जालंधर में इस साल पराली जलाने की घटनाओं में 60 फीसदी की कमी: डिप्टी कमिशनर

जालंधर(द स्टैलर न्यूज़)। जिला प्रशासन द्वारा पराली जलाने के रूझान को रोकने के लिए किए गए ठोस प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे है, जिससे जिले में इस वर्ष पराली जलाने की घटनाओं में 60 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए डिप्टी कमिशनर जसप्रीत सिंह ने बताया कि इस साल 6 नवंबर तक खेतों में आग लगने के कुल 1075 मामले सामने आए है,जबकि पिछले साल इस समय दौरान 2548 मामले सामने आए थे। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद इस वर्ष राज्य में पराली जलाने की कुल घटनाओं में से केवल 3.5 प्रतिशत ही जालंधर में हुई। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक धान की कटाई हो चुकी है और खेतों में आग लगने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम होने की संभावना है। बता दे कि जिला प्रशासन ने पराली जलाने पर अंकुश लगाने के लिए जो रणनीति अपनाई है, जिसमें इस प्रकार के मामलों की निगरानी के लिए क्लस्टर अधिकारियों की नियुक्ति, पर्यावरण मुआवजा, जागरूकता गतिविधियों, फसल अवशेष आदि के प्रबंधन के लिए सहायता प्रदान करना शामिल है।

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पिछले साल के 2548 मामलों की तुलना में अब तक 1075 घटनाएं हुई दर्ज, जिले में 3.5 लाख टन पराली का प्रबंधन, 4500 से अधिक मशीनें उपलब्ध करवाई

डिप्टी कमिशनर ने पराली जलाने की प्रवृत्ति को रोकने के लिए जिला प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि इस वर्ष 3.5 लाख टन से अधिक पराली का प्रबंधन इन-सीटू और एक्स-सीटू तकनीकों का उपयोग करके किया गया है। उन्होंने आगे बताया कि लगभग 45,000 एकड़ क्षेत्र को एक्स-सीटू और 22,000 एकड़ क्षेत्र को इन-सीटू तकनीक के तहत लाया गया है। इसी प्रकार उचित फसल अवशेष प्रबंधन तकनीकों का उपयोग करके अब तक 30 प्रतिशत से अधिक गेहूँ की बिजाई पूरी कर ली गई है। इसके इलावा बीर गांव स्थित बिजली उत्पादन प्लांट में लगभग 50,000 टन धान की पराली का प्रबंधन करने में भी प्रशासन सफल रहा है। जसप्रीत सिंह ने आगे बताया कि अब तक कुल 86 चालान काटे जा चुके है, जिसके तहत उल्लंघन करने वालों पर 215000 रुपये का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है। इसी तरह एफ.आई.आर.करने के इलावा 45 मामलों में रैड एंट्री की गई है। उन्होंने कहा कि खेतों में आगजनी की घटनाओं पर नजर रखने के लिए जिला प्रशासन द्वारा 232 नोडल अधिकारी और 59 क्लस्टर अधिकारी नियुक्त किए गए है।

डिप्टी कमिशनर ने कहा कि पराली के उचित प्रबंधन के लिए जालंधर में जिला प्रशासन द्वारा सब्सिडी पर 4500 से अधिक मशीनरी उपलब्ध करवाई गई है। इसके इलावा पराली जलाने के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर जागरूकता अभियान भी चलाया गया है।डिप्टी कमिश्नर ने पराली जलाने की समस्या से निपटने में किसानों के योगदान की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाओं को कम करने के लिए जिले भर में और प्रयास किए जाएंगे। इस दौरान उन्होंने किसानों से पराली को आग न लगाने की भी अपील की।

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