सिडबी ने मुख्यतया पंजाब पर केंद्रित, अनुसूचित जाति/जनजाति के उद्यमियों के लिए शुरू की नई ऋण योजना

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़)। देश के एससी/एसटी उद्यमियों को उनके उद्योगों को फलने-फूलने में मदद करने के एकमात्र उद्देश्य से स्माल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ़  इंडिया (सिडबी) ने बुधवार को होशियारपुर में औपचारिक रूप से नई ऋण योजना ‘साथ’ की शुरुआत की। यह योजना राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग  के अध्यक्ष विजय सांपला और सिडबी के चेयरमैन  व मैनेजिंग डायरेक्टर सिवसुब्रमणियन द्वारा शुरू की गई। कार्यक्रम के दौरान योजना के लाभार्थियों को ऋण स्वीकृति – पत्र भी जारी किए गए।

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सांपला ने इस अवसर पर कहा – “नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बैंकों से एससी / एसटी वर्गों के लोगों के लिए विशेष ऋण योजनाएं शुरू करने के लिए कहा है । मेरे अनुरोध पर विचार करते हुए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को उनके व्यवसाय को फलने-फूलने में मदद करने के लिए सिडबी ऐसी ही पहल के साथ आगे आया है।’साथ’ योजना में न्यूनतम प्रोसेसिंग शुल्क है, जबकि यह ऋण सात साल में चुकाया जा सकता है, जबकि अन्य बैंकों की योजनाओं में कर्जा चुकाने की अवधि अक्सर पांच साल होती है। उन्होंने कहा कि हालांकि देश भर के एससी उद्यमी इस योजना का लाभ उठा सकते हैं लेकिन होशियारपुर जिले और फगवाड़ा (कपूरथला जिले) के मझौले व लघु उद्यमियों की सहायता पर विशेष ध्यान देने के मेरे अनुरोध पर विचार करने के लिए मैं सिडबी का आभारी हूं। सांपला ने कहा कि ‘साथ’ के अलावा, बैंक की एक अन्य योजना ‘प्रयास’ भी है जिसमें बैंक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लोगों को अपना व्यवसाय शुरू करने या विस्तार करने के लिए छोटी राशि का ऋण प्रदान करता है।”

सिडबी के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, शिवसुब्रमण्यम रमन ने इस अवसर पर  कहा, “कोविड काल में कई लोगों के व्यवसाय प्रभावित हुए | अब ‘साथ’ योजना के साथ, लोग फिर से अपने उद्योगों का विस्तार करने के बारे में सोच सकते हैं। योजना के तहत, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के उद्यमी नई या ग्रीनफील्ड इकाइयों की स्थापना के लिए या प्रोत्साहन प्रावधान के साथ मौजूदा इकाइयों के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए अपेक्षाकृत आसान शर्तों पर सावधि ऋण सहायता का लाभ उठा सकते हैं। ऐसी इकाइयों को भूमि अधिग्रहण, कारखाने या कार्यालय भवन के निर्माण, उपकरण, संयंत्र और मशीनरी और अन्य निश्चित दावों के लिए सावधि ऋण सहायता प्रदान की जाएगी। प्रत्येक उधारकर्ता 25 लाख रुपये से 3 करोड़ रुपये तक का ऋण ले सकता है, जबकि उन्हें 7 साल के भीतर (2 साल तक की मोरेटॅरियम अवधि सहित) राशि चुकानी होगी।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत दिए गए ऋण का उपयोग पहले के ऋणों के पुनर्भुगतान के लिए नहीं किया जा सकता है।

रमन ने आगे बताया कि एससी-एसटी उद्यमियों की उन इकाइयों को प्राथमिकता दी जाएगी, जिन्हें भारत सरकार की ‘स्टैंड-अप इंडिया’ योजना के तहत पहले ही फंड मिल चुका है. साथ ही, उद्यमी को मौजूदा इकाई में परियोजना लागत का न्यूनतम 20% योगदान देना चाहिए, जबकि नई इकाई बनाने वालों को परियोजना लागत का न्यूनतम 25% योगदान देना होगा। इस योजना के अंतर्गत जो पात्र एससी/एसटी उद्यमी कोलेटरल सिक्युरिटी का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं, उन्हें सीजीएमटीएसई के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज मिलेगा। इतना ही नहीं बल्कि सीजीएमटीएसई गारंटी के लिए प्रोसेसिंग शुल्क की 50% लागत सिडबी द्वारा वहन की जाएगी।

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