मौनी अमावस्या का महत्व, 30 वर्ष बाद बन रहा है, ऐसा दुर्लभ संयोग: पंडित श्याम ज्योतिषी

होशियारपुर(द स्टैलर न्यूज़), रिपोर्ट: गुरजीत सोनू। बांके बिहारी जयोतिष केंद्र गोतम नगर ऊना रोड होशियारपुर के पंडित श्याम ज्योतिषी ने बताया कि इस साल की मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या बेहद ख़ास होने जा रही है, क्योंकि इस बार अमावस्या को शनिवार का दिन पडऩे के कारण शनिश्चरी अमावस्या होगी। यही नहीं इस बार मौनी अमावस्या पर 30 सालों बाद ऐसा शुभ संयोग बनने जा रहा है, जो बेहद शुभफलदाई है। मौनी अमावस्या का नाम ऋषि मनु के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि, उनका जन्म इसी दिन हुआ था। भक्तों को उत्तम भाषण की गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए इस दिन “मौन व्रत” (मौन की शपथ) का अभ्यास करने के लिए कहा जाता है।

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हिंदू शास्त्रों के अनुसार इस दिन को तपस्या और भगवान से क्षमा प्रार्थना करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। हालांकि, यह भी सलाह दी जाती है कि, आसपास की नकारात्मक ऊर्जा से खुद को बचाने की कोशिश में इस दिन कोई भी विशेष काम करने से बचें। हिंदू पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या माघ महीने के मध्य में आती है और इसलिए इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है। भक्त अक्सर अपने पापों को क्षमा करने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए पूरे माघ महीने में गंगा के पवित्र जल में स्नान करने का संकल्प लेते हैं। पवित्र जल में स्नान का अनुष्ठान पौष पूर्णिमा से शुरू होता है और माघ पूर्णिमा पर समाप्त होता है। मौनी अमावस्या के दिन, गंगा के पवित्र जल को “अमृता” माना जाता है, जो इसे पीने और स्नान करने वाले किसी भी व्यक्ति को ज्ञान प्राप्त करने में मदद कर सकता है। मौनी अमावस्या तिथि और समय 21 जनवरी 2023 को सुबह 06:17 बजे से मौनी अमावस्या की शुरुआत होगी और इसका समापन 22 जनवरी 2023 को सुबह 02:22 मिनट पर किया जाएगा. स्नान, दान और व्रत वगैरह 21 जनवरी को रखा जाएगा।
मौनी अमावस्या अर्थ
सरल शब्दों में मौनी का अर्थ है मौन। इस दिन उपवास रखने वाले लोग बिना एक शब्द बोले पूरा दिन व्यतीत कर देते हैं। इसलिए पूरे दिन मौन रहने के कारण ही इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। इसके अलावा, माघ का महीना आध्यात्मिक जागरण और तपस्या के लिए सबसे उपयुक्त है।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या दुनिया भर के हिंदुओं के लिए एक शुभ दिन है। इस दिन, सैकड़ों भक्त त्रिवेणी संगम के तट के पास रहते हैं, जहाँ पवित्र नदियाँ गंगा, यमुना और सरस्वती प्रयागराज में मिलती हैं। माघ अमावस्या का महत्व इस तथ्य में निहित है कि, इस दिन त्रिवेणी संगम में स्नान करने और इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा करने से दीर्घ, सुखी और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या के दिन महाकुंभ मेला भी लाखों तीर्थ यात्रियों का स्वागत करता है।
ब्रह्म मुहूर्त में करें स्नान
ब्रह्म मुहूर्त यानी सुबह 3 से 6 बजे के बीच उठ जाएं। गंगा नदी में स्नान करें, और यदि आप ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो साफ पानी से स्नान करें या एक बाल्टी पानी में “गंगाजल” डालें और फिर उस पानी से स्नान करें। पवित्र जल से स्नान करते समय नीचे लिखे मंत्र का जाप करें।
‘गंगे च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिनसन्निधि कुरु।’
गंगे च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिंधु कावेरी जलऽस्मिनसनिधि कुरु।

’स्नान के बाद, भगवान विष्णु के नाम का ध्यान करें और दिन के लिए मौन या मौन व्रत की शपथ लें।
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पूजा के बाद गरीबों को धन, अन्न और वस्त्र दान करें। सुनिश्चित करें कि आप स्नान करने के तुरंत बाद चुप रहें और दिन भर अपने मन में ऊपर बताए गए मंत्र का जाप करें। बाद शनिवार को मौनी अमावस्या पर बन रहा है।
स्नान, दान का है विधान
मान्यता है कि, इस दिन मनुष्य को मौन रहना चाहिए. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इसलिए इस दिन मौन रहकर व्रत करने वाले व्यक्ति को मुनि पद की प्राप्ति होती है। मौनी अमावस्या को गंगा, यमुना या अन्य पवित्र नदियों, जलाशय अथवा कुंड में स्नान करना चाहिए. इससे पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
शनिश्चरी अमावस्या और खप्पर योग का संयोग

