एक हादसे ने बदली जिंदगी, ‘लाशों’ की सेवा की खातिर नहीं की शादी

हमीरपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: रजनीश शर्मा। बदलते युग में जहां मानवीय संवेदनायें जहां लगभग खत्म होती जा रही हैं। इसी युग में अगर आपको एक ऐसा इंसान मिले जो लावारिस शवों का न केवल अंतिम संस्कार कर रहा है बल्कि अस्थियों को अपने ही खर्च पर मुक्ति दिला रहा हो तो आप भी हैरान रह जायेंगे। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर कस्बे में एक ऐसा इंसान है जो ऐसा कर रहा है। उसके किस्से आज हर किसी की जुबान पर सुने जा सकते हैं। शांतनु के इसी जज्बे का हर कोई कायल है।

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अपने खर्चे पर कर रहे हैं लाशों की सेवा

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर के समाजसेवी शांतनु कुमार करीब डेढ दशक से लावारिस लाशों को अपने कंधों पर उठाकर न केवल उनका अंतिम संस्कार करवाते हैं बल्कि अपने खर्चें पर हरिद्वार जाकर अस्थियां को रीति-रिवाज के साथ गंगा में विसर्जित करते हैं। शांतनु अब तक करीब करीब 2763  लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं।  काबिलेगौर है कि अपने ही खर्च पर हरिद्वार जाकर हर की पौड़ी ब्रह्मा कुंड में हिंदू शास्त्र के अनुसार पिंड दान करवाते हैं।

समाजसेवा के लिए नहीं की शादी

शांतनु कुमार ने समाज सेवा के लिए अविवाहित रहने का निर्णय लिया। जब भी उन्हें पता चलता है कि कहीं पर लावारिस शव पड़ा तो वह अपने मकसद के लिए निकल पड़ते हैं और शव का अंतिम संस्कार कराने के बाद हरिद्वार में अस्थियां विसर्जन करके वापस लौटते हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में नदौन केयर फाउंडेशन द्वारा   स्थापना दिवस पर मिशन लावारिश को सम्मान दिया गया । यह सम्मान मिशन लावारिश में और ऊर्जा पैदा करेगा।

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