नोटबंदी: जिन-जिन का काला धन पकड़ा गया उनके लिए रहा काला दिवस: सांपला

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होशियारपुर (द स्टैलर न्यूज़)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने आज से एक साल पहले काले धन पर हमला बोलते हुए जो ऐतिहासिक फैसला लिया था, ऐसा बड़ा फैसला आजाद भारत के इतिहास में पहले न कभी किसी ने लिया न ही ऐसा सोचने की जुर्रत की। सरकार के प्रयासों से 15.28 लाख करोड़ रुपए वापस आए और साथ में कालाधन भी पकड़ा गया। नोटबंदी के कारण ही आज हमारे पास ऐसे लोगों के नाम और पते हैं जिनकी बैंकों में 35 लाख करोड़ की राशि है जो जांच के घेरे में हैं और 23 लाख बैंक खातों की भी जांच चल रही है। नोटबंदी के दौरान ही यह सामने आया है कि देश की जनसंख्या के 0.00011 प्रतिशत लोगों ने ही देश में उपलब्ध कुल राशी का लगभग 33 फीसदी धन जमा किया हुआ था, जो 5 लाख करोड रुपए के लगभग था। उक्त विचार केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजय सांपला ने पत्रकारवार्ता में व्यक्त किए।

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इस मौके पर उन्होंने बताया कि नोटबंदी का यह असर हुआ कि आंतकवाद और नक्सलवाद को एक करारी चोट पड़ी है। अर्थतंत्र में बड़े नोटों का जो हिस्सा बहुत तेजी से बढ़ रहा था और जिसका उपयोग भ्रष्टाचार, हवाला और आतंकी गतिविधियों में बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जा रहा था, आज देश में 12 लाख करोड रुपए की करंसी सर्कुलेशन में है। अगर नोटबंदी नहीं होती तो अब तक 18 लाख करोड रुपए की करंसी सर्कुलेशन में होती। नोटबंदी का यह असर देखने को मिला है कि आंतकवाद और नक्सलवाद ने मुंह की खाई है और कश्मीर में पत्थरबाजी भी 75 प्रतिशत कम हुई है।

श्री सांपला ने कहा कि नक्सलवाद में भी 20 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। काला धन और ड्रग व नकली नोटों के धंधे को बड़े पैमाने पर झटका लगा है। नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था की अप्रत्यक्ष सफाई हुई। सरकार ने फजऱ्ी कंपनियों की सर्जिकल स्ट्राइक करके 2.24 लाख कंपनियों के ऐसे भी फर्जीवाड़े का पता चला जिसमें एक ही पते पर सौ-सौ कंपनियां चल रही थी और हर एक कंपनी की सौ-सौ बैंक खाते भी थे। साथ-साथ जो आज तक कभी नहीं हुआ उसे भी सरकार ने करके दिखाया करीब 1626 करोड़ों की बेनामी संपत्ति को भी जाँच के घेरे में लिया है। भारत के लोगों को उनका हक और नौकरियों के साथ-साथ उनका अधिकार दिलाने और शोषण से बचाने का सबसे बड़ा अभियान चला और एक साल के भीतर-भीतर लाखों मज़दूरों को संगठित क्षेत्रों से जोड़ा गया।

5 लाख श्रमिकों के नए बैंक खाते खुलवाए गए और सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा से जुड़ी सभी सुविधाएं एवं उन्हें उनके अधिकार मिलने शुरू हो गए। 1500 करोड़ मजदूरों को प्रोविडेंट फंड जोड़ा गया ई.एस.आई.सी. में 1.03 करोड़ लोगों को आरोग्य सुविधाएं भी मिलने लगी। नए टैक्स देने वालों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई। ऑनलाइन रिटर्न भरने वालों की संख्या 3 करोड़ से पार हो गई। इन सभी का लाभ देश की जन कल्याण योजना को मिला और अर्थव्यवस्था में तरक्की, कैशलेस में भारत ने बहुत बड़ी छलांग लगाई। डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहन मिला मोबाइल एवं अन्य साधनों से गरीब से गरीब व्यक्ति को भी मिनटों सेकेंडों में उसका पूरा धन मिलने लगा जिस से दलालों व हवाला, कालाबाजारी को लगाम लगी। बैंकों में धनराशि से की वृद्धि होने के कारण लोन व्याज दर में भी गिरावट आई।

जिससे आम जनता को फायदा मिला। ज़मीन और मकानों के दामों में कमी के कारण निवेश में बढ़ावा मिला एवं सामान्य आदमी के लिए घर लेना आसान हुआ। जो पैसा वर्षों से तिजोरी में पढ़ा था वह पैसा निकल कर देश की अर्थव्यवस्था के काम आने लगा भ्रष्टाचार और कालेधन इस लड़ाई को हर भारतीय ने परिवार लड़ा है। भ्रष्टाचार की इस लड़ाई को सवा सौ करोड़ देशवासियों ने दृढ़ता एवं आत्मविश्वास से लड़ा है। अटूट भरोसे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आज हर भारतवासी देश की इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में साथ खड़ा है। देश काले धन की इस लड़ाई में विजय रहा है। इस मौके पर जिला भाजपा अध्यक्ष डा. रमन घई, महामंत्री गोपीचंद कपूर, भारत भूषण वर्मा, एडवोकेट डी.एस. बागी, योगेश कुमरा आदि भी मौजूद थे।

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