निगम के अधिकारियों ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के बिल्डिंग ब्रांच को लेकर दिए गए फैसले को भी छींके पर टांग

जालंधर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: अविषेक कुमार। नगर में निगम की बिल्डिंग ब्रांच में जो काम के लिए सेक्टर अनुसार प्रभार सौंपे गए हैं उनमें नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी हैं। निगम के अधिकारियों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के बिल्डिंग ब्रांच को लेकर दिए गए फैसले को भी छींके पर टांग दिया है। टेक्निकल सीटों पर नॉन टेक्निकल स्टाफ को बैठा दिया है।हालांकि इस कारनामें को अंजाम देने वाले नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि स्टाफ की कमी के कारण यह टेंपरेरी अरेंजमैंट किया गया है। टेंपरेरी अरेंजमैंट तो किया लेकिन उसमें सभी नियम कायदे कानून ताक पर ऱख दिए गए। बिल्डिंग ब्रांच जिसमें नक्शे पास होने से लेकर अन्य तकनीकी काम होते हैं उस ब्रांच में सहायक टाउन प्लानर तक का काम क्लैरीकल साइड से आने वाले सुपरिनटैंडैंट को सौंप दिया गया है।हद तो यह है कि नगर निगम में बुढ़ापा पेंशन का काम देखने वाले भी अब लोगों के घरों का नक्शा पास करेंगे। जिनके पास ना तो उस प्रोफेशन की कोई डिग्री है, ना तजुरबा है और ना ही कोई भवनों से संबधित तकनीकी जानकारी है। निगम ने जो आज सेक्टर के अनुसार बिल्डिंग ब्रांच का प्रभार सौंपा है उसमें तीन-चार लोगों को छोड़ कर शेष सभी नॉन टेक्निकल हैं।नगर निगम के असिस्टेंट कमिश्नर राजेश खोखर की तरफ से जारी लिस्ट में एक नाम राजिंदर शर्मा का भी हैं।

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इन्हें पहले विभाग ने पदोन्नत कर एटीपी बना दिया था। लेकिन इनका ट्रैक रिकार्ड ठीक न होने पर इन्हें डिमेट करके दोबारा फिर से इंस्पेक्टर बना दिया था। इंस्पेक्टर राजिंदर बिल्डिंग इंस्पेक्टर हैं औऱ टेक्निकल साइड से हैं। हैरानी की बात है कि एक तरफ अधिकारी स्टाफ शॉर्टेज का रोना रो रहे हैं और दूसरी तरफ जो टेक्निकल साइड से इंस्पेक्टर है उसे दफ्तर में बिठाया गया है। नई लिस्ट में अलग से साफ लिखा है कि वह हेड क्वार्टर में रहेंगे। जबकि उनकी सेवाएं ली जानी चाहिए थीं।निगम ने नॉन टेक्निकल लोगों को टेक्निकल काम सौंप दिया है। जिन लोगों का पे स्केल 4200 से 4800 के बीच है उन्हें हैड ड्राफ्ट्समैन जिसका वेतनमान 5000 से ऊपर है का काम सौंप दिया है। बेशक कनिष्ठ का वेतनमान कम है लेकिन सौंपे गए काम के हिसाब से निगम में वह अपने वरिष्ठों से भी ऊपर हो गए हैं।निगम के इंस्पेक्टर जो बुढ़ापा पेंशन से लेकर लाइसेंस बनाने, तह-बाजारी इत्यादि का काम देख रहे थे, निगम के तीन अधीक्षक जो फायर ब्रिगेड, प्रॉपर्टी टैक्स का काम देख रहे थे वह अब बिल्डिंग ब्रांच में टेक्निकल काम देखेंगे।

इसी तरह से निगम की बीएंडआर ब्रांच के जूनियर इंजीनियरों को हैड ड्राफ्ट्समैन का काम सौंप दिया गया है। जबकि दोनों के स्केल में एक हजार रुपये तक अंतर है।नगर निगम की जिम्मेदारियां सौंपनी वाली लिस्ट में सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि एक अधिकारी जो पिछले दिनों निगम के दफ्तर में ही आत्म करने वाले कर्मचारी के केस में वांछित है उसे भी जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस अधिकारी को पुलिस ने कर्मचारी को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने के मामले में नामजद कर रखा है। पुलिस इसे पकड़ने के लिए दबिश दे रही है औऱ निगम उसे अतिरिक्त जिम्मेदारी सौंप रहा है।नगर निगम के सहायक कमिश्नर जिनके हस्ताक्षरों से प्रभार देने की चिट्ठी जारी हुई है से जब पूछा गया कि यह तो कोर्ट के आदेशों की उल्लंघन है तो उन्होंने कहा कि यह सिर्फ टेंपरेरी अरेंजमैंट है। जब स्टाफ आ जाएगा को नॉन टेक्निकल लोगों को बिल्डिंग ब्रांच से हटा दिया जाएगा। सहायक कमिशनर से जब यह पूछा गया कि अब आपकी लिस्ट के अनुसार कई कनिष्ठ लोग वरिष्ठों से ऊपर या फिर उनके समान्तर आ गए हैं तो उन्होंने इस बात को टाल दिया। सिर्फ एक ही बात दोहराते रहे कि टेंपरेरी अरेंजमैंट है।नगर निगमों की बिल्डिंग ब्रांचों में टेक्निकल और नॉन टेक्निकल स्टाफ को लेकर कोर्ट में एक याचिका डाली गई थी। जिसमें पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच में सिर्फ टेक्निकल स्टाफ को भर्ती करने के आदेश जारी किए थे।

आदेश के बाद बिल्डिंग विभाग में बिल्डिंग इंस्पेक्टरों की भर्ती हुई थी।जालंधर के पूर्व मेयर सुनील ज्योति जो कि उस वक्त भर्ती कमेटी के सदस्य भी थे ने बताया कि 650 के करीब इंस्पेक्टरों से लेकर अन्य तकनीकी स्टाफ की भर्ती की गई थी। उन्होंने कहा कि नगर निगम की बिल्डिंग ब्रांच को लेकर स्पष्ट निर्देश हैं कि वहां पर कोई नॉन टेक्निकल व्यक्ति नहीं बैठाया जा सकता। उन्होंने कहा कि बिल्डिंग ब्रांच में सारा काम ही टेक्निकल है तो वहां पर नॉन टेक्निकल स्टाफ को बिठाना ही गलत है।इसी बीच नगर निगम के मेयर जगदीश राज राजा से जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि वह दफ्तर से निकल आए हैं। बिल्डिंग ब्रांच में नॉन टेक्निकल स्टाफ को लगाया गया है, इसकी उन्हें जानकारी नही है। मैं बुधवार को नगर निगम में आऊंगा उसके बाद अधिकारियों से पूछ कर ही कुछ बता सकता हूं।

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