1954 में नेहरू की कांग्रेस सरकार द्वारा बनाया वक्फ बोर्ड कानून भंग करे केन्द्र सरकारः अशवनी गैंद 

होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। धार्मिक एवं समाजिक संस्थाओं द्वारा वक्फ़ बोर्ड की ज़मीनों पर समाजिक कार्यों के लिए बनाई बिल्डिंगों का किराया लेना बन्द करके प्रापटियां संस्था के नाम करे वक्फ बोर्ड। उक्त विचार  नई सोच वैल्फेयर सोसायटी (रजि.) के संस्थापक अध्यक्ष अशवनी गैंद ने एक मीटिंग दौरान कही। उन्होंने कहा कि हर खाली प्रापटी पर अपना हक जमाने वाले वक्फ बोर्ड को भंग करने के लिए प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को शहरवासियों द्वारा हस्ताक्षर करवाकर एक पत्र दिया जायेगा।

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गैंद ने बताया कि वक्फ बोर्ड का कानून 1995 में बनाया गया जो कि कांग्रेस सरकार ने सिर्फ एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए बनाया। 1995 में बने कानून के सैक्शन-14 के अधीन बोर्ड ऑफ को-कम्पोजिशन बनाया जिसके अनुसार इसमें 7 मैंबर होंगे और 7 मैंबर ही मुसलिम वर्ग के होंगे और सभी सदस्यों को हक है कि किसी भी प्रापर्टी पर अपना हक जमा सकते हैं। यह कह कर कि आपके दादे-परदादे ने दान दे रखी है और इस की कोई सुनवाई नही है। यह कानून लोकतन्त्र के खिलाफ है। सरकार को चाहिए कि जिस प्रकार हिन्दू मठो से लाखों करोड़ों रूपए ले रही है उसी प्रकार मजारो और मस्जिदों को अपने अधीन लेकर सरकार अपना अधिकार जमाये और वक्फ बोर्ड के मौजूदा स्वरूप को बदल कर पूरे भारत में वक्फ बोर्ड में सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया जाये ताकि यह संस्था किसी एक वर्ग को खुश करने के लिए नही बल्कि सभी वर्गों के फायदे के लिए हो।  

इस अवसर पर पूर्व पार्षद सुरेश भाटिया (बिट्टू), एडवोकेट अजय गुप्ता, जतिन्दर शर्मा, अजय जोशी, पंकज बग्गा, नीरज गैंद, मनदीप खुल्लर, कपिल अग्रवाल, अवतार सिंह, विक्की अटवाल, सोनू जट्ट, राकेश कुमार आदि उपस्थित थे। 

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