक गर्भवती महिलाओं, धात्री माताओं, 6 माह 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की माताओं तथा जनप्रतिनिधियों से सीधे संवाद हो सके और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के कौशल को धार दी जा सके तथा उनकी शंकाओं का मौके पर ही निपटारा हो सके।
चौहान ने बताया कि कार्य योजना के अंतर्गत गर्भावस्था का पता चलते ही गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य और सहगामी योजनाओं से जोडऩे पर बल दिया जा रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बीएमआई का निर्धारण कर उसके माध्यम से गर्भवती महिलाओं की पोषण स्थिति का आकलन कर चिकित्सकों के परामर्श से गर्भावस्था के दौरान वांछित वजन वृद्धि का निर्धारण करेंगी तथा प्रत्येक माह इसकी निगरानी रखी जाएगी। इससे गर्भवती महिला तथा उसकी निगरानी रख रही टीम को भी अवगत कराया जाएगा।
प्रत्येक गर्भवती माता की आहार आवृति, आहार पर्याप्तता, आहार विविधता, प्रसव पूर्व जांच, आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियों और कैल्शियम की गोलियों के उपभोग का भी लेखा-जोखा रखा जाएगा। उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उनकी सघन निगरानी व देखभाल सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने बताया की स्वस्थ बाल बालिका स्पर्धा के माध्यम से गंभीर रूप से अल्पवजनी, दुबले और नाटे बच्चों की पहचान की गई है। इन बच्चों की निगरानी हेतु आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा कार्यकर्ता, एएनएम, स्वास्थ्य पर्यवेक्षक, आईसीडीएस पर्यवेक्षक व चिकित्सकों की टीम बनाई गई है। इस टीम को एक व्हाट्सएप ग्रुप से जोडक़र गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को भी ग्रुप से जोड़ा गया है।