आज भी महिलाओं को मानव रूप में पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता: सिविल सर्जन

होशियारपुर, (द स्टैलर न्यूज़)। आज पूरी दुनिया में महिलाओं की स्थिति के बारे में यह भी कहा जा सकता है कि आज भी महिलाओं को मानव रूप में पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता है। वैसे तो आज पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन दुनिया में कुछ समस्याएं आम हैं, जैसे यौन शोषण, आर्थिक असमानता, अशिक्षा, असुरक्षा आदि, लेकिन कुछ पश्चिमी देशों ने यौन शोषण को रोकने में काफी सफलता हासिल की है। कानून बना कर किया है उक्त बातें कार्यकारी सिविल सर्जन डॉ. पवन कुमार ने सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गर्ल्स रेलवे मंडी होशियारपुर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के सिलसिले में आयोजित साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने के अवसर पर व्यक्त किये।

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रैली के अंत में साइकिल रैली के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए डॉ. पवन कुमार ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए महिलाओं के हक में कई कानून बनाए गए हैं। उसके लिए शिक्षा प्राप्त करने से लेकर नौकरी पाने तक समान अधिकार सुरक्षित हैं, लेकिन इन सबके बावजूद महिलाएं शोषण का शिकार होती रही हैं, जिसका मुख्य कारण मानवीय सोच में उसके लिए निर्धारित मानकों में कोई बदलाव नहीं है। साक्षर नारी भले ही हर क्षेत्र में अहम भूमिका निभा रही है, लेकिन डर का साया किसी न किसी रूप में उसके सिर पर हमेशा मंडराता रहता है। बाह्य रूप से वह अधिकार प्राप्त करने की क्षमता तो है, लेकिन आंतरिक स्थिति एक गहरी खाई की तरह होती है, जिससे उभरने के लिए सामाजिक मानसिकता का परिवर्तन एक विकल्प है।

इस दौरान बोलते हुए उप चिकित्सा आयुक्त डॉ. हरबंस कौर ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस वर्ष की थीम ‘स्वस्थ महिला, स्वस्थ भारत’ रखा गया है, क्योंकि यदि कोई महिला मानसिक, आर्थिक, सामाजिक और स्वस्थ रूप से स्वस्थ है तभी स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकता है। एक महिला मां, पत्नी, बेटी के रूप में समाज में संतुलन बनाए रखती है। इसके बिना हम समाज की कल्पना नहीं कर सकते। एक महिला सामाजिक रूप से सक्रिय हुए बिना और समाज के मामलों में पुरुषों के साथ भाग लिए बिना स्वतंत्रता के लिए प्रभावी ढंग से अपनी लड़ाई नहीं लड़ सकती है। वास्तव में स्वतंत्रता न तो सामाजिक समानता है और न ही राजनीतिक या आर्थिक।

स्वतंत्रता तब है जब एक पुरुष मानसिक रूप से एक महिला को एक समान धिर के रूप में स्वीकार करता है और एक महिला बौद्धिक और शारीरिक रूप से  इतनी मजबूत हो कि अपने निर्णय खुद ले सकें। इस अवसर पर स्कूल की प्रिंसिपल  ललिता रानी ने कहा कि जब लैंगिक भेदभाव समाप्त होगा तो महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी वृद्धि होगी। बच्चों को लड़का या लड़की के रूप में नहीं, बल्कि बच्चों के रूप में पाला जाना चाहिए। दूसरों को बदलने की बजाय यदि प्रत्येक व्यक्ति अपनी मानसिकता बदलने का प्रयास करे तो ही हर प्रकार के शोषण से मुक्त समाज का निर्माण संभव है।

रैली में भाग लेने वाली छात्राओं को रिफ्रेशमेंट और मेडल देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर जिला जनसंचार पदाधिकारी प्रषोत्तम लाल, उप जनसंचार माध्यम पदाधिकारी तृप्ता देवी, उप जनसंचार माध्यम पदाधिकारी रमनदीप कौर, जिला बीसीसी समन्वयक अमनदीप सिंह व विद्यालय के शिक्षक उपस्थित थे। इस रैली को सुचारू रूप से चलाने के लिए पुलिस विभाग का विशेष सहयोग रहा।

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