होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से स्थानीय आश्रम गौतम नगर में धार्मिक कार्यक्रम करवाया गया। जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री प्रजीता भारती जी ने कहा कि हमारे महापुरूषों ने सदा ही अच्छे समाज की सृजना के लिए प्रयास किए। लेकिन समाज की बात करने से पहले हमें यह समझना होगा कि समाज कहते किसे हैं। क्या मनुष्यों के समूह मात्र को समाज का नाम देना सही होगा? क्या लाखों की भीड़ समाज है? क्या लोगों का झुण्ड समाज हैं। फिर पशु-समुदाय को क्या उपमा देंगे? गज मृग आदि बनचरों के झुण्ड़ो को क्या कहेंगे? आगे उन्होंने ने कहा कि समाज केवल मानवों का जमघट नहीं। समाज वह है, जहां ‘सममउ अजन्ति जना:अस्मिनउ इति’ समस्त लोग मिलकर, प्रेम से एक साथ एक गति से चलें। जहां हदय सदभावना से ,आत्मीयता से परिपूर्ण हों। आचरण सोहार्द से प्रेरित हो।
कदमों में केवल विकासशीलता की गति ही न हो,एकत्व की लक्ष्य भी हो। अंत में उन्होंनें कहा कि मनुष्य ही समाज की इकाई है, इसलिए प्रत्येक मनुष्य के प्रयास से ही एक अच्छे समाज का निर्माण हो सकता है। जैसे शरीर के अंगों के बीच कैसा अदभुत सामंजस्य होता है। हाथों का निवाले को उठाना,दांतों का चबाना, जीभ का निगलना, उदर का पचाना, हदय का रक्त बांटना सभी मिलकर देंह तंत्र के लिए काम करते हैं, इसी प्रकार मानव समाज भी एक विराट देह हैं हर नागरिक को अच्छा बनाने के लिए अपना अपना योगदान देना होगा, तभी हम महापुरूषों के सपने को साकार कर सकते हैं। इसलिए हमें भी निस्वार्थ भावना से सृष्टि चक्र चलाने में अपना सहयोग देना होगा।