होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। किसी भी देश और समाज को प्रगतीशील रहने के लिए उसके बच्चों को शारीरिक व मानसिक रुप से विकसित होना अत्यंत जरुरी है। मानसिक विकास के लिए साहित्य तथा बाल साहित्य उच्च स्तर का होना चाहिए। यह मौकामेल ही है कि गुरबख्श सिंह प्रीत लड़ी की बाल पत्रिका ’बाल संदेश’ 1995 में बंद हुआ और इसकी अगली कड़ी ’निक्कियां करुम्बलां’ उसी वर्ष माहिलपुर से शुरु हो गई, जिसके सम्पादक व प्रकाशक बलजिंदर मान हैं और आज खुशी की बात है कि ’निक्कियां करुम्बलां’ का नाम ’इंडिया बुक ऑफ रिर्काडस’ में दर्ज हुआ है।
बलजिंदर मान माहिलपुर में ही नहीं बल्कि पूरे पंजाब में साहित्यक संास्कृति तथा शैक्षणिक गतिविधियों में पिछले 33 वर्षों से अहम योगदान दे रहे हैं उन्होने आज तक 25 मौलिक, 35 संपादित तथा 7 पुस्तकें नैशनल बुक ट्रस्ट इंडिया के लिए अनुवाद कर चुके हैं। ’निक्कियां करुम्बलां’ निजी क्षेत्र की एक बाल पत्रिका है जो 1995 से निरंतर उनके द्वारा संपादित तथा प्रकाशित की जा रही है। किसी एक व्यक्ति द्वारा इस क्षेत्र में यह एक रिकार्ड उपलब्धि है जिसे इंडिया बुक ऑफ रिकार्डस में दर्ज होने का गौरव प्राप्त हुआ है।
इस पर उन्हे बधाई देने बालों में पंजाब विधान सभा के डिप्टी स्पीकर स. जै कृष्ण सिंह रोड़ी, विधायक डा. राजकुमार, पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल, सिक्ख विद्ययक कौंसल के प्रधान सुरिंद्र सिंह भुल्लेवाल राठां, बहुरंग कला मंच के निर्देशक अशोक पुरी, प्रिंसीपल हरभजन सिंह र्स्पोटिंग क्लब के प्रधान कुलवंत सिंह संघा, सुर संगम विद्ययक ट्रस्ट के चीफ पैटर्न एस. अशोक भौरा, प्रो बलदेव सिंह बल्ली, साहित्य अकादमी अवार्डी कमलजीत नीलो, डा. कुलबीर सिंह सूरी, डा. दर्शन सिंह आश्ट, मनमोहन सिंह दाऊ, अमरीक सिंह तलवंडी, प्रो राम लाल भगत, डा. मनमोहन सिंह तीर, निर्मल बोध, डा. रमा रत्न, कृष्णजीत लाल राऊ कैंडोवाल, सुखमन सिंह, पम्मी खुशहालपुर, चंचल सिंह बैंस, प्रिं. सीमा रानी, प्रिं. परमिंदर शर्मा, प्रिं. डिम्पी शर्मा, प्रिं. सतिंदरदीप कौर ढिल्लों, प्रिं.मनजीत कौर, प्रिं. जसपाल सिंह, डा. परविंदर सिंह, प्रिं. जसवंत सिंह थिंद एस.एम.ओ, डा. परमिंदर सिंह, विजय बंबेली, अमृत लाल, परमजीत सिंह भूनो, सतनाम सिंह लोई, अवतार लंगेरी आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर बग्गा सिंह आर्टिस्ट ने कहा कि बलजिंदर मान ने ’निक्कियां करुम्बलां’ द्वारा बाल जीवन को संवारने व श्रृंगारने की जिम्मेवारी ली है । अशोक पुरी ने कहा कि बलजिंदर मान ने ’निक्कियां करुम्बलां’ प्रकाशन को अपना व्यवसाय नहीं बनाया उसने कभी एक रुपया भी बाल साहित्य से अपने उपर खर्च नहीं किया, इसी लिये ’निक्कियां करुम्बलां’ दिन रात तरक्की कर रही है।