जीएम सरों को अनुमति देना मानव, पर्यावरण और कृषि के लिए घातक फैसला: महिला किसान यूनियन

चंडीगढ़(द स्टैलर न्यूज़): संयुक्त किसान मोर्चे की घटक महिला किसान यूनियन ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति द्वारा आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) सरसों के बीज के उत्पादन की अनुमति देने को मानव, पर्यावरण, जैव विविधता और कृषि के लिए  खतरनाक बताते हुए इस निर्णय को मोदी सरकार की पसंदीदा कॉर्पोरेट कंपनियों को लाभ पहुंचाने वाला करार दिया है। यूनियन ने दोष लगाया कि केंद्र सरकार धनी फर्मों को लाभप्रद करने हेतु देश के किसानों के लिए समस्याएं पैदा कर रही है क्योंकि भविष्य में और अधिक जीएम बीजों और फसलों की मंजूरी एक खुला खेल बन जाएगा। आज यहां मीडियाकर्मीओं से बातचीत करते हुए महिला किसान यूनियन की अध्यक्ष बीबा राजविंदर कौर राजू ने कहा कि पहले भी जीएम बीजों के संबंध में इसी तरह के फैसलों की व्यापक रूप से आलोचना हुई थी क्योंकि उनसे उत्पादित फसलें और भोजन असुरक्षित, विषाक्त और जीवन के लिए खतरा हैं, जिसके कारण सरकार ने वह निर्णय वापस ले लिया था। ताजा फैसले के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि बी.टी. नर्म (कपास) बोने का अनुभव भी देश के किसानों के लिए अत्यंत घातक सिद्ध हुआ है क्योंकि उस कपास के ऊपर हर साल नये कीटों का हमला व नये रोग उत्पन्न होने के कारण कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। फसल का पूरा मूल्य नहीं मिलने व खर्चे अधिक होने के कारण नरमा उत्पादक कर्जदार बनकर आत्महत्या करने के लिये मजबूर हैं।

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महिला किसान नेता ने इस अवैज्ञानिक निर्णय को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए जीएम सरसों की खेती को जहरीली संकर (हाइब्रिड) फसल घोषित करार दिया है। बीबा राजू ने कहा कि खरपतवार नियंत्रण की विफलता के कारण इस ट्रांसजेनिक हाइब्रिड फसल पर जहरीले रसायनों के छिड़काव में भारी वृद्धि होगी, जिससे मानव भोजन और मिट्टी में ग्लाइफोसेट और कैंसर पैदा करने वाले तत्व मिलने के कारण स्वास्थ्य, आम इंसान और जानवर भी प्रभावित होंगे। उन्होंने जैविक रूप से संशोधित बीजों को मंजूरी देने की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार ऐसे फैसले ले रही है जो उनके कॉर्पोरेट मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए किसानों को मारने की नीयत से लिये जा रहे हैं। महिला किसान नेता ने चेतावनी दी कि किसान संघों ने पहले भी जीएम फसलों और बीजों को अनुमति देने का कड़ा विरोध किया था और अब भी कॉरपोरेट कंपनियों के लिए इस फैसले का कड़ा विरोध किया जाएगा।

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