होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। पिछले कुछ दिनों से होशियारपुर के सिविल सर्जन एवं एसएमओ द्वारा एक निजी अस्पताल को सिविल अस्पताल में ओपीडी की योजना बनाना है उसके साथ एमओयू साइन करना बेहद निंदनीय है तथा इसका विरोध होने पर सिविल सर्जन द्वारा कमेटी बनाकर इसके लाभ एवं हानियों संबंधी बात कही जानी तर्कसंगत नहीं है। क्योंकि उन्होंने यही कार्य पहले किया होता तो शायद इतना बबाल न होता। इसलिए सरकार को चाहिए कि वह किसी एक प्राइवेट संस्था को लाभ पहुंचाने की नीयत से लिए गए इस फैसले की जांच करवाए और ऐसा करने वाले अधिकारियों को तुरंत प्रभाव से यहां से बदले।
अगर वह ऐसा नहीं करती तो उसे भ्रष्टाचार विरोधी दावों को करने का कोई हक नहीं है तथा सरकार को पूरी तरह से सरकारी अस्पतालों को प्राइवेट हाथों में देकर जनता की लूट का अधिकार दे देना चाहिए। यह बात शहरी कांग्रेस अध्यक्ष नवप्रीत रैहल ने इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही। आज यहां जारी एक प्रैस विज्ञप्ति में नवप्रीत रैहल ने कहा कि उन्हें तो ऐसा लगता है कि सिविल सर्जन व अन्य अधिकारियों ने अपने किसी निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए एक ऐसी योजना बनाई, जो गरीब जनता के लिए कम तथा अधिकारी वर्ग को लाभ अधिक पहुंचाने वाली हो। अब यह स्वार्थ कैसा हो सकता है यह बात शायद शब्दों में नहीं कही जा सकती। वैसे भी सिविल सर्जन रिटायर्ड होने वाले हैं तो ऐसे में समझा जा सकता है कि जो सिमट सके समेट लो, वाली कहावत को उन्होंने चरितार्थ कर लिया हो।
वैसे भी जिस प्राइवेट अस्पताल के साथ करार किया गया, उसकी क्या छवि है उस बारे में सभी जानते हैं तथा ऐसे में एक उस संस्था को जिसके खिलाफ शिकायतों का अंबार लगा हो, के साथ करार पूरी तरह से तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता। इसलिए सरकार को जनता के बीच बिगड़ रही अपनी छवि को सुधारते हुए सिविल सर्जन और एसएमओ को तुरंत प्रभाव से बदल देना चाहिए।