पंचांग के मुताबिक़ मौनी अमावस्या 21 जनवरी, शनिवार के दिन पड़ रही है. इस तरह यह शनिश्चरी अमावस्या होगी। इसके अलावा अमावस्या तिथि पर पूर्वाषाढ़ नक्षत्र, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र, हर्षण योग और चतुष्पद करण योग भी बन रहा है. इसके साथ ही चंद्रमा शनि की राशि मकर में संचरण करेंगे। ऐसे में शनिश्चरी अमावस्या पर शनि की अपार कृपा मिलेगी।
कुंभ राशि में शनि, सूर्य-शुक्र की युति
पंचांग के मुताबिक, माघी अमावस्या को शनि की राशि कुंभ में सूर्य, शनि और शुक्र एक साथ विराजमान रहेंगे. ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, 30 साल बाद ऐसा होगा, जब मौनी अमावस्या के मौके पर शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में मौजूद होंगे. वहीं शनि, सूर्य और शुक्र की युति से खप्पर योग का निर्माण होगा। ज्योतिष में यह योग बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि, इस योग में स्नान, पुण्य दान करने से लोगों की किस्मत खुल जायेगी।
क्या क्या दान करें
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कपड़े, गर्म वस्त्र, कंबल और जूते दान करने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि, जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का होता है, उन्हें इस दिन दूध, चावल, खीर, मिश्री और बताशा दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
अमावस्या नहाने का फल
ऐसी मान्यता है कि, मौनी अमावस्या के दिन सभी पवित्र नदियों खासकर गंगा नदी में स्नान करने से उत्तम पुण्य फल की प्राप्ति होती है। कहते हैं कि, मां गंगा के जल में भगवान विष्णु का वास होता है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल मिलता है।
मौनी अमावस्या का महत्व क्या है ?
मौनी अमावस्या के स्नान को कुंभ के सभी स्नानों में से सबसे महत्वपूर्ण स्नान माना गया है। माना जाता है कि, इस दिन के गृह योग से गंगा का जल अमृत के समान हो जाता है और इस दिन स्नान करने का विशेष पुण्य मिलता है। इस दिन गंगा स्नान से न सिर्फ पाप धुलते हैं बल्कि आरोग्य भी बढ़ता है।
अमावस्या पर क्या ना करें अमावस्या को किसी के घर भोजन न करें। अमावस्या को सदाचरण और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। अमावस्या पर क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, मांस-मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक संबंध निषेध है।
अमावस्या अशुभ क्यों है ?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमावस्या को विवाहित महिलाओं के लिए अशुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि, यह उनके पतियों से अलग हो जाती है ।
अमावस्या पर किसकी पूजा करनी चाहिए ? हिंदू घरों में लक्ष्मी, धन की देवी, और शुभ शुरुआत के देवता गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें बाधाओं के निवारण के रूप में भी जाना जाता है, और फिर समृद्धि और कल्याण का स्वागत करने के लिए गलियों और घरों में दीया (मिट्टी के छोटे बर्तन) जलाते हैं।
अमावस्या तिथि में जन्मा जातक।

अमावस्या तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्ति में लम्बी आयु वाला होता है. घर से अधिक उसे परदेश में गमन करना पडता है. वह बुद्धि को कुटिल कार्यों में प्रयोग करता है. सत्तकार्यों को करने में उसे बुद्धि का सहयोग प्राप्त नहीं होता है।
अमावस्या की रात के दिन क्या होता है ?
ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बहुत बढ़ जाता है, इसलिए इस वक्त कुछ गलतियां करने से बचना चाहिए। अमावस्या कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है. अमावस्या की रात नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं. यानी भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, और निशाचर ज्यादा सक्रिय रहोते हैं।
अमावस्या पर मौन रहने का महत्व!
शास्त्रों में चंद्रमा को मन का देवता माना गया है। अमावस्या के दिन चंद्रमा के दर्शन न होने से मन की स्थिति शिथिलता पूर्ण रहती है। इसलिए इस दिन मौन रहकर मन को संयमित करने का विधान बताया गया है। इस दिन मन ही मन ईश्वर का जप करते हुए व्रत और दान करना चाहिए। मौनी अमावस्या के दिन ऋषियों की तरह चुप रहने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। इस दिन मुंह से कटु शब्द कहने से भी बचना चाहिए। इस अमावस्या के दिन भगवान विष्णु-शिव दोनों की पूजा करने का विधान है इससे धन और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग खुलता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन मन और वाणी पर नियंत्रण करके गंगा में स्नान करने के बाद दान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बांके बिहारी जयोतिष केंद्र गोतम नगर ऊना रोड होशियारपुर के पंडित श्याम ज्योतिषी ने बताया कि अधिक जानकारी के लिए उनके मोबाइल नंबर 94535-61421 व 98889-24015 पर संपर्क कर सकते हैं।

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