निगम ड्राइवर की काली करतूत: सहायक कमिशनर ने मामले को गंभीरता से सुनना भी नहीं समझा जरुरी

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री बेटी-बचाओ, बेटी-पढ़ाओ व नारी सम्मान का नारा दे रहे हैं तो दूसरी तरफ इस नारे को सार्थक करने में अहम भूमिका निभाने वाले अधिकारी वर्ग का हाल ये है कि नारी सम्मान से जुड़ी अगर कोई समस्या उनके ध्यान में लाई जाए तो वे उसे हल करना तो दूर गंभीरता से सुनना भी जरुरी नहीं समझते। जिसके चलते सख्त से सख्त कानून होने के बावजूद भी बेटियां अपेक्षित हैं तथा मोदी जी का नारा और हिदायतें मात्र फाइलों की शोभा और फ्लैक्स बोर्ड की शोभा बढ़ाती प्रतीत हो रही हैं।

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ताजा मामला नगर निगम होशियारपुर से जुड़ा हुआ है। निगम में कार्यरत एक ड्राइवर की काली करतूतें सामने आने के बावजूद भी अधिकारी वर्ग उसके खिलाफ न जाने क्यों कार्रवाई करने से अपना हाथ खींच रहे हैं, जिसके चलते निगम की कार्यप्रणाली और अधिकारियों की उदासीनता दोनों ही सवालों के घेरे में है।

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार नगर निगम में एक ड्राइवर कार्यरत है जोकि आउटसोर्स के माध्यम से नियुक्त है। कछ समय पहले ही उक्त ड्राइवर ने नगर निगम में सर्वे (आवास योजना के तहत लोगों से मकान व जमीन संबंधी जानकारी हासिल करने हेतु) के लिए बैठे एक प्राइवेट कंपनी के कर्मियों को गच्चा देकर वहां से कुछ महिलाओं का डाटा (मोबाइल फोन नंबर आदि) चोरी करके उन्हें मैसेज भेजे। यहां तक कि उसने हैलो हॉय से बात शुरु करते हुए निगम से जुड़ा उनका काम करवाने तक भी बात कह डाली तथा और भी कई प्रकार के मैसेज भेजकर अपने इरादे स्पष्ट करने की मंशा व्यक्त की। इसी बीच उसने एक महिला को जब मैसेज भेजा तो उसने व उसके परिवार ने इसका कड़ा संज्ञान लिया। हालांकि बताया जा रहा है कि ड्राइवर ने बात खुलता देख माफी मांग जान छुड़ा ली है, मगर हैरानी की बात ये है कि ये उसकी कोई पहली गलती नहीं थी। इससे पहले भी वह ऐसी हरकत को लेकर विवादों में रह चुका है तथा बार-बार गलती करने के बावजूद उसका निगम में कार्य करना सवालों के घेरे में है। कुछ समय पहले जब निगम में आनंद सागर शर्मा कमिशनर थे तो उस समय भी उक्त ड्राइवर ने किसी महिला को अश्लील मैसेज भेजे थे तथा उस समय भी जब बात बढ़ी तो उसने माफी मांग कर जान छुड़ाई थी। परन्तु अब जबकि एक बार फिर से उसने ऐसी हरकत की है तो इससे जहां उसकी नीयत और चरित्र पर संदेह पैदा होता है वहीं निगम के डाटा चोरी होने का खतरा भी बढ़ गया है। ड्राइवर जिसकी ड्यूटी भी डाटा कोलेट करने वाले कमरे में नहीं थी, वह वहां गया और डाटा चोरी करके अपने नापाक इरादों को पूरा करने के प्रयास में लग गया, ऐसे में सवाल ये है कि अगर ऐसे कर्मी जोकि पक्का भी नहीं है, किसी भी कमरे में घुसकर गोपनीय डाटा चोरी करके कोई भी गुल खिला सकता है।

सूत्रों की माने तो ये बात अधिकारियों के ध्यान में है तथा वे न जाने क्यों इसे गोलमोल करके कार्रवाई के स्थान पर बात दबाए रखना चाहते हैं।

अब दूसरी तरफ निगम के अधिकारी की बात सुनिए, निगम के सहायक कमिशनर परमजीत सिंह, जोकि किसी समय निगम में ई.ओ. की पोस्ट पर कार्यरत थे के साथ फोन पर बात की गई तो उन्होंने कहा कि आप शिकायत दें मैं देखता हूं। जब उन्हें कहा कि पत्रकार शिकायत नहीं देते वे तो समस्या ध्यान में लाते हैं तो बात को गंभीरता से लेने की बजाए उन्होंने ये कहते हुए बात को टालना चाहा कि ये सुपरिटेंडैंट लेवल की बात है, आप उनसे बात करें। जब पत्रकार द्वारा समस्या गंभीर होने की बात कहते हुए उनसे जवाब जानना चाहा तो उन्होंने बड़े ही रुखे स्वरों में कहा कि वह इसके बारे में पता करेंगे। उनके बात करने के ढंग से ऐसा लग रहा था कि जैसे जनाब कोई एहसान कर रहे हों या फिर बात को जानते हुए भी अंजान बनने की कोशिश कर रहे हों।

निगम सहायक कमिशनर एक जिम्मेदार अधिकारी होता है तथा उनका फर्ज बनता है कि वे ऐसे गंभीर मामलों को पूरी संजीदगी के साथ सुने और उनका हल निकालें, मगर पत्रकार के साथ की गई बातचीत से उनके उदासीन रवैया का पता चलता है कि वे अपनी जिम्मेदारी को किसनी गंभीरता से निभाते होंगे।

इस संबंध में जब नगर निगम मेयर शिव सूद से बात की गई तो उन्होंने पूरी गंभीरता से मामले को लेकर हुए सोमवार को इस संबंधी जांच करवाकर बनती कार्रवाई को अमल में लाने की बात कही। उन्होंने कहा कि किसी भी कर्मचारी द्वारा चाहे वो कच्चा हो या पक्का या फिर आउटसोर्स के माध्यम से रखा गया हो, को इस तरह की हरकत नहीं करनी चाहिए। अगर ऐसा हुआ है तो उन्हें इसका दुख है तथा वे इस संबंधी बनती कार्रवाई को अमल में लाएंगे।

ड्राइवर द्वारा की गई हरकत से परेशान परिवार वाले अपने घर की इज्जत की परवाह करते हुए खुले तौर पर शिकायत आदि से परहेज कर रहे हैं, मगर अधिकारी वर्ग व कई कर्मियों को इसकी जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई न होना कई सवालों को जन्म देता है, जबकि पहले भी वह ऐसी हरकत कर चुका है। लोगों का कहना है कि ड्राइवर के मोबाइल की जांच करवाई जाए व बनती कार्रवाई करते हुए इसे निगम से बाहर का रास्ता दिखाया जाए ताकि भविष्य में गोपनीयता को कोई खतरा न हो।

इससे पहले भी एक मामला निगम में हो चुका है तथा उस समय के कर्मी के बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, क्योंकि निगम की बदनामी होने लगी थी। निगम में ऐसा ही एक ड्राइवर था जोकि तय बाजारी दस्ते द्वारा उठाया गया सामान ही चोरी कर लेता था तथा एक बार पकड़े जाने पर न सिर्फ उसने चोरी किए सामान के पैसे वापस किए थे बल्कि माफी मांग जान छुड़ाई थी और इसके बाद उसे निकाल दिया गया था। मगर, अफसोस की बात है कि महिलाओं के सम्मान को चोट पहुंचाने वाला तथा डाटा चुराने वाले अब भी निगम में कार्यरत है।

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